चाँद सितारों मंगल ग्रह..
और अंतरिक्ष में जीवन..
तलाशते तलाशते..
युद्ध ग्रस्त हो गई..
दूसरे ग्रह में जीवन..
ढूंढ ना सकीं..
अपने ग्रह में ही..
लगी हैं जीवन उजाड़ने..
अच्छे नहीं लगते शायद..
इनको हसते खेलते..
इंसान और बच्चे..
लगे हैं उन्हें मारने..
एक देश को लाशों का देश..
और खण्डहर बना दिया..
महाशक्तियों तुमने..
ऐसा क्यों किया ..?
अगर मिल जाता तुम्हें.
किसी ग्रह पर जीवन..
तुमने उसे भी खत्म..
कर दिया होता..
अब भगवान को..
ना रहा अपने बनाए..
इंसानों पर भरोसा..
समझ कर तुम्हारी मनसा..
भगवान ने तुम्हें..
उन जीवनौ से दूर ही रखा..
जब से ईश्वर को पता चला..
तुम्हारे वहशीपन का..
ईश्वर तुम्हें पृथ्वी पर..
बसा कर पस्ता रहा है..
तुमसे पृथ्वी खाली..
करवाने का कुदरत ..
मन बना रहा है..
तुम्हें नरक से भी बदतर..
किसी जगह शिफ्ट किया जाएगा..
वहां तुम्हारा खुराफाती दिमाग..
तुमसे छीन लिया जाएगा..
कोई युक्ती फिर तुम्हारे..
किसी काम ना आएगी..
रोज रोज तुम्हारी जान..
दर्दनाक ढंग से जाएगी..
युगों तुम्हें सड़ना होगा..
उस नरक में..
पता नहीं कितने युगों बाद..
तुम्हें मुक्ति मिल पाएगी..
युगों तक तुम्हें अब ईश्वर..
कोई ग्रह ना देगा..
कोई ग्रह देने से पहिले..
लाखो बार तुम्हारी परीक्षा लेगा..
क्यों कि पृथ्वी पर तुम्हारी..
करतूतों को ईश्वर ने देखा है..
इंसान से कुदरत ने ..
खाया बड़ा धोखा है..
ईश्वर ने अपनी गलती..
अब सुधार ली है..
उन्मादी इंसान के पैदा होने पर..
सदा के लिए रोक लगा दी है..
अब पूरे ब्रम्हांड मे..
कहीं भी कभी इंसान का..
नामों निशान ना होगा..
विलुप्त होगा इंसान..
डायनॉसोर की तरह..
पृथ्वी समेत और..
जिस ग्रह पर भी ये होगा ..
अब कोई नया जीव..
बहुत तेज जीवन प्रकाश वाला..
इंसान की जगह लेगा ..
जो ईश्वर द्वारा बनाया और..
ब्रम्हांड में लाया जाएगा..
पृथ्वी समेत और कई ग्रहो में..
उसे बसाया जाएगा..!!
_JPSB
कविता की विवेचना:
युद्ध जीवन विनाश/ yudh jiwan vinash कविता युद्ध ग्रस्त देश में जो महा विनाश हो रहा है इंसानियत को ताक पर रख कर मासूम जिंदगियां बेवजह मारी जा रही हैं.
यह सब कुछ हो रहा है दो महाशक्तियों की रस्साकशी के कारण ,उस देश का अनुभव हीन नेता एक महाशक्ति का खिलौना बन अपने ही देश और मासूम जानता को
उजाड़ने में लगा हुआ है, महाशक्ति और नाटो देश युद्ध विराम और शांति के स्थान पर आग में और ghee डालने डालने का काम हथियार सप्लाय करके कर रहें हैं.
किसी को अफसोस नहीं हैं कि लाखों मासूम जिंदगियां जा रही है. ये सब ज़ुल्म होते कुदरत देख रहीं है, कहीं ना कहीं कुदरत को लग रहा है कि इंसान को पृथ्वी पर बसा कर बहुत बड़ी गलती की है, उससे भी बड़ी गलती इंसान को दिमाग देकर की है.
कुदरत अपनी गलती सुधार सकता है, इंसान को पृथ्वी से विलुप्त कर उसका दिमाग छिन किसी नरक से भी बदतर जगह पर भेजा जा सकता युगों युगों तक के लिये, इंसान की जगह और तेजस्वी जीव को पृथ्वी पर लाया जाएगा जो कुदरत के अधिकार में रहें.
कहां तो और ग्रहो पर जीवन की तालाश की जा रही थी, अगर कहीं जीवन मिल जाता तो उसका भी विनाश कर दिया जाता, अच्छा हुआ नही मिला, जहां जीवन है उसे तो निर्दयता से रौंदा जा रहा है.
" युद्ध जीवन विनाश "कविता में लेखक द्वारा सोचा गया है कि भगवान ने मनुष्य को बनाया और पृथ्वी पर बसाया परन्तु इन्सान भगवान की परीक्षा में बार बार फैल हुआ है, अब इंसान की करतूतें उसे पृथ्वी से डायनासोर की तरह हमेशा के लिए विलुप्त कर देंगी.
कृपया कविता को पढे और विश्व शांति की प्रार्थना करें युद्ध समाप्ति की प्रार्थना करें ताकि अबोध मासूम जिंदगियां बच जाए.
...इति...
_JPSB
jpsb.blogspot.com
Author is a member of SWA Mumbai
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