ईश्वर एक है..
वो अभूतपूर्व नेक है..
सर्व जगह व्याप्त..
हर सचे भगत को प्राप्त..
सर्व शक्तिमान..
स्यमंभू सत्य स्वरूप..
वो ही पूजा इबादत..
ब्रम्हांड का संचालक..
उसी ईश्वर ने..
अपार शक्तियां दी..
इंसान को..
इंसान घमंड में आया..
बहुत उधम मचाया..
खुद को ही..
ईश्वर बताया..
शक्तियां मिलते ही..
इंसान दरिन्दा हो गया..
ईश्वर को भूल..
अपनी ही शक्तियों में..
खो गया..
इंसान की हदो से निकल..
राक्षस हो गया..
कमजोरों को मारा..
दंगे युद्ध मारकाट..
विनाश में ही ..
उसे मज़ा आता है..
उसे अपना..
यह राक्षसी स्वरूप..
बहुत भाता है..
ऐसे दरिंदों का..
अंत करने फिर..
ईश्वर स्वयं आता है..
उदाहरण हमारे सामने हैं..
कंस का अंत करने..
भगवान श्रीकृष्ण..
अवतरित हुए..
रावण का वद्य करने..
श्री राम आये..
हिरण्यकश्यप को मारने..
भगवान नरसिम्हा रूप में..
प्रगत हुये..
भस्मासुर को..
भगवान विष्णु ने..
युक्ती से मारा..
ईन सब राक्षसों ने..
शक्तियां मिळते ही..
स्वयं को भगवान..
की जगह रखना चाहा..
फिर भगवान को ही..
इनका संहार करना पडा ..
अब कलयुग में भी..
राक्षस सर उठा रहे हैं..
धर्म ईश्वर के नाम पर..
दंगे करवा रहे हैं..
यह दंगेबाज ..
ईश्वर खुदा का अपमान..
कर रहे हैं..
खुद ईश्वर के अस्तित्व को ..
नहीं मान रहे हैं..
उसी ईश्वर खुदा के..
बंदों को मार रहे हैं..
इनको सबक सिखाने..
अब कब भगवान..
अवतरित होंगे..
इन दंगाइयों के वध..
भी जरूरी है..
ईश्वर के सपूतों..
आपस में यू ही ना लड मरो ..
अपने देश और..
मानवता का कल्याण करो..
वर्ना पाप का..
घडा भरने पर..
ईश्वर को तो आना है..
पापियों को उसकी..
सही जगह पहुंचाना है..!!
_JPSB blog
कविता की विवेचना:
ईश्वर एक है/Ishwar ek hai कविता धर्म और ईश्वर के नाम पर समाज में विघटन दुश्मनी और दंगे फसाद होते हैं.
जब कि हमारे पीर पैगंबर और अवतार कई बार स्पष्ट कर चुके हैं कि ईश्वर एक है हम उन्हें अलग अलग नाम से याद करते है और उनकी अराधना करते हैं.
श्री गुरू नानक देव जी ने तो मंत्र दिया _"एक ओंकार सत्यनाम "यांनी परमात्मा एक है और यह प्रमाणिक सत्य है. शिर्डी वाले साईबाबा ने कहा _"सबका मालिक एक " मुस्लिम धर्म भी कहता है कि _"खुदा एक है " फिर झगड़ा किस बात का.
इंसान पृथ्वी पर सबसे बुद्धिमान प्राणी है और वह अच्छी तरह समझता है कि यह सत्य है कि ईश्वर एक है
मगर स्वीकारना नहीं चाहता कारण कुछ स्वार्थ हो सकते हैं.
ईश्वर/खुदा ने सब इंसान और कायनात बनाई है तो ईश्वर को खुदा बोलने वाले या खुदा को ईश्वर बोलने वाले एक दूसरे के जानी दुश्मन कैसे हो सकते हैं.
कैसे उनको लगता है कि उनके इस कृत्य से ईश्वर/खुदा खुश होगा जबकि उनके इस कृत्य से ईश्वर/खुदा को अत्याधिक तकलीफ होती है. इंसान कैसे अपने पुऱ्या ईश्वर/खुदा को तकलीफ पहुचा सकता है.
सब इंसानों को ईश्वर/खुदा ने बनाया है,अर्थात सब उनकी संताने हैं, फिर अपनेही ईश्वर/खुदा के बनाये बंदों को इंसान कैसे मार सकता है अपने ही ईश्वर/खुदा के प्रतिरूप का अपमान कर सकता है.
अपने ही पूज्य ईश्वर /खुदा का अपमान इंसान जैसा बुद्धिमान प्राणी कैसे कर सकता है, अगर यह स्वार्थ और राजनीति है कैसी है जो अपने ही ईश्वर/खुदा को दाव पर लगा रही है .
"ईश्वर एक है "कविता धर्म जात ईश्वर, खुदा, भगवान के नाम पर मतभेद एक दूसरे के जानी दुश्मन जब कि
सबको मालूम है कि ईश्वर/खुदा एक है उनके ही कई नाम हैं.
सारा ब्रह्मांड उनकी ही रचना है, उनके ही बनाए कई जीवो में खास जीव इंसान आपस में लड कर मर रहा है
दूसरे सारे जीवो को कम बुद्धी के वाबजूद भी समझ
आया की हमारा मालिक यांनी ईश्वर/खुदा एक ही हैं, मगर ईश्वर के सबसे प्रिय प्राणी इंसान को ज्यादा समझ होने के बाद भी समझ नहीं आया क्यों.
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_JPSB blog
jpsb.blogspot.com
Author is a member of SWA Mumbai.
Copyright of poem is reserved.
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