Friday, April 29, 2022

ईश मिलन की बेला (Ish milan ki bela)

         
Ish milan ki bela
Ish milan ki bela 
Image from:pexels.com 


जहां से मैं आया हूं..
वही मुझे जाना है..
बिछड़ा हूँ ईश्वर से..
ईश्वर में समाना है..
आने वाली है..
ईश मिलन की बेला..
खत्म होने को है..
यह दुनिया का मेला..

कौन हूँ मैं..
किस प्रकार का..
किस्सा हूं..
क्या ईश्वर का..
मैं हिस्सा हूँ..
कुदरत बताये मुझे..
खुद को समझाना है..
जब तक श्वास है..
ये शरीर है और शरीर में..
दिमाग है..
आत्मा कहा है छुपी..
जीते जी समझना है..

आत्मा इस शरीर से..
बिछुड़ कर..
क्या फिर संसाधन..
जुटा पाएगी..
या कहीं भटकती ..
रह जायेगी..
कि आत्मा के पास..
कोई बड़ा खजाना है..
आत्मा की मुझसे..
कब बात होगी..
साथ रहे हैं..
फिर..
आत्मा क्यों है वियोगी..

मैं पृथ्वी पर आया..
या लाया गया..
ये कोई सज़ा थी..
या कोई वरदान था..
या फिर..
किसी और ग्रह में..
मैं बहुत अच्छा..
इंसान था..
पृथ्वी कुदरत की जेल है..
या है ये माया नगरी..
अगर जेल है तो..
जल्द सज़ा हो पूरी..

सज़ा पूरी होने के बाद..
ईश मिलन की ईच्छा है..
ईश्वर के..
आलौकिक लोक की ..
कल्पना ज़हन में..
कभी आती है..
अत्याधिक प्रकाश में..
गुम हो जाती है..
क्या उस प्रकाश के पार..
अपना भी ठिकाना है..

या बार बार..
मर मर के..
इस पृथ्वी पर आना है ..
यहां हमारा क्या काम था..
हमने तो तलाशी..
पृथ्वी पर हंसी खुशी..
आराम मौज मस्ती..
कभी सोचा ही नहीं..
यहां से कभी ..
वापिस भी जाना है..

कितने ही..
पैगंबर भगवान..
पृथ्वी पर अवतरित हुये..
और अपना काम..
पूरा कर अपने लोक..
लौट गये..
हमे पता ही नहीं..
कि पृथ्वी पर..
हमारा काम क्या है..
तो क्या बिना काम..
खाली हाथ लौट जाना है..

पृथ्वी पर..
हम आये अवारा..
जायेंगे भी अवारा..
पूरे जीवन काल..
हमने कभी सोचा ना था..
अब अंतिम बेला में..
फर्ज कर्तव्य..
याद आ रहा है..
जो कि हमने..
कभी किया ही नहीं..
या मौत का डर..
सता रहा है..
जब कि पता है..
मौत ईश मिलन की ..
मधुर बेला है..
अब खत्म ये दुनिया का..
अद्भुत मेला है..!!

_JPSB 

कविता की विवेचना:

ईश मिलन की बेला/Ish milan ki bela कविता एक आत्म मंथन है कि लेखक क्यों इस दुनिया में आया और उसने क्या कमाया और गवाया .

ईश्वर ने इस पृथ्वी पर क्यों भेजा, क्या कोई खास काम था, या यह पृथ्वी एक जेल है, दूसरे लोक में किये गुनाहों की सज़ा भुगतने की जगह.

क्या पृथ्वी लोक में गुनाहगार सज़ा भुगत रहें हैं, चाहें अमीर हो या गरीब उनमे से एक यह लेखक भी है. 

क्या सज़ा पूरी होने के बाद ईश्वर से मिलन होगा, हमें कोई और शरीर मिलेगा या कोई और संसाधन, आत्मा सारी जिंदगी साथ रही मगर कभी उससे बात मुलाकात नहीं हुई. 

क्या आत्मा परमात्मा से मिलेगी जो उनका ही एक हिस्सा है मगर हमे जीते जी एहसास ना हुआ .

"ईश मिलन की बेला " कविता कई अनुत्तरित प्रश्नों का एक गुच्छा है जिनके उतर ईश्वर को ही पता हैं. ईश मिलन की बेला मृत्यु के बाद आयेगी लेखक को विश्वास है, तब ही सारे प्रश्नो के उतर अपने आप मिल जायेंगे. 

कृपया कविता को पढे और शेयर करें. 
अच्छी लगे तो लाइक करें.

-JPSB 
jpsb.blogspot.com 
Author is a member of SWA Mumbai 
Copy right apply on Poem 



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