Saturday, August 28, 2021

आजादी की बंदर बांट( Azadi ki Bander bant)

Azadi ki Bander bant
Azadi ki Bander bant
Image from: picabay.com



हमे प्रफुलित धरती और आकाश चाहिए..
गांव गांव में सबका विकास चाहिए..
हमे खुली आजादी वाला प्रकाश चाहिए..
राजनीति वालों यू बहलाओ ना हमे..
हमे भी लोकतन्त्र का एहसास चाहिए..

कुछ मुट्ठी भर लोगों ने किया क्यों..
सबकी आज़ादी के हक का हनन..
कैसे मिले गरीबी से आजादी..
यह सबको मिलकर करना है मनन..

क्या राजनीति देश का भला नहीं चाहती..
पूंजीपतियों की मुट्ठी में क्यों बंद है..
इस देश की पावन माटी..
आजादी के मतवालों फिर याद है सताती ..

वो कर गए जान कुर्बान अपनी..
आजादी के हिस्से हुए..
कुछ रसूखदार लोगो ने..
ज्यादा आजादी हड़प ली..

उनके हिस्से महल चौबारे..
 पूंजी सत्ता और  अधिकार ..
हमारे हिस्से भुखमरी बेरोजगारी..
अन्याय मजबूरी मुफलिसी..

कोई तो न्याय करो इस बात का..
देश की आज़ादी पर अधिकार है सबका..
फिर यह बंदर बांट किसने कर दी..
अमृत सा मिला था आज़ादी के मंथन में..
तो अमृत किसने पिया..
हमे विष क्यों कर दिया..

हमारे मन में प्यास ही प्यास भर दी..
अब देख रहा पपिहा आसमान की ओर..
पपिहा प्यासा ही क्यों रहा..
जब आजादी की बरसात भगवान ने कर दी..
भगवान के घर देर है अंधेर नही है..
फिर अंधेरी दुनिया किसने जनता की कर दी..!!


_जे पी एस बी  

कविता की विवेचना:

आजादी की बंदर बांट/ Aazadi ki bander bant कविता आजादी के बाद अधिकारों के असमान वितरण के सदर्भ में है।

हमारे पूर्वजों ने अपनी कुर्बानियां दी शहिदिया दी अपना खून  बहाया लाखो तकलीफे सही और तब यह आज़ादी हमे नसीब हुई।

मगर यह आज़ादी कुछ लोगो तक ही सीमित हो कर रह गई देश की 80% आबादी को आजादी मिली ही नही , अंगर्जो की जगह भारतीय शासन कर्ताओं ने ली। गरीब गरीब ही रहा बल्कि गरीबी और बढ़ गई।

आजादी का एक समान वितरण होता तो आज देश में कोई गरीब ,भूखा ,भिखारी ना होता।भिखारी गरीब के लिए भी यह देश आजाद हुआ है और उनका भी यह देश उतना ही है जितना किसी अमीर का है।

फिर गरीब को मिनिमम कमाई का हक क्यों नही दिया, उसे मुफ्त अच्छी शिक्षा क्यों नही उपलब्ध है , क्यों गरीब गरीब ही है ।

गरीब के लिए अच्छी स्वास्थ सुविधाएं क्यों नही हैं।
अभी करोना कल में दूसरी लहर में लाखो आम लोग ऑक्सीजन हॉस्पिटल और दवाई के अभाव में मर गए।
मगर किसी कोई परवाह नही थी उनकी।

अब शिक्षा गरीब वर्ग तो क्या मध्यम वर्ग के लिए भी दुर्लभ हो गई है, शिक्षा के व्यवसायीकरण  के कारण।
आजाद देश में शिक्षा और स्वास्थ्य का राष्ट्रीयकरण होना चाहिए शिक्षा और स्वास्थ का व्यवसाय बिकुल भी नही होना चाहिए , मगर हो रहा है।

भारत कृषि प्रधान देश है देश की आबादी का एक तिहाई हिस्सा गांव में रहता है, गांव में कुटीर लघु उद्योग क्यों नही लगे, जब की बापू चरखे को सांकेतिक तौर पर दिखाकर ग्रामीण उद्योग का संकेत दे रहे थे।मगर बापू की बात भी नहीं रखी गई।

"आजादी की बंदर बांट" कविता में आजादी का लाभ कुछ लोगो तक ही सिमट कर रह गया है वर्णन किया है।

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... इति...

_जे पी एस बी
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दुनिया और भी है( Duniya aur bhi hai)


Duniya aur bhi hai
Duniya aur bhi hai
Image from:pixabay.com



इस दुनिया में आपस में लड़ने वालों..
तुमने किया कुछ गौर भी है..
इस दुनिया के आगे करोड़ो दुन्याये और भी हैं..
कई सूरज चांद अनगिनत सितारे..
इन सितारों के आगे आसमान और भी हैं..

ये दरिया समुंदरों तुफानों का शोर भी है..
इन समुंदरो के आगे अनगिनत समुंदर और भी हैं..
तुमने चांद मंगल इस सौर मंडल को मापा..
कुछ न हांथ लगा खास..
तुम्हारी साइंस खुदा के आगे कमजोर भी है..

ऐसे अनगिनत सौर मंडल और भी हैं..
तुमने राकेट अंतरिक्ष यान बहुत बनाए..
मगर तुम्हारी पहुंच कुछ भी नही कुदरत के आगे ..
नही पहुंच सकोगे कुदरत के रहस्यो तक..
चाहे लाखों सालों तक भी तुम्हारे रॉकेट भागे..

तुम्हे आजमाया था कुदरत ने..
यह पृथ्वी देकर..
तुम आपस में ही लड़ मरे..
मेरा मेरा कहकर..

अभी तो छोटी सी उम्र..
और थोड़ा सा दिमाग दिया है..
उतने में ही तुमने झमेला..
बहुत बड़ा खड़ा किया है..

खुद ही बना डाले ..
इस दुनिया की तबाही के हथियार..
लड़ाई कटाई मार काट..
थोड़ा सा भी बचाया नहीं तुमने प्यार..

अगर तुमने कुछ अच्छा किया होता..
कुदरत ने तुम्हे बहुत सी उम्र ..
और ज्यादा दिमाग दिया होता..
तुम हो गए कुदरत की परीक्षा में फेल..
तुम्हे कुदरत ने सुंदर पृथ्वी दी थी..
तुमने बना दिया इसे गंदी जेल..!!


_जे पी एस बी 


कविता की विवेचना:

दुनिया और भी है/ Duniya aur bhi hai कविता इस धरती में बढ़ रहे लड़ाई झगड़े, हथियारों की होड़ आतंकवाद , नफ़रत, पैल्यूशन पर आधारित है।

कविता के माध्यम से पृथ्वी वासियों से आग्रह किया है कि तुम्हे भगवान ने इतनी सुंदर धरती पर जन्म दिया चेहरा मोहरा दिया दिमाग दिया।

धरती दी जल, पानी, हवा ,अनाज,फल फूल, खनिज आदि लिस्ट बनाएंगे तो अनंत तक जाएगी । क्या बचा है जो नही दिया ।

और तुमने क्या किया उस धरती को नरक बना दिया , खुद को मारने के लिए खुद ही हथियार बना लिए , धरती को बुरी तरह पोलिशन से भर दिया।

यह धरती मुनष्य का व्यवहार अजमाने के लिए भगवान ने दी थी मगर मनुष्य भगवान की परीक्षा में फेल हुआ।

 मनुष्य ने मजहब और कुदरत के नाम पर एक दूजे को मारा ,दूसरे जीवों का जीना दुभर कर दिया , कई जीवों की तो नशले खत्म कर दी।

मनुष्य ईश्वर की परीक्षा में पास हु़वा होता तो उसे दूसरी पृथ्वी भी मिलती फिर हो सकता तीसरी चौथी आदि और साथ में लंबी उमर और ज्यादा दिमाग भी मिलता ।

मगर मनुष्य ईश्वर के दिए 5% से ही  इतने ज्यादा दंभ में आ गया कि कुदरत ने सोचा इसे इससे ज्यादा दिया तो और कहर ढायेगा।

इस लिए कुदरत ने देना सीमित कर दिया । और मनुष्य अभी ना सुधरा तो यह सब भी छीन लेगा हो सकता है मनुष्य इस धरती से लुप्त कर दे ईश्वर।

इस पृथ्वि से और भी बढ़कर करोड़ो पृथ्वी सूरज हैं इस ब्रह्माण्ड में जान बुझ कर कुदरत ने उनकी दूरी इतनी लंबी लाखो प्रकाश वर्ष में रखीं कि जीते जी मनुष्य वहा कभी नहीं पहुंच पाएगा।

अब तो नासा ने करोड़ो में से  7 पृथ्वी ढूंढ ली हैं।मगर वहा तक जीते जी मनुष्य का जाना असंभव है।
अगर मनुष्य इस पृथ्वी पर इतने खुराफात न करता तो उसे और पृथ्वी भी मिलती थी, मगर अब नही।

"दुनिया और भी है" कविता में मनुष्य को यही आगाह किया गया की और खुराफात मत कर एक दूजे को मत मार सुधार जायेगा तो कुदरत से बहुत कुछ पाएगा।

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... इति...
_जे पी एस बी

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Thursday, August 26, 2021

पराया दोस्त(Paraya Dost)

Paraya-Dost
Paraya-Dost
Image from:pexels.com



एक दोस्त पुराना ..
दिल की गहराईयों में बसता है..
मन हमेशा उसे याद करता है..
उससे मिलने की इच्छा रखता है..

मगर वो दोस्त अब..
पराया सा लगता है..
भीड़ में से कोइ शक्स..
बुलाया सा लगता है..

मन बनाया कई बार..
उसे मिलने जाने का..
एक टीस सी उठती है दिल में..
शंका, पहचानेगा कि नहीं..

इरादा बदलता हूं ..
नही जाऊंगा ,अभी नहीं..
अगर भीड़ में मिल जाए कहीं..
पहचानुगा मैं उसे..
शायद वो मुझे पहचाने नही..

अजनबी से बन मिलेंगे..
फिर से एक बार दोस्ती करेंगे..
खून से भी गहरा रिश्ता ..
कैसे बन गया एकदम से पानी..
बहुत रहस्मयी है यह  कहानी..

क्या हो सकती है मजबूरी..
बना ली इतनी बड़ी दूरी..
या रिश्ता बोझ लगने लगा था..
इसलिए समझा तोड़ना अच्छा..

दिल अभी भी धड़कता है..
उस दोस्त के नाम से..
उसे भी याद आते होंगे लम्हे..
जो साथ बिताए थे आराम से..

छोटी सी जिंदगानी..
दोस्ती के रिश्ते का बोझ..
सह ना सकी..
मरने से पहले..
कहो कैसे हो मेरे दोस्त..
कह ना सकी..
दोस्ती के प्यारे रिश्ते को..
मौत भी फिर मिला न सकी..!!

_जे पी एस बी 

कविता की विवेचना:

पराया दोस्त/ Paraya Dost कविता दो जिगरी दोस्तों की कहानी है जो बाद में अनजान से हो गए।

दोस्ती का रिश्ता एक अनोखा रिश्ता जो भाई बहिन और
और ब्लड रिलेशन से अलग खास मुकाम रखता है, कई बार तो यह ब्लड रिलेशन से कही ऊपर एक दूजे के प्रति समर्पण और त्याग के कारण बन जाता है।

इतिहास में श्री कृष्ण भगवान का श्री सुदामा जी से दोस्ती का रिश्ता, जिसे कृष्ण भगवान ने बहुत समान दिया और इस रिश्ते को बहुत ज्यादा शिखर पर पहुंचा दिया जिसे आज भी हम याद करते हैं।

दूसरा ऐतिहासिक उदाहरण दानवीर कर्ण का दुर्योधन से दोस्ती निभाने और दोस्ती में दिया वचन अपना वचन  निभाने का है। 

जिसको  कर्ण ने अपनी जान देकर पूरा किया, जब कि कर्ण को मालूम था की पांडव उसके सके भाई हैं , फिर भी उसने युद्ध अपने दोस्त दुर्योधन की ओर से पांडवो के खिलाफ किया और अपनी जान की आहुति दी ।

जब कि उनको यह भी पता था कि दुर्योधन गलत है, मगर कर्ण ने अपनी जान उस युद्ध में दोस्ती की खातिर गवाई।

मगर जैसे जैसे आधुनिक समय आता जा रहा है दोस्ती की महत्ता कम होती जा रही है, जब सगे रिश्तों की महत्ता ही नही रही अब तो दोस्ती तो दूर की बात है।

हो सकता है कुछ समय बाद दोस्ती शब्द ही खत्म हो जाए
अब दोस्ती एक फ्रेंडशिप बैंड हो कर रह गई है वो भी लड़के लड़कियों में यह विदेशी इंपोर्ट की गई दोस्ती है।

"पराया दोस्त" कविता में वर्णन जिगरी दोस्त का अनजान  कारणों से अपने दोस्त से दूर चले जाना एक किस्म से भुला देना, पराया सा व्यवहार करना दोस्त को इग्नोर करना मिलने की या बात करने की इक्षा ना रखना,
हो सकता है उस दोस्त दोस्त की भी कोई मजबूरी हो कि मिलना चाहते हुए भी न मिलता हो।

मगर दिल का रिश्ता जो एक बार जुड़ जाता है मरते दम तक टुटता नहीं , जैसे इस कहानी में भी भले ये दोस्त आपस में ना मिलते हो न बात करते हो मगर याद अक्सर अपने साथ बिताए अच्छे खुसनुमा लहमो को याद करते हैं और मरते दम तक करते रहेगें, यही दोस्ती है।

"पराया दोस्त" कविता में दोस्त को पराया कहने में भी बहुत पीड़ा है उसी दोस्त विरह पीड़ा का वर्णन इस कविता में किया है।इस कविता के प्रेणना श्रोत मशहूर शायर स्वर्गीय श्री राहत इंदौरी जी हैं, कविता श्री राहत इंदौरी जी को श्रद्धासुमन अर्पित करती है।

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... इति..

_जे पी एस बी
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Sunday, August 22, 2021

रेशमी धागा(Reshmi dhaga)


Reshmi dhaga
Reshmi dhaga
Image from :amazon.in



ये रेशमी धागा ..
गहरा प्यार है भाई बहिन का..
रेशमी धागे पर सुनहरी तार..
यह ही है पवित्र राखी का त्योहार..

बहिन से भैया प्यारे..
बंधवा ले रेशमी राखी..
तेरी सुंदर सी कलाई पर..
सजा ले पावन राखी..
इस राखी में बहिन की..
लाखों दुवाए गुथी हैं..
भाई के सुख दुख में..
बहिन भी बंधी है..

तेरे सुख में बहिना बहुत चाव में थी..
तेरे दुख में वो सदा तेरे साथ चली..
हर पल वो चाहें  ..
अपने भाई की तरक्की और भली..

बांध भैया रेशमी राखी ..
और जवानी का मान कर ले..
सुख की कामना और दुवाएं..
आज  पावन पर्व पर स्वीकार कर ले..
बहिन को भी अपने भैया पर गुमान है रे..

यह रेशमी धागा बहुत मजबूत पका है..
हर भाई बहिन का प्यार इसमें बसा है..
यह धागा भाई बहिन की उमंगों से भरा है..
हर भाई आज अपनी अपनी बहीना के..
इंतजार में पलके बिछाए  खड़ा है..

सब बहिन भाईयो को ..
राखी का पावन त्यौहार मुबारक..
बहिन भाईयो पर आज खुशियों की बरसात हो..
लाखो करोड़ो दुवायो की सौगात हो..!!

Ye Reshmi dhaga..
Gahra pyar hai bhai bahan ka..
Reshmi dhage par sunheri tar..
Yah hi hai pavitra rakhi ka tyohar..

Bahin se bhaiya pyare..
Bandhva le Reshmi rakhi..
Teri sunder si kalai par..
 Saja le Pawan si rakhi..
Ise rakhi me bahin ki ..
Lakho duva yen guthi hai..
Bhai ke sukh dukh main..
Bahin bhi bandhi hai..

Tere sukh main bahana..
Bahut chav main thi..
Tere dukh main sada..
Tere Sath wo chali..
Har pal woh chahe..
Apne bhai ki tarakki aur bhali..

Bandh bhaiya Reshmi rakhi..
Aur jawan ka maan kar le..
Sukh ka kamnaye aur duvayen..
Aaj Pawan parv par swikar kar le..
Bhabhi ko bhi apne bhiya par ..
Sada guman raha re..

Yah Reshmi dhaga mazbut pakka hai..
Har bahin bhai ka pyar isme basa hai..
Yah dhaga bhai bahin ki..
Umango se bhra hai..
Har bhai aaj apni apni bahina ke..
intjar main Palke bichhaye khada hai..

Sabhi bahin bhaiyo ko ..
Rakhi ka Pawan tyohar mubarak..
Bahin bhaiyo par aaj khushiyo ki..
Barshat ho..
Lakho karoron duvayo ki sougaat ho..!!


_जे पी एस बी

कविता की विवेचना:

रेशमी धागा/Reshmi dhaga कविता भाई बहिन के पवित्र त्योहार राखी ( रक्षा बंधन) पर आधारित है।

पूरे विश्व में भाई बहिन के इस पवित्र रिश्ते का त्योहार भारत में ही मनाया जाता है जो कि इस रिश्ते को और गर्मामयी और प्यारा बनाता है।

इस दिन बहिन पूजा की थाली और मिठाई लेकर भाई के घर जाती  है अगर भाई बहिन माता पिता के घर पर है तो वही यह त्योहार मनाते हैं।

बहिन भाई को तिलक लगाकर उसकी दीपक से आरती उतारती है और मिठाई खिलाती है, भाई भी बहिन को मिठाई खिलाता है और उपहार देता है।
और बहिन को वचन देता है की वह सारी उमर उसकी किसी भी मुसीबत आने पर रक्षा करेगा जो कि उसका परम फर्ज और कर्तव्य है।

फिर पूरा परिवार मिलकर इस दिन को खास भोजन बना एक साथ खाकर मनाते हैं , पूरा दिन उलाश पूर्ण होता है।

" रेशमी धागा" कविता में राखी के त्योहार की महत्ता और गरिमा का वर्णन किया गया और इसे अनूठे प्यार के बंधन को रेखाकित किया है।

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... इति...
_जे पी एस बी
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Saturday, August 21, 2021

जिन्दगी जेल है( Life is Prison)

Life-is-Prison
Life is Prison
Image from: pexels.com



हमे क्यों लगता है कि..
जिंदगी एक जेल है..
शरीर रूपी पिंजरे में..
आत्मा बंद कर दी..
और उसमें भूख प्यास..
और कई संवेदनाएं भर दी..

पूरी जिंदगी इन संवेदनाओं..
को पूरा करने में चली जाती है..
थक कर सांस भी नही ले पाते..
कि मौत  नजदीक आ जाती है..

जब मौत का डर सताता है..
तो भगवान की याद आती है..
फिर मंदिर मंदिर दर्शन और..
सुबह शाम भगवान की आरती है..


भगवान ने किसी को..
अच्छी शकल सूरत दी..
किसी को सुरीली आवाज दी..
किसी को दिमाग और अनोखी..
अकल दी,  और किसी को ..
प्यार मोहब्बत दी..


किसी को लंबी उम्र दी..
और किसी को जल्द ही मार दिया..
किसी को दौलत अपार दी..
और किसी को दाने दाने के..
लिए तरसाया मोहताज किया..


किसी को बनाया सबका सिरमौर..
कोई चरा रहा किसी के ढोर्..
किसी को राजपाट दे राजा बनाया..
उस राजा ने जनता को बहुत सताया..


किसी ने दी गई रूप रंग आवाज़ से..
खूब नाम और पैसा कमाया..
और कोई हर आम चीज के लिए तरसा..
सड़को पर भीख मांगता नजर आया..


कई सितारे इस जमीन पर बने..
बहुत चमके और ओझल हो गए..
कोई दीपक जल भी ना पाया..
उसने सिर्फ धुवां ही उड़ाया..


किसी को अपार सुख भोग दिए..
किसी के नसीब दुखो से भर दिए..
मैं नादान हूं प्रभु  बताए क्यों किया ऐसा..
क्यों बनाया सबसे बड़ा ये पैसा..


क्यों  इस शरीर रूपी पिंजरे में..
हमारी जान फसाई..
बचपन जवानी  बुढ़ापा रूप दिया ..
और अंत में सब छीन लिया..
और फिर मौत भी आई..
भगवन तूने काहे को ये दुनिया बनाई ..!!



_जे पी एस बी

कविता की विवेचना:

जिंदगी जेल है/ Life is Prison कविता में मनुष्य की लाइफ को कवि ने कैद महसूस किया है।

कवि इन्सान को जो शरीर भगवान ने आबंटित किया है उसको एक पिंजरा माना है और आत्मा उसमे कैद है।
इस शरीर को भूख प्यास ठंडी गर्मी लगती है , दिमाग और दिल भी शरीर में हैं उसमे भावनाएं दुख दर्द प्यार ख्वाइसे आदि भी भरी हैं।

इन भावनाओ को और भूख प्यास को पूरा करते करते पूरी जिंदगी लग जाती है आदमी थक जाता है मगर इस शरीर की मांगे पूरी नहीं कर पाता और उसका चेहरा शरीर धीरे धीरे कमजोर और अपनी सुंदरता खोने लगता है , और फिर मौत भी आ जाती है।

आत्मा को इस पिंजरे में क्यों कैद किया , क्यों नही आजाद रहने दिया , साथ में भूख प्यास बीमारियां और कई तरह की भावनाओं में बांध दिया, भगवान ने इंसान को ऐसी उलझनों में क्यों डाला और यह दुनिया बना डाली , कई पिंजरे दिखते हैं इंसान और जीव जंतु पशु पंक्षी के रूप में  घूमते हुए।
 
" जिंदगी जेल है" कविता में कवि भगवान से यही जानना चाहता की आखिर यह दुनिया उन्होने  क्यो बनाई और  इंसान को शरीर रूपी पिंजरे में क्यों बंद किया ।
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... इति...

_जे पी एस बी
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Thursday, August 19, 2021

जुबां खामोश है( Juban khamosh hai)


Juban khamosh hai
Juban Khamosh hai
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जुबां खामोश ने..
चुप्पी ने होश में..
इशारा किया है कि बुझदिल है हम..
ढायो हम पर तुम कितने भी सितम..
सिसकेंगे ना हम तुम्हारी लेते कसम..

जुबां खामोश ने..
चुप्पी ने होश में..
तुम राज करो बे कायदा..
हमारा है तुम से वायदा..
आवाज न उठेगी कभी विरोध में..
जी भर कर उठाओ इसका फायदा..

जुबां खामोश ने..
चुप्पी ने होश में..
इरादा तुम्हारा जो कुछ भी हो..
बस हमे कोई तकलीफ ना दो..
हम चुप है तुम्हारे सदा से मुरीद हैं..
नतमस्तक हैं तुमसे दया की उम्मीद है..

जुबां खामोश ने..
चुप्पी ने होश में..
बदल डालो चाहे तुम ..
सारे नियम कानून..
करो जो जी चाहे जितना भी है जनून..
नियमों का कोई भी ना पूछेगा मजबून..

जुबां खामोश ने..
चुप्पी ने होश में..
तुम खुश हो जिसमे तुम्हे खुली छूट है..
लूट लो चाहे जितना राम नाम की लूट है..
फिर भी हम जय जयकार तुम्हारी करेंगे..
यही करता अब हम सबको शूट है..

जुबां खामोश ने..
चुप्पी ने होश में..
इसारा किया शिकारी आ..
मुझे दबोच या मारकर खा..
वादा है ना होगा कोई विरोध दर्ज..
चाहे कितना भी हो जिस्मानी दर्द..

जुबां खामोश ने..
चुप्पी ने होश में..
गुलामी की जंजीरें खुद ही पहन ली..
जान बख्श दो बहुत ज्यादा डरते हैं..
यूं तो अपने देश पर हम दिलों जा से मरते हैं..
हिमंत दगा दे गई डर डर देश को प्यार करते हैं..

जुबां खामोश ने..
चुप्पी ने होश में..
पर बचना देश भक्तों से जब लोट आए कभी..
जान लूटा देंगे वो देश पर मिटा कर अपना सभी..
क्यों कि इरादा उनका भी देश के प्रति मजबूत है..

जुबां खामोश ने..
चुप्पी ने होश में..
गुलामी की जंजीरों को तोडा था पहले भी..
उनकी अपनी उनकी जान हथेली पर थी..
आजादी के परवाने मौत से डरते नहीं कभी..
यही उनकी रीत है मौत से उनकी गहरी प्रीत है..!!


_जे पी एस बी

कविता की विवेचना:

जुबां खामोश है/ Juban khamosh hai कविता में जहा तानाशाही शासन होता है, जनता पर तरह तरह के जुल्म होते है अगर जनता तानाशाह की हा में हां नही मिलाती उस तानाशाही शासन का वर्णन कविता में किया गया है।

तानाशाही शासन के विश्व में  कई उदाहरण हैं उनमें से सबसे प्रसिद्ध हिटलर है, हमारा देश भी बरसों मुगलों और अंग्रेजों का गुलाम रहा है, और हजारों लाखों कुर्बानियों और शहिदियो के बाद हमे आजादी नसीब हुई है।

तानाशाही का ताजा उदाहरण अफगानिस्तान है।तानाशाह अपने ही देश वाशियो की आज़ादी छीन कर उनकी जिंदगी नरक बना देते हैं , चंद लोग अपनी सोच करोड़ों लोगों पर थोपते हैं, और लोक जान और सजा के डर से यह सब सहने को बजबूर हो जाते हैं।

ऐसी तानाशाही से देश का बहुत बड़ा नुकसान होता है , देश बर्बाद हो जाता है , नागरिकों की जिंदगी जानवरो जैसी हो जाती है।अफगानितान इसका ताजा उदाहरण है।

कभी यही तानाशाही लोकतांत्रिक देशों में भी आ जाती है जब गलत लोग चुनाव जीत कर सता में आ जाते हैं , जैसे पाकिस्तान में भी तानाशाही कभी हावी रहती है, मैनम्यार में भी तानाशाही शासन है।

लोकतांत्रिक देशों में भी शासक अपने पक्ष में नए कानून बनाकर या उनमें संशोधन करके एक तरह से तानाशाही चुपके से अपना लेते हैं, देश के नागरिकों को पता भी नही होता कि कब कौन सा कानून बना कर लागू कर दिया गया है जो कि जनता के अधिकारों का हनन करता है।

जब कि जनता को कानून बनने से पहिले उसकी जानकारी दी जानी चाहिए और जनता की राय भी नए कानून के पक्ष विपक्ष में लेनी चाहिए ,सबकी सहमति और व्यापक वोटिंग पंतच्यात स्तर तक होकर ही नया कानून लागू होना चाहिए , मगर कई बार ऐसा नहीं होता और कानून बन कर लागू हो जाते है ,जैसे कृषि कानून , इस तरह भी आंशिक तानाशाही कर दी जाती है , मगर लोकतंत्र में विरोध का अधिकार जनता को है।

मगर पूर्ण तानाशाही में कोई भी अधिकार नही होता सीधा सजा और मौत बिना ट्रायल होती है , हिटलर और अफगानिस्तान ताजा उदाहरण हैं।

"जुबां खामोश है" कविता में इसी तानाशाही का दर्द आम नागरिकों के माध्यम से व्यक्त किया है।
कृपया कविता को पढ़े और शेयर करें।
कृपया और कविताओं के लिए jpsbblog.com को Visit करे।

... इति...

_जे पी एस बी 
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Monday, August 16, 2021

जिन्दगी बोझ है( Life is Burden)

Life-is-Burden
Life is Burden
Image from: pexels.com



जिन्दगी बोझ है ..
लगता क्यों रोज है..
जुल्म सहते सहते..
डर कर गलत को..
सही कहते कहते..

आजादी से पहले भी..
अगर जुल्म की खिलाफत..
ना कर डर कर चुप रह जाते..
गलत को गलत ना कहते..
आज भी हम गुलाम ही रहते..

मुगलों अंग्रेजो की ..
गुलामी के बाद अब..
पूंजी पतियों की गुलामी..
देख रहे है हम होते..
धिरे धिरे जा रहे है हम..
यह लोकतंत्र खोते..

135करोड़ जनता का ..
मुकद्दर चंद नेता ..
पूंजीपतियों के आदेश पर..
लिख देंगे उनके पक्ष का होते..
हम रह जायेंगे सोते..

लोकतंत्र  राजतंत्र में ..
बदल रहा है चुपके चुपके..
देख रहे हैं हम आम जनता की..
उपेक्षा होते होते..
और हम जा रहे हैं..
अब अपना वोट का हक भी खोते..

जब तक नींद से जागेगी जनता..
बहुत देर हो जायेगी..
हम रह जाएंगे पस्तताते ..
और हाथ मल कर रोते..

अब फिर कौन हमे ..
आज़ाद कराएगा अपनी कुर्बानी देके..
क्यों कि अब तक..
भगत सिंह और चंद्रशेखर..
वापिस नही लौटे..

हम खुद पहन रहे हैं..
गुलामी की जंजीरों को..
अपना विश्वाश और यथार्थ खोते..!!

_ जे पी एस बी


कविता की विवेचना:

जिंदगी बोझ है/ Life is burden कविता जनता के लोकतांत्रिक अधिकारों के बारे में वर्णन करती है।

देश में कोई भी नया कानून बनता है तो जनता को उसके बारे में पूर्ण जानकारी होनी चाहिए।विभन्न प्रकार के प्रसार माध्यमों से जनता की राय उस कानून के बारे में लेनी चाहिए। प्रमुख अखबारों वेब साइट्स और
 टेलीविजन माध्यम  से जनता तक नए कानून के बारे में जानकारी होनी चाहिए और नए कानून को पास करने करने के लिए देश भर में पंचायत स्तर तक वोटिंग होनी चाहिए।

अभी तक अगर ऐसी व्यवथा नही है तो इसे बनाना चाहिए क्यों की ऐसा नहीं होना जनता के लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन है।

अभी हाल में कुछ कानून अध्यादेसो द्वारा पास कर दिए गए मगर जनता को पता ही नही इनके बारे में ,जैसे कृषि कानून और लेबर कानून, कृषि कानूनों का देश भर में किसान विरोध कर रहे हैं, लेबर कानूनों का अभी तक जिन पर लागू होने है उसी लेबर को पता नही है।

बाद में इन कानूनों की आड़ में लेबर का शोषण औधोग पतियों और पूंजीपतियों द्वारा होगा और उस लेबर की कोई सुनवाई नहीं होगी।

अंग्रेजो के जमाने के कानूनों को अंग्रेजो में अपना हित साधने के लिए बनाए थे रद्द कर देने चाहिए और आजाद भारत के अनुसार कानून बनाने चाहिए, पोलिस कानून भी अंग्रेजों के जमाने के है जो उन्होंने जनता का दमन करने के लिए बनाए थे । पुलिस कानून भी नए सिरे से आजाद भारत के अनुरूप बनाने चाहिए।

" जिंदगी बोझ है" कविता में जनता के लोकतांत्रिक अधिकारों का वर्णन किया गया है। चंद लोग 135करोड़ जनता के अहित करने वाले कानून बना दे या असमाजिक तत्व अगर गलती से संसद पहुंच जाता है और अधिकार हासिल कर लेता है तो देश के लोकतंत्र का बहुत बड़ा अहित हो जायेगा ।

और गांधी जी का आज़ाद भारत का सपना चूर चूर हो जायेगा।बहुमत गरीब किसान मजदूरों का है बहुमत के अनुसार और लोकतांत्रिक नियमों के अनुसार अधिकतर कानून इनके फेवर में होने चाहिए जो कि नही है।

 ज्यादातर कानून पूंजीपतियों के पक्ष में है उनमें भी सुधार करना चाहिए और सच्चा लोकतंत्र स्थापित करना चाहिए।

"जिंदगी बोझ है" कविता में आम जनता के लोकतांत्रिक अधिकारों का वर्णन है, कृपया कविता को पढ़े और शेयर करें।

... इति...

_जे पी एस बी 
jpsb.blogspot.com







Thursday, August 12, 2021

मन की बात( Mann ki Baat)

Mann ki baat
Mann ki Baat
Image from: pexels.com



तेरा देश मेरा देश..
तेरे मन की बात..
मेरे मन की बात..
सबके मन की बात..
करता है कोई एक..
क्या है वो कोई दरवेश..

मन की बात में देश का भला..
किसको आती है रिझाने की कला..
देश में हैं देश वासी..
आबादी है अच्छी खासी..
सुनते हैं मन की बात नतमस्तक..
चाहे गरीबी दे कितनी भी दस्तक..



रेडियो पर मन की बात सुनी..

प्रधान सेवक के मन की बात...

जन गण ढूंढता है उसमे ...

अपने मन की बात...

जनता की झोली खाली है...

और आप सेवक से राजा हो गए...

जनता आपकी जय जयकार कर रही है...

पूरा देश आपके कदमों में लोटा है...

यह सच है कि धोखा है...

आपको ही पता है आपके मन की बात...

सच में झूठ की कितनी मिलावट...

देश विदेश में जोरदार भाषण की आदत...

अपनी मर्जी के मालिक...

महल डिजाइनर सूट मंहगी गाड़िया जेट जहाज...

कितना मजा है राजा होने में...

जनता को दुःख है सेवक खोने में...

डर और मौत का सन्नाटा...

करोना ने मारा जोरदार चांटा...

चारों ओर लाशें...

देश मर रहा है...

और हमारा प्रधान सेवक..

अपने मन की बात कर रहा है.. 

दवाई ऑक्सीजन की तलाश है...

राजा की ओर आशा की नजरें..

अब भी आश है...

क्या सब बकवास है...

मत पूछो क्या कर रहा है राजा...

जन जन को उस सेवक की तलाश है...!!

 

Tera desh Mera desh..

Tere mann ki baat ..

Mere mann ki baat..

Sabke mann ki baat..

Karta hai koi ek darvesh..


 Mann ki baat main desh ka bhala..

Kisko aati hai dikhane ki kala..

Desh main hai desh vashi..

Aabadi hai achhi khasi..

Sunte hai mann ki baat natmastak..

Chahe garibi de kitni bhi dastak..


Radio par mann ki baat suni..

Pradhan sewak ke mann ki baat..

Jan gad dhundhta hai..

Apne mann ki baat..

Janta ki jholi khali hai..

Aur aap sewak se Raja ho gaye..

Janta aapki jay jaykar kar rahi hai..

Pura desh aapke kadmon main lota hai..

Yah satya hai ki dhokha hai..

Aapko hi pata hai aapke mann ki baat..

Sach main jhooth ki kitni milawat..

Desh videsh main jordar bhasan ki aadat..

Apni margi ke malik..

Mahal desiner suit mahangi gadiyan jet jahaz..

Kitana maza hai raja hone main..

Janta ko dukh hai sewak khone main..

Dar aur mout ka sannata ..

Carona ne mara jordar chanta..

Charon aore lanssen..

Desh mar raha hai..

Aur hamara pradhan sewak..

Apne Mann ki baat kar raha hai..

Davai Oxigen ki talash hai..

Raja ki ore aasha ki nazren..

Ab bhi aash hai..

Kya sab bakvash hai..

Mat puchho kya kar raha hai raja..

Jan jan ko us sevak ki talash hai..!!


कविता की विवेचना:

मन की बात/ mann ki baat कविता हमारे आदरणीय

प्रधान सेवक के "मन की बात" प्रोग्राम हमारे सारे राष्ट्रीय प्रसारण से हर महीने की आखिरी इतवार को प्रसारित होता है।

यह प्रधान सेवक जी का जान संपर्क का अपना तरीका है।उनको लगता है सब ठीक ठाक है, हो सकता हैं उन तक ऐसी ही सूचना हो की सब ठीक ठाक है।

इतने विशाल देश में जन संपर्क का और बेहतर तरीका हो भी नही सकता। मगर इसमें सवाल उठता है एक तरफा मन की बात सही है क्या, बेहतर होता दो तरफा बात होती जैसे चिट्ठी होती है उसका जवाब होता है तो बात पूर्ण होती है।

यहां बात एक तरफा होने के कारण अधूरी सी रह जाती है और इस प्रोग्राम का मकसद जन संपर्क भी अधूरा रह जाता है।

इस प्रोग्राम के निर्माताओं ने क्यों इस दिशा में नही सोचा 

अगर अब तक नही सोचा तो अब सोच सकते हैं। आइडिया अच्छा है मगर अधूरा है यह पूरा सक्षम हो इस ओर प्रयास किए जाने चाहिए।

जनता को देश के प्रधान सेवक से अनेक आशाएं होती हैं जैसे घर में अपने बड़ों से होती है की यह हमारा भला ही होगा बुरा होने का तो सवाल ही नहीं, मगर जब उसके विपरीत बुरा होने लगे तो लगता है बहुत बड़ा कम्युनिकेशन गैप है।

 यह ही हो रहा है और इतने अर्से बाद भी इसमें कोई सुधार नहीं यही चिंता और दुख सताता है। लगता है की हमारा अपना अब अपना नही रहा और क्यों वो पराया सा व्यवहार कर रहा है राजा की तरह।

बात बहुत बड़ी है " मन की बात" कविता में इस बड़ी बात को संक्षेप में कहने की कोशिश और जन जन के मन की पीड़ा छिपी है जो हम चाहकर भी प्रधान सेवक से नहीं कह सकते ।कविता में इसी कठनाई को बयान किया गया है। 

कविता को पढ़े और कृपया शेयर करे शायद बात हम सबके मन की बात हो जाए।

... इति...

_जे पी एस बी 

jpsb.blogspot.com



Wednesday, August 11, 2021

कुतुब मीनार (kutub Minar)

Kutub Minar
Kutub Minar

Image From: pexels.com



कुतुब मीनार है..

          पृथ्वी पर निशान एक अनूठा..

जैसे पृथ्वी दिखा रही..

आसमान को अंगूठा...!!

 

इंशा की आसमान को छूने की कोशिश  मनसा..

और आसमान ,और ऊंचा उठता चला गया ..


मचल रही मीनार आसमान चूमने को..

मगर आसमान तैयार नहीं झुकने को..


जिमेवार अकड़ भी है मीनार की..

शदियों से है इन्तजार मिलन घड़ी की ..


शायद किसी युग में आसमान झुके..

प्यार का इज़हार करे और मीनार के पास रुके..


या फिर मीनार ही उड़ने का वरदान लेकर..

आसमान के निकले पार..


सब्र का फल मीठा होता है अकसर..

मीनार और आसमान हैं आमने सामने ..

बरसो से निहारते एक दूजे को दिन रात..

होगी जरूर कोई इनमे आपसी बात..

आएगी जरूर इनकी भी एक दिन मिलन की रात..!!


Qutub minar hai..

Prithvi par ek nishan anutha..

Jaise prithvi dikha rahi..

Aashman ko angutha..!!


Insan ki aashman chhune ki koshish mansa..

Aur aashman aur uncha chala gaya..


Machal rahi minar aasan chumane ko..

Magar aashan taiyar nahi jhukne ko..


Jimewar akkad bhi hai minar ki..

Shadiyon se intjar hai milan ghadi ki..


Shayad kisi yug main aashan jhuke..

Pyar ka izhar kare aur minar ke pas ruke..


Ya phir minar hi udane ka vardan lekar..

Aashman ke nikle paar..


Sabre ka fal mitha hota hai aksar..

Minar aur aashman hai aamne samane..

Barso se nihatthe ek duje ko din raat..

Hogi jarur inmen koi aapsi baat..

Aayegi jarur inki bhi ek din milan ki raat..!!


_जे पी एस बी


 कविता की विवेचना:

कुतुब मीनार/Qutab Minar कविता Unesco world Heritage site जो कि दिल्ली के महरौली में स्तिथ है।

कुतुब मीनार वर्ल्ड की पुरानी बेहतरीन इमारतों में शुमार होती है।इसे उस समय के मुस्लिम शासक कुतुबुद्दीन ऐबक ने सन 1199 में बनाना स्टार्ट किया था । उसके जीवन काल में इसे पूर्ण नहीं कर सका । कुतुबुद्दीन ऐबक के बाद उनके दामाद इलतुशमिस ने कूट मीनार को सन 1220 में कंप्लीट किया।

कुतुब मीनार की ऊंचाई 72.5मीटर(238ft) है।

कुतुब मीनार पर "परसों अरेबिक" भाषा इस्तेमाल की गई है।

"कुतुब मीनार " कविता में इसके अनोखेपन का वर्णन एक वर्ल्ड धरोहर के रूप में किया गया है।

कविता को पढ़े अच्छी लगे तो कृपया लाइक एवं शेयर करें ।

और कविताओं के लिए site: jpsbblog.com visit करे।

... इति...

_जे पी एस बी 

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Tuesday, August 10, 2021

गोल्डन बॉय ( Golden Boy)

Golden Boy
Golden Boy
Image from: Hindustantimes.com 



ट्रैक एण्ड फील्ड में ..
 
ओलोम्पिक गोल्ड के लिए..
भारत वर्षो तरसा..
नीरज आपकी अथक मेहनत..
और लगन प्रयासों से टोक्यो में..
आखिर भारत के लिए सोना बरसा..

ओलोम्पिक गोल्ड के लिए सपना..
अब सच हुआ, गोल्ड हुआ अपना..
इस गोल्ड से खुसियो ने ली अंगड़ाई है..
नीरज तुम्हारी अथक मेहनत रंग लाई है..

इस गोल्ड ने देश वासियों को..
हर्सो उलासित किया भरपूर..
एक खास जशन का मौका देकर..
देश वासियों के कई गम किए दूर..

नीरज तुम्हारी चीते सी फुर्ती..
आंखो को चकाचौंध करती है..
देश के युवाओं में नया जोश भरती है..
उत्साह और प्रेणना कि तुम भी करो कुछ और..

इस एक ओलंपिक गोल्ड से..
कई और गोल्डन बॉय गर्ल बनेंगे..
भारत को अगले ओलंपिक में..
सोने की चिड़िया बनाने का काम करेगें..

नीरज देश को तुम पे अभिमान और गुमान है..
जो देश का किया किया तूने ऊंचा नाम है..
देश के परचम को आसमान की बुलंदियों पर लहराया..
देश का तू पहला ट्रेक फील्ड का गोल्डन बॉय कहलाया..!!

Track & field main..
Olompic gold ke liye ..
Bharat varshon tarsa..
Neeraj aapki athak mehnat..
Aur lagan prayason se Tokyo main..
Akhir bharat ke liye sona barsa..

Olompic gold ke liye sapna..
Ab sach hua, gold hua apna..
Is gold se khushiyon ne li angdai hai..
Neeraj tumhari athak mehnat rang layi hai..

Is gold ne desh vasiyon ko..
Harso ullasit kiya bharpur..
Ek khash jashan ka mouka dekar..
Desh vasiyon ke kai gam kiye dur..

Neeraj tumhari chite si furti..
Aankhon ko chakachaundh karti hai..
Desh ke yuvao main naya josh Bharti hai..
Utsah aur parena ki tum bhi karo kuchh aur..

Is Olompic gold se ..
Kai golden boy girl banege..
Bharat ko agle Olompic me..
Sone ki chidiya banane ka kaam karenge..

Neeraj desh ko tumpe abhiman aur guman hai..
Jo desh ka kiya tumne uncha naam hai..
Desh ke parcham ko ashman ki bulandiyon par lahraya..
Desh ka tu pahla track & field ka golden boy kahlaya..!! 


..जे पी एस बी


कविता की विवेचना:

गोल्डन बॉय/ Golden Boy कविता भारत के लिए  ओलंपिक ट्रेक एण्ड फील्ड का पहला एहतासिक गोल्ड 
मेडल जो टोक्यो ओलम्पक में नीरज चोपड़ा ने जीत कर देश का और अपना नाम इतिहास के पन्नो में स्वर्णिम अक्षरों से हमेशा के लिए अंकित कर दिया है।

नीरज चोपड़ा का जन्म हरियाणा के गांव खंडरा में 24Dec. 1997को  हुआ था,नीरज चोपड़ा के पिता सतीश कुमार किसान हैं और मां सरोज देवी गृहणी है।
नीरज चोपड़ा 5 भाई बहिन हैं।

नीरज चोपड़ा ने 11साल की उमर से भला फैंकना सुरु किया था। 

उन्होंने 2016 में साउथ एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल जीता था। 2017में एशियन एथेलिक्स चैंपियनशिप में गोल्ड जीता था ,इसके बाद 2018कॉमन वेल्थ गेम्स में भी गोल्ड जीता था।

नीरज चोपड़ा को 2018 में अर्जुन अवार्ड दिया गया था।

नीरज चोपड़ा भारतीय सेना में  जूनियर  कमीशन अधिकारी हैं।

देश का नाम पुरे विश्व में ऊंचा किया और एक सौ तीस करोड़ देशवासियों का सीना गर्व से चौड़ा किया है, देश को अपने सपूत पर नाज है।

नीरज की गौरव गाथा जग जाहिर है, इसी गौरव गाथा को
कविता की पंक्तियों में कहने का प्रयास किया है।जब की नीरज की गौरव गाथा कहने के लिए कई उपन्यास भी काम पड़ेंगे।
Golden Boy कविता को पढ़े और कृपया शेयर करें।

... इति..

_जे पी एस बी 
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