Friday, July 30, 2021

जासूस(Jasoos)

Jasoos
Jasoos
Image from: pexels.com



ये कौन दुश्मन घुस आया..
जासूसी हो गई जिसके नाम से..
क्यों खतरा इस  देश को ..
अपने ही आवाम से..

या रंक से राज राजा होने की..
कहानी बहुत  पुरानी है..
किसी को अपनी कुर्सी बचानी है..
या राजतंत्र को चलाना है ..
 लोकत्तंत्र नाम से..

खास हो बैठे हमारे वोट से..
जो कभी हम जैसे आम थे..
अब किसान मजदूर गरीब ..
किसी को नही पहचानते..

आजीवन राजयोग का अपना सपना...
सच करना है दंड भेद साम से..
सालो राजा बने रहना है..
अत्याचार करना जनता आम पे...

ये कौन दुश्मन घुस आया..
जासूसी हुई जिसके नाम से..

Ye koun dushman  ghus aaya..
Jasoosi ho gayi jiske naam se..
Kyo khatra hai desh ko..
 apne hi awam se ..

Ya raja se rank hone ki ..
Kahani bahut  purani hai..
Kisi ko apni kursi bachani hai..
 Ya rajtantra ko chalana hai..
 Loktantra ke naam  se..

Khas ho baithe hamare hi vote se..
Jo kabhi ham jaise aam thei..
Ab kishan mazdur garib ..
Kisi ko nahi pahchante..

Aajivan rajyog ka sapna apna..
Sach karna hai dand bhed saam se..
Salon Raja bane rahna hai..
Atyachar karna hai janta aam pe.. 

Ye koun dushman ghus aaya..
Jasoosi huyi jiske naam se..


_जे पी एस बी

कविता की विवेचना:

जासूसी/jasoosi कविता spy software जिसकी पूरे
विश्व में चर्चा है और भारत में भी व्यापक चर्चा है ।इसी पर आधारित यह कविता है।

न्यूज में है कि भारत में भी इसका इस्तेमाल कर जासूसी
की गई है कुछ लोगों की , जासूसी किसने और क्यों की
अभी तक पता नहीं।

यह shoftware सरकारों के पास ही होता है जैसा कि न्यूज में चर्चा है, तो किस बाहरी सरकार ने हमारे देश में
जासूसी कराई इसका पता लगना चाहिए यही चर्चा है  ।

"जासूसी" कविता में जैसा कि न्यूज है इस सॉफ्टवेयर के बारे में उसी का वर्णन है ।यह राज खुल ही जायेगा एक दिन, कविता को पढ़े और कृपया शेयर करें।

... इति ...

_जे पी एस बी 
jpsb.blogspot.com







Tuesday, July 27, 2021

तेरा देश मेरा देश( Tera desh Mera desh)


Tera desh Mera desh
Tera Desh Mera Desh - India
Image from : pixabay.com



तेरा देश मेरा देश..
तेरे मन की बात..
मेरे मन की बात..
सबके मन की बात..
करता है कोई एक..
क्या है वो कोई दरवेश..

मन की बात में देश का भला..
किसको आती है रिझाने की कला..
देश में हैं देश वासी..
आबादी है अच्छी खासी..
सुनते हैं मन की बात नतमस्तक..
चाहे गरीबी दे कितनी भी दस्तक..

मुगल शनशाह आए और चले गए..
अंग्रेज बहादुर  आए और चले गए..
सोन चिड़िया को नोचा खतोचा ..
जितना जी चाहा जमकर लूटा ..
जाने से पहले चिड़िया पत्थर की कर गए..

अब एक अपना आया है ..
मुगल और अंग्रेजो की नीतियां लाया है..
क्यों कि ये नीतियां गुलाम बनाने में...
कारगार सिद्ध थी, इस लिए प्रसिद्ध थी..

चंद मुट्ठी भर अंग्रेजो के सामने ..
जनता उस समय लाचार थी..
वही कारगर नीति अब भी लागू है..
कितना भी सता लो, जनता पाए लागू है..

जनता महंगाई बेरोजगारी सब सह लेगी..
जनता उफ्फ आह तक  नही कहेगी..
यहां गुलाम बनाना बहुत आसान है..

पहले खूब सुहाने सपने दिखाओ ..
अपनी पावर रूतवा बढ़ाओ ..
एक अच्छी सी कुर्सी पकड़ लो..
फिर जनता को गुलामी की जंजीरों में जकड़ लो..

जी हजूरी यहां बेहिसाब है..
राजा बन ज़ी भर जिओ..
क्यों कि मौका और मानव जन्म ..
एक बार ही मिलता है..

मरना जीना स्वर्ग नरक किसने देखा है..
राजनीति एक खेला है इसमें मौका और धोखा है..
मौका है मन की इच्छाएं पूरी कर लो..
एसो आराम सुखों से अपनी झोली भर लो..!!


_जे पी एस बी

कविता की विवेचना:

तेरा देश मेरा देश/ Tera desh Mera desh कविता में राजनैतिक अवरसरवाद का उल्लेख किया गया है।

ईश्वरीय कृपा और सौभाग्य से ही देश सेवा का अवसर प्राप्त होता है, इस अवसर का सदुपयोग कर देश आलौकिक ऊंचाइयों पर पहुंचाया जा सकता है।
और स्वार्थ वाद में देश का अनजाने में बहुत बड़ा नुकसान हो जाता है जिसकी पूर्ति करना भी असंभव है।

राजनेताओं के हांथ में देश का मान मर्यादा भविष्य होता है ,देश  को विकाश के नए शिखर पर राजनेता पहुचाते हैं।

" तेरा देश मेरा देश" नेता का देश औधोगपती का देश और आम जनता का देश हम सबका देश यानी हमारा देश  का जिक्र किया गया है।

कविता को पढ़े और कृपया शेयर करें।

... इति...

_ जे पी एस बी 
jpsb.blogspot.com
























Monday, July 26, 2021

बापू का सपना( Bapu Ka Sapna)

Bapu ka Sapna
Bapu ka Sapna
Image from : pexels.com


बापू का आजादी का सपना था..
गांव में बसता भारत देश अपना था ..

बापू ने चर्खा कात सूत बनाया..
गांव गांव उद्योग लगाने का सपना दिखाया..

चरखा ग्रामीण उद्योग का प्रतीक था..
बापू का सोचना बहुत सटीक था..

लंगोटी और खुद का बुना खादी का अंगोशा ..
और साथ में टायर से बनी चप्पल पहनी..

ऐसे आम गरीब भारतीय को खुद में समाया..
तब ही गरीब से गरीब का दर्द उन्हें समझ आया..

लंगोटी का पजामा कुर्ता होगा एक दिन..
टायर की चप्पल बनेगी कोहलापुरी एक दिन ..

बापू के सपने को नेताओ ऐसे तोडा मरोड़ा कि..
गरीब की लंगोटी भी निकालने की तैयारी है..

बापू के विचार सपने सब किताबों में बंद हैं..
और किताबे किसी  लायब्रेरी के तहखाने में..

बस बापू के नाम को भुनाना है, राजनीति चमकाना है ..
कभी कभी राजघाट जाकर उनके नाम वोट पाना है..

बस नोट पर बापू की फोटो छाप दी..
उनके देश के लिए देखे सपनो की परवाह न की..

बापू ने ता उम्र त्याग तपस्या स्त्यागृह किया..
उनके सपनो का आज़ाद भारत ऐसा तो ना था..

उनकी नजरों में गरीब से गरीब की खुशहाली ही..
असली आज़ादी थी, देश गरीब किसान मजदूर का है..

अंग्रेजों को रिप्लेस भारतीय नेताओ से किया..
हालत वही गुलामी सी ही, ऐसा तो सोचा न था..

कोई आएगा कभी  देशभक्त  बापू का सपना सच होगा..
तब ही असल में हमारा देश भारत आजाद होगा..!!


_जे पी एस बी


कविता की विवेचना:

बापू का सपना/ Bapu ka Sapna कविता में हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जिन्हे देश प्यार से बापू कहता है ,उनकी  आज़ाद भारत की परिकल्पना का जिक्र किया गया है।

महात्मा गांधी जी विदेश से पढ़े एक सर्वोच्च बैरिस्टर थे, परंतु उन्होंने अपना स्वपूर्ण जीवन एक गरीब भारतीय के वेशभूषा में गुजारा और भारत के गरीब के दर्द को आत्मसात किया और जिया ।

भारत गांव में बसता है ,अधिकतर आबादी कृषि पर निर्भर है, इसलिए बापू की ग्रामीण विकास और ग्रामीण लघु उद्योग की परिकल्पना थी ।

उन्होंने ने चरखे का उपयोग करके इस ओर स्पष्ट इशारा किया, परंतु देश की आज़ादी के बाद शहरी विकास पर ही ज्यादा ध्यान दिया गया।

" बापू का सपना" कविता में इस बार बात का वर्णन किया गया है, बापू का सपना अभी भी अधूरा है, इसे पूरा किया जा सकता है और करना चाहिए ,बापू का सपना ही हम सब का सपना और भारत का सपना है । इस सपने को सबने मिलकर पूरा करना है।

कविता को पढ़े और कृपया शेयर करें।
सब्सक्राइब करें।

... इति..

_जे पी एस बी 
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Saturday, July 24, 2021

ओंठो को सी ( Ontho Ko Sii)

Ontho ko sii
Ontho ko sii
Image from: pexels.com



आंख कान बंद कर ओंठो को सी..
गुलामी और अपमान के जहर को पी..
क्यों की अब यहां बोलने सुनने..
और सवाल पूछने की आज़ादी नहीं..

अब सवाल पूछना बड़ा गुनाह है..
 सवाल पूछने वाला बली का बकरा है..
क्यों कि लोकतंत्र जंजीरों में जकड़ा है..
सवाल पूछा तो लंबी जेल है..
यही सभी राजनेतिक पार्टियों का खेल है..

आजादी के सालो बाद भी ..
अंग्रेजो के हथकंडे अपनाए जा रहे हैं..
हम फ़िर से गुलाम बनाए जा रहे हैं..

अबकी गुलामी अपनी कम्यूनिटी की होगी..
अमीर उद्योगपतियों की राजतंत्र में हिसेदारी होगी..
आम जनता इस गुलामी की होगी मुख्य भुक्तभोगी..

गोदी मीडिया सता के खुसामदी गीत गाएगा..
इसी तरह ही अपनी रोजी रोटी कमाएगा..
जिसने सुर में सुर या हां में हां ना मिलाई..
उसे हमेशा के लिए ठीक कर दिया जायेगा..

अब राजतंत्र आना है बाकी..
क्यों कि लोकतंत्र को माचिस लगा दी..
धिरे धिरे विपक्ष भी राजतंत्र का हिस्सा होगा..
वरना खत्म इसका भी किस्सा होगा..

आम जनता बेचारी किधर जायेगी..
पहले तो वोट का अधिकार था..
अब राजशाही की गुलाम बन जायेगी..
लोकतंत्र कुछ दिनों बाद बीता सपना होगा..
बुरा हाल अब अपना( जनता का) होगा..!!


_जे पी एस बी
 

कविता की विवेचना:

ओंठो को सी/ Ontho ko sii कविता आजादी के बाद राजनैतिक पार्टियों का सता में आने के बाद रवैया राजतंत्र जैसा हो जाता है , इसी वव्यहार को रेखांकित यह कविता करती है।

ओंठो को सी कविता में धिरे धिरे कैसे जनता के लोकतांत्रिक अधिकार छीने जा रहें हैं और आम जनता को पता भी नही चल पा रहा।

जो भी राजनेतिक दल सता में आता है उसका व्यवहार आचरण  राजशाही  हो जाता है, जनता को प्रजा और खुद को राजा समझ लिया जाता है। जनता वोट देने के बाद ठगी सी महसूस करती है।

फिर जनता  पांच साल इंतज़ार करती है कि अपना वोट का अधिकार इस्तेमाल कर शासन में नई पार्टी लाएगी । यही सिलसिला आजादी के बाद सालो से चल रहा है।जनता गरीब होती जाती है और एक खास वर्ग अमीर होता जा रहा है।

अब तो चिंता है कि कही यह वोट का अधिकार अथवा लोकतंत्र ही खत्म न हो जाए, जो लगभग खत्म सा है, वोटिंग के दिन को छोड़ कर।

"ओंठो को सी" कविता में आम जन के कम होते अधिकार की बात की है अच्छी शिक्षा और स्वाथ्यत सुविधाओ से वंचित किया जा रहा है , करोना काल उदाहरण है।
कविता को पढ़े और कृपया शेयर करें।

 ... इति ...

_जे पी एस बी 
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Sunday, July 18, 2021

तकदीर संवार दो( Taqdir Sanwar do)

Taqdir sanwar Do
Taqdir sanwar do
Image from: pexels.com


हे ईश्वर,
तूने दिया धरा पे जन्म..
उठे नन्हे कदम ..
नापे धरती गगन..

कभी चंदा को देखा..
कभी सूरज निहारा..
फिर देखा तारों भरा आकाश सारा..

उठी दिल में उमंग..
चांद करूं मुट्ठी में बंद..
तारों का बनाऊं गुलबंद..

सूरज की तपन..
जली दिल में कुछ पाने की अगन..
तप बना मैं कुंदन..

कुछ पाने की उमंग..
अब करती है तंग..
किस्मत की मुट्ठी है बंद..

बंद मुट्ठी खोल कुछ मुझे उपहार दो..
हे ईश्वर हमारी तकदीर भी संवार दो..

है प्रभु अजब तेरी माया..
बिन मांगे सब कुछ पाया..
अब मांगने पर कुछ और  उपहार दो..

कन्हैया बचपन में..
हम में दिखते थे तुम..
तुम प्रभु थे तब भी..
तुम्हे हम समझते थे हम..

अचानक कहां तुम हुए गुम..
ढूंढते थके थे हम..
अब तो दो दर्शन सुदामा के हमदम..

हमारे तेरी ओर कदम..
हमारी भी तकदीर तुम संवार दो..
हमे भी और तुम उपहार दो..!!

Hey Ishvar ..
Tune diya dhara par janm ..
Uthe nanhe kadam..
Napen dharti gagan..

Kabhi Chanda ko dekha..
Kabhi Suraj nihara..
Phir dekha taron bhara aakash sara..

Uthi dil main umang..
Chand karun muthi main band..
Taron ka banau gulband..

Suraj ki tapan..
Jali dil main kuchh pane ki agan..
Tap bna mai kundan..

Kuchh pane ki umang..
Ab karti hai tang..
Kismat ki muthi hai band..

Band muthi khol kuchh mujhe Uphaar do..
Hey ishwar hamari taqdir bhi swar do..

Hey prabhu ajab teri maya..
Bin mange sab kuchh paya..
Ab mangne par kuchh Uphaar do ..

Kanheya bachpan main..
Ham main dikhte the tum..
Tum prabhu thei tab bhi..
Tumhe ham samjhte ham..

Achanak kha huye tum gum ..
Dhunte thake thei ham..
Ab tou do darshan sudama ke hamdam..

Hamare Teri ore in kadam...
Hamari bhi taqdir tum sanwar do..
Hame bhi aur tum Uphaar do..!!



_जे पी एस बी


कविता की विवेचना:

तकदीर  संवार दो/ Takdir Sanwar do कविता भगवान श्री कृष्ण से भक्त की वार्तालाप है।

भक्त बचपन में कृष्ण भगवान को अपना सखा समझता है, और बचपन में जैसे बच्चा महसूस करता है कि वह चांद तारों के पास ,सुरज आकाश के पास आसानी से पैदल ही जा सकता है, और भगवान कृष्ण तो उसके मित्र हैं ही , उसे सारा जहां अपनी मुट्ठी में लगता है।
जैसे जैसे बड़ा होता है धीरे धीरे अचानक यह चीजें बदलने लगती हैं, सब कुछ दूर होता नजर आता है।
भगवान भी।

तब फिर भक्त भगवान से सुदामा भगवान का उदाहरण दे कर
अपने लिए अपने पन से उपहार मांगता है।

भगवान श्री कृष्ण के बारे में जानकारी:

 30 अगस्त 2021 को भगवान श्री कृष्ण जी की जन्म दिन है जो कि जन्मस्थतमी  के रूप में सारे भारत में जाता है। उस दिन दही हांडी का प्रोग्राम जगह जगह आयोजित होता है।

 हांडी में दही मक्खन भर कर बहुत ऊंचे स्थान पर टांग दिया जाता है, बच्चे और जवान मिल कर पिरामिड बनाकर उस हांडी को फोड़ते हैं , जो ग्रुप हांडी को फोड़ने में  सफल होता है उन्हे इनाम दिया जाता है।

श्री कृष्ण भगवान , विष्णु भगवान के आठवें अवतार थे।
इनका जन्म जेल में हूवा था, इनकी माता देवकी और पिता राजा वासुदेव थे। 

इनके माता पिता को इनके मामा कंस ने जेल में बंद कर दिया था, क्यों कि भविष्यवाणी थी कि देवकी का आठवां पुत्र कंस का वध करेगा। इसलिए कंस ने अपनी सगी बहिन और जीजा जी को जेल में बंद कर दिया था, और उनकी जो भी संतान होती थी उसका वध कंस कर देता था ।

कृष्ण भगवान के पैदा होने से पहले कंस 7बच्चो का वध कर चुका था वो सातों कन्याएं थी।

आठवें श्री कृष्ण भगवान थे उनके जन्म के समय जेल अपने आप खुल गया था पहरेदार बेहोश हो गए थे, और इनके पिता वासुदेवकृष्ण भगवान को टोकरी में छिपाकर माता यशोदा के यहां नंद गांव छोड़ आए थे।

बाद में श्री कृष्ण भगवान ने कंस का वध कर अपने माता पिता को कंस की कैद से छुड़ाया था।

कृष्ण भगवान ने कालिया नामक सांप का दहन भी भी किया था।

एक बार इन्होंने पूरे गांव को आंधी तूफान और बारिश से बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी अंगुली पर उठा लिया था पूरे गांव ने पर्वत के नीचे शरण ली थी ।

कौरव पांडव युद्ध जो कि कुरुक्षेत्र में हुआ था , श्री कृष्ण भगवान अर्जुन के उस युद्ध में सारथी बने थे।
वही पर उन्होंने प्रसिद्ध गीता के उपदेश अर्जुन को दिए थे।

"तकदीर संवार दो" कविता में प्रभु कृष्ण अपने उस भक्त को उपहार देते हैं। कविता को पढ़े शेयर करें और आप भी भगवान कृष्ण से उपहार मांगे सच्चे दिल से मांगेंग
 जरूर मिलेगा।

... इति...


_जे पी एस बी
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Saturday, July 17, 2021

आयना तोड़ दिया( Aina Tod Diya)

Aina Tod Diya
Aina Tod Diya
Image from:pexels.com


मैं निकला था नया जहां बसाने..
उस जहां ने अब नया मोड़ लिया..
जहा जहा लिखा था नाम तुम्हारा..
उस हर छै को मैने तोड़ दिया..

तेरे नाम की किताब थी दिल में..
उसे ख़ाक होने को छोड़ दिया..
नजर में बसी थी तस्वीर तुम्हारी..
उस नजर से मुख मोड़ लिया..

आयने में नजर आती थी तुम..
उस आयने को मैने तोड़ दिया..
ओंठो पर अक्सर था नाम तुम्हारा..
ओंठो ने अब नया सुर ओढ़ लिया..

यादें कोंधती थी मन में कभी..
तुम्हारी यादों का पन्ना मोड़ दिया..
तेरे नाम से धड़कता था दिल कभी..
अब तेरे नाम पे धड़कना छोड़ दिया..

जिंदगी एक पहिया थे तुम कभी..
मैने वो पहिया  भी तोड़ दिया..
जिंदगी की नाव के पतवार थे तुम कभी..
पतवार का सहारा मैने छोड़ दिया..

मीठे से सपनों में आते तुम कभी..
सपनो के लिए सोना छोड़ दिया..
किस्मत के सबसे बुरे दिनों में था साथ तेरा..
उन दिनों को भुला नया अध्याय जोड़ लिया..!!


_जे पी एस बी


कविता की विवेचना:

आयना तोड़ दिया/ Aina Tod Diya कविता बिछड़े प्रेमी जोड़े की किसी भी तरह सुलह ना होना और यादों को प्रेमी मिटा देना चाहता है।

यादों को मिटाने के किन परिस्थितियों और मानसिक तनाव से गुजरना पड़ता है , उन सारी परिस्थितियों का वर्णन कविता में किया है, यादें कही न कही हर जगह बसी पड़ी हैं जो परेशान करती हैं।

प्रेमी एक एक कर सारी यादों को भुला देना चाहता है,
ताकि वह तनाव रहित जिंदगी जी सके।
"आयना तोड़ दिया" कविता में संभावना अभी भी है कि परिस्थिति सामान्य हो और जोड़े का मिलाप हो जाय।

कविता को पढ़े शेयर करें और अंदाज लगाए मिलाप होगा कि यादें भूला दी जायेंगी।

... इति...


_जे पी एस बी 
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Wednesday, July 14, 2021

तेरी मेरी कहानी(Teri Meri Kahani)

Teri Meri Kahani
Teri Meri Kahani
Image from:pexels.com



तेरे लड़ाई झगड़े से..
शुरू हुआ तेरा मेरा प्यार..
जब जब तूने ताना मारा..
मैंने की तकरार..

सुनहरा सपना अधर में ही तोडा..
जैसे मारा तूने मुझे सोते में कोडा..

मैंने तुझे मैना बनाना चाहा..
उलट तूने मुझे उल्लू बना दिया..

मां के साथ मुझे भिड़ाना..
रूठने का बनाया तूने बहाना..

पता नही तेरी सोच क्यों बटी..
तेरी मेरी मां के साथ नही पटी..

छोटी छोटी सी बातों में..
तूने खूब चीख पुकार की..
जब जब समझाना चाहा..
तूने मायके में पुकार की..

समझा समझा थक गया ..
बैठा हूं मजबूर हो कर..
तू तो प्रसन्न है बहुत..
मायके में बैठी नहा धोकर..

अभी भी तेरा ..
लड़ाई का पैगाम आता हैै..
आग सी लगती है..
सारा जिस्म जल जाता है..

जलाना तड़फाना शौंक है तेरा..
अपने शौंक के लिए ..
तूने घर उजाड़ा मेरा..

दिल पे तूने कई दाग दिए हैं..
छिपाता फिरता हूं जमाने से..
अपने गम नकली हंसी लिए ..
बहुत  जुल्म सितम तूने किए हैं..

मैने क्या गुनाह किया..
तुम्हे दिल दिया दर्द लिया..
अब भी कहता हूं मैं दिल से..
मन अपना तुम साफ करो..
अपने आप से इंसाफ करो..!!

_जे पी एस बी



कविता की विवेचना:

 तेरी मेरी कहानी / Teri Meri Kahani कविता नए नवेले प्रेमी जोड़े की कहानी है।

अक्सर होता कि कई बार नई जोड़ी के शादी के बाद विचार नहीं मिलते अकारण जिरह तकरार और लड़ाई झगड़े होते हैं , कई बार सुलह हो जाती है कई  बार बात बिगड़ जाती है और अहम की वजह से ठीक नही हो पाती।
ऐसा ही इस कहानी में नायक नायिका के साथ हुआ है, बात ज्यादा ही बिगड़ गई दोनों के अहम के कारण , जब कि दिल ही दिल में एक दूसरे के लिए प्यार और चाहत है।

एक दूसरे से जानबूझ कर दूरी बना ली और मन करता है मिलने को मगर कह नही पाते, कहने की लिए जब भी बात करते हैं तो बनती हुई बात भी तकरार में बदल जाती है दोनो के ना चाहते हुए भी, उन्हें ही खुद पता नही चल पाता ।

वो सोचते हैं हम तो सुलह करने के बात कर रहे थे अचानक यह लड़ाई या तकरार में कैसे बदल गई। मन की असल बात तो एक दूजे से कह ही नही पाए और  बात कुछ और ही होने लगी। मन ही मन दोनो को पछतावा है बात बिगड़ने का ,मगर अब तो ना चाहते हुए बात बिगड़ गई।

एक गुस्सा हो तो दूसरे को उस समय चुप रहना चाहिए यह बात नायक नायिका दोनो को पता है , पर वो दोनो अपने आप पर लागू नहीं कर पा रहे।

अनुभव शादी के बाद साथ निभाने का आते आते आएगा और सब ठीक हो जायेगा दोनों कॉम्प्रोमाइज और एडजस्ट करना सीख जायेंगे अभी नई नई बात है।

अचानक कुवारे से शादी शुदा हुए हैं और कुंवारे पन की बेबाकी अभी जा नही रही , धीरे धीरे चली जायेगी और जैसे जैसे गुस्सा कम होता जायेगा प्यार और परस्पर व्यवहार भी बढ़ता जायेगा हमारी भगवान से दुवा है जोड़ी
खूब फुले फले  

इसी का विवरण कविता तेरी मेरी कहानी में किया है।
कृपया कविता पढ़े लाइक और शेयर करें।

... इति...


_जे पी एस पी
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Tuesday, July 13, 2021

दर्द का रिश्ता(Dard Ka Rista)

 

Dard ka rista
Dard Ka Rista
Image from: pexels.com


दर्द हम अपना उनके सामने रोये थे..
और वो तब  अपने ख्यालों मे खोये थे..

उनपे शायद हम अपना रङ्ग चढ़ा ना सके..
इस लिए वो  अनसुना कर गहरी नीन्द सोये थे..
और हम उन्हें जगा ना सके..
 अपनी आप बीती बता ना सके..
अब रहते है हम उनके ख्यालों में खोए खोए से..
आंसू बन गए वो बीज जो हमने नफरत के बोए थे..

 समय बहुत जब दोनो के पास था- 

 जानबूझ कर अलग अलग गुजार दिया..

एक दूजे पर गुप चुप प्रहार किया..

ये प्यार में गुस्सा या गुस्से में प्यार था..

गुस्सा हम उनपे थे ..
पर उन्होंने हमारी सुध कभी न ली..
और ऊपर वाले ने जान भी हमारी ली..

मैंने जीते जी उनसे गुहार और मन्नते हजार की..

एक ना सुनी उसने तो मैंने जिंदगी शराब में गुजार दी.. 

शराब ने मुझे अपना बनाया और नशे में मदहोश रखा ..

मौत को बुलाया शराब ने और उसके हवाले कर दिया..

बुझ गया टिमटिमाता हुआ दिया एक झोके से..

तब भी उन्होंने मुझे याद न किया भले ही धोखे से..!!

.......

कविता की विवेचना:

दर्द का रिश्ता कविता, एक इंसान की कहानी पर आधारित है, जिसकी प्रेमिका अधर में उसे छोड़ देती है।

बहुत कोशिश के बाद भी रिश्ता जुड नही पाता,जब की इनकी शादी भी हो चुकी रहती है।

प्रेमी जिंदगी में खुद को हारा महसूस करता है ,और अपनी प्रेमिका की याद में दिन रात शराब के नशे में डूब जाता है, मगर जिसके लिए वो यह सब करता है ,उसका दिल नही पसीजता ।

 उसको मनाने के लिए बहुत मिन्नते करता है माफी मांगता है, प्रेमिका के कहे अनुसार रहने का वादा करता है , मगर प्रेमिका प्रेमी की एक नही सुनती प्रेमी की कसमें मिन्नतो और माफी का प्रेमिका पर बिल्कुल असर नहीं होता ।

इस बीच प्रेमी की हालत बहुत खराब हो जाती है वह खाना पीना छोड़ कर रात दिन शराब के नशे में धुत रहता है।

खाना नही खाने से और जरूरत से ज्यादा शराब पीने से प्रेमी की हालत बहुत ज्यादा खराब हो जाती है, उसकी हालत की खबर उसकी प्रेमिका को पहुंचाई जाती है मगर वो इस पर ध्यान नहीं देती और ऊसे देखने तक नही आती।

 प्रेमी को आश रहती है कि उसकी प्रेमिका उसकी हालात को देखते हुए पुराना सब कुछ भूल जायेगी और उसकी जिंदगी पर तरस खाकर उसकी जान बचाने जरूर आएगी।

मगर प्रेमी गलत सिद्ध होता है , प्रेमिका को बहुत याद करता आखिरी बार मिलने की याचना भी करता है मगर प्रेमिका सब अनसुना कर देती है और नही आती।

और आखिर में प्रेमी, प्रेमिका से मिलन की तड़फ  दिल में लिए मर जाता है। मगर प्रेमिका उसकी मरने की खबर मिलने  के बाद भी नही आती ।

 प्रेमिका क्यों इतना पत्थर दिल हो गई थी, ये तो वो ही जाने, क्या इतना ज्यादा नफरत भी हो सकती है कि मौत के बाद भी उसे माफी ना मिले, यह तो इंसानियत नहीं मगर इस कहानी में ऐसा ही हुआ है।

"दर्द का रिश्ता"  कविता, में इसी दर्द और वेदना का जिक्र किया गया है।

कृपया कविता को पढ़े और शेयर करें।

... इति...


_जे पी एस बी

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Friday, July 9, 2021

अंधेरे से उजाले की ओर(Andhere Se Ujale ki Aor)

Andhere se Ujale ki Aor
Andhere se Ujale ki Aor:Jivan jine ki Kala
Image from: Pixels.com



पहले दिन देखा था रात देखी थी..
गर्मी,ठंड और बरसात देखी थी..
सूरज, चांद तारे अनंत आकाश देखा था..

जागती थी अनंत रहस्य जानने की प्यास..
लाख कोशिशों पर भी ना लगता कुछ हांथ..
 अज्ञानता का अंधकार देख हो जाते थे उदास..

गुरु जी के आशीष से फैला चारो और प्रकाश..
मुस्कुराया जन जीवन ना कोई रहा उदास..
अज्ञानता दूर ,हुई ज्ञान की अदभुत बरसात..

अब चला पता कि जीवन है क्या बला..
जब सीखी हमने जीवन जीने की कला..
प्यारा सा ध्यान का आसन..
जो बना मस्ती का सिंहासन..

श्वांस श्वास के अंतर को जाना ..
मन की दिव्या ज्योति को पहचाना..
ज्ञात हुआ प्राण वायु का मंत्र..

पहचान पहले खुद को , मैं कौन हू?
क्यों इस दुनिया में आया..
आजीवन मकसद समझ ना पाया..
क्यों खाया पिया और पला..
हमने सीखी जीवन जीने की कला..

दुनिया में व्याप्त दुख दर्द को जाना..
जीवन को करीब से देखा और पहचाना..
द्वेश,गुस्सा, इर्षा ,व्यसन सब अपने आप टला..
हमने सीखी जीवन जीने की कला..

अब लगता है सारा संसार हमारा है..
इस धरा पर हर जीव प्यारा है..
सोते में सपने देखते थे कभी..
अब जागते में आलौकिक नजारे दिखते सभी..

ईश्वर के ध्यान ही में सब कुछ समाहित..
जीवन का संपूर्ण सार संसार है यही ..
गुरु जी की सबको ध्यान करने की सलाह..
यही तो है "जीवन जीने की कला"..!!



_जे पी एस बी


कविता की विवेचना:

अंधेरे से उजाले की ओर / Andhere Se Ujale ki Aor कविता आध्यात्म और ध्यान की जीवन में उपयोगिता और लेखक के स्वयं के ध्यान से अनुभवों को महसूस करके लिखी है।

वर्तमान की भाग दौड़ की स्पर्धा भरी जिंदगी में अनेक प्रकार के 
मानसिक तनाव हम झेल रहे हैं, मन शांति तलाश करता है,
कही स्वयं को तलाश करता है, ईश्वेरीय अनुभव तलस्ता है।

अंधेरे से उजाले की ओर कविता में क्रम वर ध्यान की आलौकिक अनुभूति का जिक्र और अपने अनुभवों को सांझा करने की कोशिश की है,आप खुद के और ईश्वर के नजदीक आयेंगे ,चाहे किसी भी धर्म के अनुयाई हो।

"अंधेरे  से उजाले की ओर "कविता पढ़े शेयर करें और आध्यात्म और ध्यान को अनुभव करें।
... इति...


_जे पी एस बी 
jpsb.blogspot.com
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Copyright of poem is reserved. 







Wednesday, July 7, 2021

मां का प्यार(Maa ka Pyar)


MAA ka pyar
Maa ka Pyar
Image from: pexels.com


सारा प्यार भरा मां के दिल में..
मां का दिल बच्चों के दिल में..
बच्चो का दिल ईश्वर के दिल में..
ईश्वर का दिल किसके दिल में..
कोई जाने ना..

बच्चें  प्यार मांगें मां के दिल से..
मां मांगे ईश्वर के दिल से..
ईश्वर मांगे कौन से दिल से..
कोई जाने ना...

मां से बिछड़ कर बच्चे तरसे..
नन्हे दिल रह गए बिखर के..
अनाथ की सुध लगाए किधर से..
अनाथ होने का दर्द कोई जाने ना..

मां का प्यार ता उम्र बच्चों पर बरसे...
कोई आफत ना हो बच्चों के सर पे..
मां बच्चों के लिए ईश्वर से बढ़ के..
ईश्वर की माया तो कोई जाने ना...

मां का हर पल बच्चों पर निशावर..
मां के होते फिर किसका डर..
मां मांगे ईश्वर से बच्चो के लिए वर..
ईश्वर की भी मां पर अपार मेहर..
मां का रिश्ता ईश्वर से कोई जाने ना..

मां का दिल बच्चो के लिए बडा है..
हर मुसीबत में मां का आशीष खड़ा है..
ईश्वर ने भी मां की ममता को देखा है..
मां का स्नेह दुलार हर बच्चे को पता है..
इस महिमा को और कोई जाने ना...

मां फानूस बनके अपने जाय की रक्षा करे..
अपने जाय की खातिर जान  निशावर करे..
ईश्वर भी हर पल मां के साथ खड़े..
मां और बच्चे के इस बंधन को कोई जाने ना..

मां ने अपने जाय के लिए अनगिनत त्याग किए..
अनगिनत दुख तकलीफ कष्ट मुस्करा के सहे..
उफ्फ ना की शिकवा न किया ना किसी से कहे..
मां के इस अनूठे त्याग को औलादे भी जाने ना...

औलाद बूढ़ी भी हो जाए मां के लिए छोटा बच्चा ही है...
मां का प्यार औलाद के लिए पवित्र अच्छा ही है..
मां अपनी सारी उमर औलादों पर लगा दे..
औलादों की  लंबी उम्र का राज कोई जाने ना...

मां की अंतिम इच्छा सिर्फ अपने बच्चो की चिंता..
ईश्वर से भरकश रही जता भले मेरी तू जला चिता..
 प्रभु ,एक वचन निभा मेरे बच्चे को हर  बला से बचा..
वचन लिए बगैर ईश्वर से मां माने ना...

ईश्वर भी झुकता है मां की ममता के आगे..
वो भी मां यशोदा और मां कोशल्या के लाल थे..
मां की महिमा और ममता प्रभु अच्छे से है जानते..
मां का एक ऊंचा दर्जा ईश्वर के सिवा कोई जाने ना..!!


_जे पी एस बी


कविता की विवेचना:

मां का प्यार कविता ,मां के प्यार की सर्वोच्चता महता को महसूस करते हुए चित्रित करने की कोशिश है।

मां के प्यार को ईश्वर ने स्वयं सबसे ऊपर माना है,ईश्वर स्वयं मां यशोदा और मां कोसल्या की गोद में खेले हैं।

मां और बच्चा दो जिस्म एक जान होते है , मां बच्चे का प्यार निस्वार्थ और सच्चा है।भगवान ने भी मां को खुद से ऊंचा दर्जा दिया है।

मां का प्यार का कविता में मां के प्यार की महता और श्रेष्ठता को स्वयं के महसूस करते हुए दर्शया है।

... इति...

_जे पी एस बी 
jpsb.blogspot.com
 






Saturday, July 3, 2021

प्यार में संसार(Pyar Me Sansar)


            
Pyar me Sansar
Pyar Me Sansar
Image From: pexels.com



प्यार में सारा संसार समाया है..
प्यार एक अनोखी माया है..
प्यार रिस्तों की परिभाषा है..
प्यार स्वयं में एक भाषा है..

प्यार में सब रिस्ते नाते हैं...
प्यार में सभी अच्छी बातें हैं..
प्यार अपने आप से होता है..
प्यार में इंसा चैन की नींद सोता है..

प्यार आंखो में है,प्यार दिल में है..
प्यार आहों में है,प्यार  बाहों में है..

प्यार सच्चाई है,प्यार अच्छाई है..
प्यार पवित्र है ,प्यार इत्र है..

प्यार गीत है,प्यार संगीत है..
प्यार रीत है,प्यार जीत है..

प्यार संस्कृति है,प्यार प्रकृति है..
प्यार भक्ति है ,प्यार शक्ति है..

प्यार सूरदास और मीरा है..
प्यार प्रेमियों का हीरा है..
प्यार राम और सीता है..
प्यार आदर्शो की गीता है..

प्यार सोहनी महिवाल है..
प्यार मिर्जा साहिबा है..
प्यार हीर रांझा है..
प्यार जीवन डोर का मांझा है..

प्यार कुर्बानी है,प्यार नादानी है..
प्यार भोला है,प्यार अबोला है..

प्यार मन तरंग है,प्यार अंतरंग है..
प्यार खूबी है,प्यार महबूबी है...

प्यार के कई रूप कई रंग हैं..
प्यार सबके अंग संग है..
प्यार हर किसी को खींचता है..
प्यार रिश्तों को सिंचता है..

प्यार कविता है,प्यार  उपन्यास है..
प्यार कहानी है,प्यार एक आस है..
प्यार खास है,प्यार सबके के पास है..

प्यार खुशियों का मेला है..
इसमें हर कोई खेला है..
प्यार भावनाओं का रेला है..
प्यार अनोखा अलबेला है ..

प्यार भंवरे का फूल है..
प्यार चकोर का चंदा है..
प्यार पपिहे की वर्षा है..
प्यार मोर का मेघा है..

प्यार कभी खट्टा कभी मीठा है..
प्यार दिल साफ करने का रीठा है..
प्यार कभी माना कभी रूठा हैै ..
प्यार का अनुभव अनूठा है..

प्यार एक अदा है..
प्यार पर हर कोई फिदा है..
प्यार सब जीवों में व्याप्त है..
प्यार के बिना दुनियां समाप्त है..!!


_जे पी एस बी


कविता की विवेचना:

प्यार में संसार/Pyar Me Sansar ,कविता लिखने का ख्याल हर जीव में एक दूजे के प्रति प्यार स्नेह देख कर और अनुभव कर आया।

सारे संसार में जीव और मानव एक दूसरे से प्यार के अटूट बंधन में बंधे हैं। प्यार है तो ही संसार है पशु पंछियों का आपस में, मानव का आपस में,मानव का पशु पंछियों से और पशु पंछियों का मानव से पर pets जैसे कुत्ता, बिल्ली, तोता ,मैना ,घोड़ा,  गाय, बकरी, भेड़ आदि इसके उदाहरण हैं।

इसके अलावा  इंसान अपने आप से ,अपनी  चीजों से ,अपनी आदतों से प्यार करता है ,सजना स्वर्णां ,घूमना फिरना आदि।
प्यार के बारे में पूरी किताब लिखी जा सकती है, हम हर पल आपने आस पास प्यार अनुभव करते हैं हमेशा।

प्यार बिन इस संसार की कल्पना भी नहीं की जा सकती, भगवान ने पहले प्यार बनाया फिर संसार बनाया, ताकि यह संसार सदियों तक कायम रह सके।

और भगवान की कल्पना कितनी आलौकिक है ,संसार प्यार में कायम है ,सदियों से है और आगे भी सदियों रहेगा,जब तक प्यार है यह संसार है यह सटीक सत्य है, इसलिए" प्यार में संसार" है।
इस कविता में इसी को महसूस करते हुए चित्रित किया गया है।
... इति...

जे पी एस बी
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Thursday, July 1, 2021

दिल मेरा धड़कन तेरी(Dil Mera Dhadkan Teri)

Dil Mera Dhadkan Teri
Dil Mera Dhadkan Teri is True Love
Image from: pexels.com


मना है प्यार में हेरा फेरी..
तभी है दिल मेरा धड़कन तेरी...

प्यार के लिए विश्वाश है जरूरी ..
मन आयने की तरह साफ होना है जरूरी..
ना रहे दोनो दिलों में कोई दूरी..
प्यार स्वाभाविक है न कि मजबूरी..

मेरा दुख तुझे पता चले..
मैं हू खुश तो तू आ मिले..
हर परिस्थी में हो सदा राजी..
लगा दे बिना शर्त जान की बाजी...

कोई शक सुभा ना हो..
ना गिले शिकवे कभी...
दिल के तार जुड़ जाए..
जब दिल याद करे तभी...

परसाई सांसों सा साथ हो...
ये साथ जिंदगी में छूटें ना कभी...
वादा यही है इरादा यही है...
कोई चीज न रहे  तेरी मेरी...

मना है प्यार में हेरा फेरी...
तभी है दिल मेरा धड़कन तेरी..



_जे पी एस बी...


कविता की विवेचना:

दिल मेरा धड़कन तेरी/ Dil Mera Dhadkan Teri सच्चे प्यार करने वाले जोड़ों के अहसास और विश्वास को प्रेरणा देती है।

प्रेमी एक दूसरे के दिल में बसते हैं, एक दूजे की दिल की 
बात बिना कहे महसूस करते हैं, एक दूजे के दुख सुख के साथी होते हैं,एक को तकलीफ हुई तो दर्द दूसरे को होता है।

सच्चे प्यार के कई किस्से संसार भर में मशहूर है जैसे लैला मजनू, शीरी फरहाद, रोमियो जूलियट,हीर रांझा,सोहनी महिवाल,मिर्जा साहिबा आदि इनमे से अधिकतर पर प्रसिद्ध फिल्म बन चुकी है, कई navel और कहानियां लिखी जा चुकी हैं।

प्यार पर गीत शायरी की भरमार है, प्यार से कोई भी इंसान अछूता नहीं है ,किसी न किसी तरह का प्यार का सबको अनुभव होता है ,  सच्चे प्यार की सारे प्रेमी प्रेमिकाओं को तलाश रहती , नसीब वाले होते है वो जिन्हे सच्चा प्यार मिल जाता है ।

नए जमाने में सच्चे प्यार की जगह स्वार्थीपन और पैसे ने ले ली है, प्यार भी कमर्शियल हो गया है , पैसे वाला पैसे वाली को खींचता है भी कह सकते हैं।इस पैसे की दौड़ भाग में प्यार कही खो गया है, अब तो पैसे से पैसे को प्यार हो गया है।

दिल मेरा धड़कन तेरी वाला प्यार इस आधुनिक होती दुनिया में खत्म ही ना हो जाए आकांक्षा है।

एक समय सच्चे प्यार की कहानियां ही रह जायेंगी और नई पीढ़ी आश्चर्य करेगी कि ऐसा भी प्यार होता था कभी। और हम जैसे कहानी कार या कवि बताएंगे यह है सही कि ऐसा ही होता था सच्चा प्यार।
और ऐसा ही होना चाहिए सच्चा प्यार निस्वार्थ तब ही तो एक का दिल दूसरे में धड़केगा।

"दिल मेरा धड़कन" तेरी कविता में प्रेमियों के इस एहसास को दर्शाया गया है।कविता पढ़े और शेयर करें।

... इति...


_जे पी एस बी
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