Saturday, June 25, 2022

पूँजीवाद का राज (Punjiwad ka raj)

                 
Punjiwad ka raj
Punjiwad ka raj 
Image from:pexels.com 

 
देश में पूँजीवाद कैसे..
पाव पसार रहा है ..
गरीब की गरीबी को..
सीसे में उतार रहा है..

गरीब की राह में..
अंगारे हैं..
ये किसने हैं बिखेरे..
कहा गरीब से..
चले चलो निरंतर..
इस पर, तुम्हारा है..
यह अग्निपथ ..

चलते चलो जब तक..
मौत ना आ जाये..
मिलेगी तुम्हें..
तुम्हारी जान की कीमत..

गरीब की यही है..
देश में औकात..
जान की कीमत..
सिर्फ ग्यारह लाख..

तुम्हारी जान है..
बहुत सस्ती..
अमीरों के सामने..
क्या है तेरी हस्ती..

यह तो डिमांड सप्लाय का..
तकाजा है..
देश में गरीब और..
बेरोजगार ज्यादा है..

डिमांड कम सप्लाय ज्यादा..
इसलिये तेरी नोकरी का..
समय हो गया आधा..
जल्दी रिटायर हो..
दूसरे को भी मौका दो..

देश की हस्तियां भी..
सूर से सूर मिला रही हैं..
एक सैनिक की..
जान की कीमत..
सही बता रही हैं..

तेज दिमाग अब..
सेना को नहीं चाहिये..
बस बकरे सी कुर्बानी..
आनी चाहिये..

दुश्मन भी भारतीय सेना के..
लिये निर्णय से..
खुश हो रहा है..
अगले युद्ध की..
बाट जोह रहा है..

जो दुश्मन डर से..
ठर थर कापता था..
हार का रास्ता..
नापता था..
अब निडर हो जायेगा..

अब क्या बहादुरी की..
मिसालें गायब होंगी..
लाचारी बेबसी..
परिवार की चिंता...
सैनिक के मस्तिष्क पर..
सवार होंगी..

दुश्मन को जीत के..
ख्वाब देखने का..
क्यों दिया जा रहा मौका..
देश की सुरक्षा से..
ऐसा क्यों समझोता..

आजाद देश का नागरिक..
क्यों है रोता..
गुलामी की जंजीरों को..
भूल गये इतनी जल्दी..
खून का लाल रंग..
क्यों हो गया पीला हल्दी..

क्यों सुरक्षा में..
इतनी लापरवाही है..
क्यों गुलामी सी तैयारी है..
सेना क्यों अपनों की..
राजनीति से हारी है..!!

Jpsb blog 

पूँजीवाद का राज/Punjiwad ka raj कविता देश मे
अमीर और गरीब के बीच बढ़ती खाई, देश पर पूंजीवाद के हावी होने का संकेत है. 

देश की अधिकतर पूंजी देश के मुट्ठी भर पूंजीपतियों के पास चली गयी है, हालात यह कि देश के सबसे ज्यादा संवेदनशील देश की सुरक्षा से जुड़ी सेना के साथ पूंजी की कमी कारण छेड छाड़ करनी पड रही है. 

सेना की नोकरी भारत मे मात्र नोकरी ना हो कर देश प्रेम और देश पर जान निछावर करने का ज़ज्बा है जो कि विश्व की सेनाओं से भारतीय सेना को अलग करता है. 

भारत का नागरिक अगर जरूरत पडी तो सेना की पेंशन के लिये पैसा दे देगा भले उसे अपना पेट काटना पडे.

सरकार को और कई जगह हैं जहाँ खर्च कम करना चाहिये, जैसे नेताओं की एक से अधिक पेंशन, नेताओं को देश हित में खुद छोड़ देनी चाहिये. 

"पूंजीवाद का राज "कविता सेनाओं की परम्परा में छेड छाड़ जिससे सैनिक का रुतबा और मनोबल कम हो ऐसा ना किया जाये को रेखांकित करती है.

अगर पूंजी की कमी है तो देश की जनता से सेना की पेंशन के लिए पूंजी मांगी जा सकती है,जैसी नेता जी सुभाष चंद्र बोस ने आजाद हिंद फौज के लिये जनता से पूंजी एकत्र की थी. 

भारत की जनता सवेक्क्षा से पूँजी देगी. देश की आजादी के 75 साल बाद ऐसी नौबत क्यों आयी यह गंभीर सोच का विषय है, सेना के स्ट्रक्चर से छेड छाड़ ना की जाये यह देश हित में है. 
सेना पूंजीवाद की बलि नहीं चरडॅनी चाहिये. 

..इति..
जय हिंद की सेना 
कृपया कविता को पढे और शेयर करें. 

_Jpsb blog 
jpsb.blogspot.com 
Author is a member of SWA Mumbai 
Copyright of poem is reserved. 





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