मन्दिर मस्जिद की..
लड़ाई लड़ने वालों..
अपने भगवान और खुदा से..
सलाह-मशविरा तो लो..
वो क्या कहते हैं..
क्या वो उस मंदिर मस्जिद में..
रहते हैं..
जिन्हे हम भगवान और खुदा..
कहते हैं..
वो जानी जान हैं..
सारी कायनात के मालिक ..
जर्रे जर्रे पर उनके निशान..
कण कण में भगवान..
हर जीव जंतू पौधे..
हवा पानी आकाश..
बादल पहाड़ ब्रम्हांड के..
बनाने वाले भगवान को..
क्या तुम मन्दिर मस्जिद मे ही..
रहने को कहोगे..
इंसान की सोच..
इतनी संकीर्ण कैसे हुयी..
कैसी कैसी कल्पना..
तुमने ईश्वर के बारे में..
अपने ज़हन में बोयी..
उस ईश्वर खुदा ने इंसान बनाया ..
और "मैं एक हूँ "
बार बार बताया..
तब भी इंसान ने..
अलग अलग निशान बनाकर..
ईश्वर को कई भागों में बांटा..
सारे इंसान उस एक ईश्वर की..
हैं सन्तान..
सारे रास्ते उस ईश्वर तक हैं जाते..
सब समझते हुये भी इंसान..
क्यों धर्म के नाम लड़ रहा है..
एक दूसरे को काट मर रहा है..
अपनी ही सन्तानौ को..
आपस में लडते कटते मरते..
देख ईश्वर कैसे खुश हो सकता है..
इस पृथ्वी समेत..
सारे ब्रम्हांड में जो भी जीव..
उस ईश्वर की संरचना है..
जो भी ईश्वर की संरचना को..
नष्ट करता है..
वो ईश्वर का गुनाहगार है..
ईश्वर द्वारा निर्धारित सज़ा का..
भागीदार है..
ईश्वर द्वारा बनाये इंसानों से..
क्यों गलतिया हो रहीं हैं..
ईश्वर विचार कर रहे हैं..
क्या इंसान को..
दिमाग और बुद्धी देना गलत है..
इन्हें पत्थर पेड़ पहाड़ बना दिया होता ..
होते तब सभी ईश्वर की बनाई..
प्रकृति का हिस्सा..
ना होता धर्म जाती का किस्सा..
अब भविष्य में ऐसा ही होगा..
कोई भी दिमाग वाला जीव ना होगा..
अब होंगे सिर्फ..
पेड़ पौधे पत्थर पहाड़ फूल..
और चारो ओर हरियाली ..
सब इंसानों को प्रकृति के..
प्रतीकों में ढाला जायेगा..
ईश्वर अपनी इस रचना को..
देख खुश हो जायेगा..
खुश होगी प्रकृति भी..
होगी शांति चारो ओर..
गूंजेगा मधुर संगीत ..
सब होंगे आपस में मीत..!!
_Jpsb blog
कविता की विवेचना:
मंदिर मस्जिद की लड़ाई/Mandir Masjid ki लड़ाई कविता उस ईश्वर के बनाये बन्दे या इंसान उस ईश्वर और खुदा के घर के लिये आपस में लड रहें हैं.
मंदिर मस्जिद इंसान ने मान लिया ईश्वर और खुदा के घर हैं, क्या ईश्वर इंसान के कहने से या उसकी इक्षा से इनमें रहता है.
जिस ईश्वर ने सारा जहान बनाया क्या वो इंसान द्वारा बनाये किसी घर में रह सकता है या उनसे कहा जा सकता है कि मैंने मंदिर या मस्जिद बनायी है आप यहां रहिये.
श्री कृष्ण भगवान कहते हैं कि मैं कण कण में मौजूद हू सारी सृष्टि का रचना करने वाला हूं. मुस्लिम धर्म अनुयायी भी कहते हैं सारी कायनात अल्लाह ने बनाई है और वो एक हैं.
सारी कायनात का हिस्सा इंसान भी हैं चाहे वो किसी भी धर्म के हो, मंदिर मस्जिद भी उसी कायनात का हिस्सा है, उस एक कुदरत के बनाये इंसान कैसे आपस में उसी कुदरत को लेकर लड़ सकते हैं जिन्होंने उन्हें खुद बनाया है.
क्या यह उस कुदरत की अवज्ञा नहीं है, उन्होंने प्रेम और भाइचारे का संदेश दिया है, संदेश को इंसान क्यों नहीं मान रहा. एक ईश्वर की संतानें होकर आपस में कैसे लड सकती हैं और क्यों लड रहीं हैं.
भगवान और खुदा क्या घर चाहते हैं जिन्होंने सारी कायनात बनाई ब्रम्हांड बनाया उसी कायनात का छोटा सा हिस्सा इंसान उस कुदरत के घर के लिये लड कर अपनी आस्था और प्यार कुदरत को दर्शा रहा है.
क्या ईश्वर इस प्यार को स्वीकार रहें हैं जिसमें दुश्मनी गुत्थी हुयी है. ईश्वर का संदेश तो सिर्फ प्यार है.
"मंदिर मस्जिद की लड़ाई "कविता किसी भी बात पर लड़ाई इंसान द्वारा उस ईश्वर द्वारा दिये प्रेम के संदेश के विपरित है.
और जो सत्य है वो इंसान को स्वीकार करना चाहिये और उसी सत्य पर चलना चाहिये. ईश्वर या खुदा कभी नहीं चाहेंगे कि उसके बनाये इंसान आपस में लडे वो भी उनके घर के नाम पर. ईश्वर और खुदा प्यार की जगह नफरत देख नाराज ही होंगे.
कृपया कविता को पढे और शेयर करें.
_Jpsb blog
jpsb.blogspot.com
Author is a member of SWA Mumbai
Copyright of poem is reserved.
No comments:
Post a Comment
Please do not enter spam link in the comment box