जिंदगी एक पहेली है..
जो मौत की सहेली है..
एक दूजे से है इनका..
अटूट रिश्ता..
एक दूजे बगेर इनका..
काम नहीं बनता..
एक सहेली जिंदगी को..
सांसे देती है..
तो दूसरी सहेली सांसो को..
छिन लेती है..
दोनों में अटूट प्यार मिलेगा..
साथ साथ टकराव मिलेगा..
दोनों कभी एक साथ..
रह नहीं सकती..
एक आयेगी तो दूसरी..
उस जगह से चली जायेगी..
तब भी जिंदगी मौत..
के सबंध हैं अंतर्मन से..
सबंध निभते हैं इनके..
तन के आगमन से..
और निछावर होने से..
तन के मन से..
दोनों सहेलियों में..
आत्मीयता का..
अभाव मिलेगा..
एक सहेली का अगर..
दिल धडका..
तो दूसरी का दिल..
बंद मिलेगा..
एक को जिन्दगी में..
प्रशंसा मिलेगी..
तो दूसरी को..
अफसोस मिलेगा..
जिंदगी नाराजगीया झेलेगी ..
मनमुटाव भी मिलेगा..
मौत को मिलेगी शांति..
की दुआएँ..
निशान एक मजार मिलेगा..
जिंदगी में अपने पराये होंगे..
तो कभी परायों से..
अपनों सा प्यार मिलेगा..
मौत को परवर दीगार मिलेगा..
ईश्वर का प्यार मिलेगा..
जिंदगी के अच्छाई बुराई ..
दोनो पहलू हैं..
कहीं खिंचाव तो कहीं
अलगाव मिलेगा..
मौत का तो सिर्फ..
आत्मा से जुड़ाव मिलेगा..
जिंदगी अपनी जय जय..
कराएगी, कभी जिल्लत..
भी उठाएगी..
मौत आकर गले लगाएगी..
राजा रंक का फर्क़..
कभी ना दिखाएगी..
जिंदगी चलेगी अपनी..
मंजिल की ओर..
कर्म करेगी और ..
योग्य फल पाएगी..
आखिरी जिंदगी की मंजिल..
मौत ही कहलाएगी..
जिंदगी एक सुध्ध सत्य है..
सांसो से चलती है..
मौत अटल सत्य है..
सांसो की जरूरत नहीं..
आत्मा से जा मिलती है..
जिंदगी अगर पहेली है..
तो मौत इस पहेली को..
सुलझाने वाली सहेली है..!!
_Jpsb blog
कविता की विवेचना:
जिंदगी एक पहेली/Jindgi ek paheli कविता जिंदगी और मौत के घुड़ रहस्य और संबद्ध को रेखांकित करती है.
जिंदगी एक सत्य है जिसे हम जीते और महसूस करते हैं, मौत जिंदगी का अटूट हिस्सा है जिंदगी के गर्भ में रहता छुपा है.
जिंदगी सत्य है तो मौत भी अटूट सत्य है, जिन्दगी के साथ साथ मौत एक साया है, जिन्दगी के साथ मौत का साया सदेव रहता है.
"जिंदगी एक पहेली "कविता जिंदगी की एक अबूझ पहेली की ओर इंगित करती है जिस पहेली को मौत ही समझती है और अंत में सुलझा भी देती है, मगर जिंदगी सदेव इसके रिजल्ट से अनजान ही रहती है. राज में रहने में भी एक मजा है, जिन्दगी और मौत के प्रति उत्सुकता बनी रहती है.
कृपया कविता को पढे और शेयर करें..
..इति..
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jpsb.blogspot.com
Author is a member of SWA Mumbai
Copyright of poem is reserved.
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