तुम एक भूली हुयी..
पहचान हो..
जानते हुये भी मुझे..
बिल्कुल मुझसे तुम..
अनजान हो..
दिल के किसी कोने में..
दबी पडी है तस्वीर तेरी..
सपने में आयी थी तू..
एक बार..
लगा कोई भूली हुयी..
पहचान हो तुम..
दिल से पूछा नाम तुम्हारा..
तो दिल धडक पडा ..
एक्स तेरा अभी भी..
बाकी है दिल के आईने में..
अचानक एक दिन..
दिल में तूफान उठा..
धूल भरी आँधी चली ..
दिल से तेरे निशान..
उड़ा ले गई..
सुना है किसी और..
दिल की धडकने हैं..
तेरे दिल मे..
किसी ऊंचे महल की
सजावट हो तुम..
पहचान गया मैं तुम्हें..
गुजरा जब तुम्हारे बगल से..
नाम अधरों पर..
आते आते रह गया..
शायद तुम मुझे भूल गई..
धूल भरी आँधी में..
गुम हो गया मैं..
तुम्हारे मन के आईने में..
धूल के कण..
धुँधला रहें हैं तस्वीर मेरी..
कैसी है तकदीर मेरी..
जिन्दा हूं पर मिट गया हूं..
वक़्त के काल में..
सिमट गया हूँ ..
मेरी पास थी धुंधली सी..
झलक तेरी..
कौन था मैं समय चक्र में..
हो गया स्वाहा..
ना कोई मेरा निशान..
बाकी रहा..!!
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कविता की विवेचना:
भूली हुयी पहचान/Bhuli huyi pahchan कविता दो प्रेमियों की कहानी है, जो पहेले प्रेमी थे बाद में प्रेमिका ने बड़ा नाम चुन लिया और प्रेमी को भुला दिया.
ऐसा भुलाया कि जैसे कभी मिले ही ना हो, प्रेमी को कुछ पूछने या सवाल करने का मौका ही ना दिया.
अब पूर्व प्रेमिका ऊंचे रुतबे नाम के साथ घूमती है.
पुरानी यादे दिल के किसी कोने में दम तोड़ रहीं हैं, कुछ तस्वीरें तोड़ी मरोड़ी सी एल्बम में धूल खा रही हैं.
क्या हुये वादे कसमें, क्या सब झूठे थे या बिकाऊ थे, महंगे दामों में बिक गए.
"भूली हुयी पहचान " कविता में वो प्रेमी की पहचान प्रेमिका के लिये रद्दी अख़बार की तरह बेख़बर हो गयी
प्रेमिका किसी और के ख़यालों में खो गई, किसी और की हो गई. प्रेम को रद्दी की टोकरी में डाल दिया. प्रेमी आहे भरने के सिवा कर भी क्या सकता है.
कृपया कविता को पढे और शेयर करें.
..इति..
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Author is a member of SWA Mumbai.
Copyright of poem is reserved.
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