Saturday, October 2, 2021

मां ( Maa)

Maa
Maa 
Image from: pexels.com



" मां "तू अपने बच्चो को..
सिसकता छोड़ कर..
जाने किस लोक में चली गई..
तेरे जाते ही हमारा बचपन रूल गया..
आंसू ना रुके एक पल भी..
मन हमारा आंसुओ से धूल गया..

हर एक पल मन ने दोहराया..
कि तुम लोट आओगी..
हमारे माथे को प्यार से सहलायोगी..
हमे न मालूम था बचपन में..
कि वहां से लोट फिर कोई नही आता..
टूट जाता है सारा रिश्ता नाता..

जब जब बुरा हुआ हमारे साथ..
तुम बहुत ज्यादा याद आई..
अकेले में आंसुओं की झड़ी लगाई..
जब जब अच्छा हुआ तब भी..
तुम्हारे लिए दिल बहुत धड़का..
मन तरसा ,आंखे नम हुई..

काश तुम होती ऐसा कई बार सोचा..
तुम्हारे ना होने पर..
अपनी किस्मत को कई बार कोसा..

मां अपने बच्चो की..
धड़कने खूब पहचानती है..
अपनी जान से भी कही ज्यादा..
अपने लालों को मानती है..

मां ने ही हर कीमत पर..
अपने बच्चो के शौंक पूरे किए हैं..
मां हमे याद है तूने रातों जाग..
हमारे लिए दूसरों के कपड़े सीए थे..
उन पैसों से हमें उपहार दिए थे..

याद आता है एक एक पल..
तुम्हारे लाड में गुजारा हुआ..
तुम्हारे मुंह से निकलती थी..
हर वक्त हमारे लिए दुवाएं..

ना जाने अचानक हम पर क्यों..
ईश्वर ने कहर बरसाया..
छीन लिया हम बच्चो के सिर से..
तुम्हारा गहरा घना छाया..
तडफे रोए तरसे किसी ने ना सुनी..
अनाथ हो गए कभी पूरी नींद न सोए..

आज जब मैं भी पहुंच गया..
उम्र के आखिरी पड़ाव पर..
मिलोगी फिर तुम मुझे जरूर..
ईश्वर से सच्चे जुड़ाव पर..

इंतजार तुमसे मिलने का..
बहुत ज्यादा बे करार करता है..
थाम लेती है मां हांथ ..
जब उसका बच्चा मरता है..
मां भगवान है..
मां ईश्वर का दूसरा नाम है..!! 



_जे पी एस बी 

कविता की विवेचना: 

मां/ Maa कविता मां के बच्चो से अनूठे पवित्रतम रिश्ते के बारे में है , जब ईश्वर समय से पहले उन बच्चो की मां को अपने पास बुला लेता है।

मां को भगवान ने अपने से भी ऊंचा दर्जा दिया है, यशोदा मां और भगवान कृष्ण का प्यार जग प्रसिद्ध है।
मां पार्वती का अपने पुत्र श्री गणेश से प्यार ही था जिसने भगवान शंकर को श्री गणेश को पुनः जीवित करने को मजबूर किया था।

 मां के अवतार पर कई अनमोल सुंदर गीत लिखे गए, जैसे: जिसको नही देखा हमने कभी ,हे मां तेरी सूरत से अलग भगवान की सूरत क्या होगी..
दूसरा गीत: मां तू कितनी अच्छी है तू कितनी भोली है, प्यारी प्यारी है ओ मां..

कविता में नायक और उसके भाई बहिन अपनी स्वर्गवासी मां को को शिद्दत से याद करते हैं जो कि उनके बचपन में ही भगवान के घर विदा हो गई थीं।

मां के जाने के बाद बच्चो ने मृत्यु तुल्य तकलीफे सही जो कि शब्दो में बयान नही की जा सकती। मां की जगह कोई नही ले सकता ,ईश्वर भी नही , मां को ईश्वर ने खुद अपने से भी ऊपर बनाया है, और शक्तियां दी है कि मां अपने बच्चो की परवरिश कर सके।

"मां" कविता में मां में ईश्वर के दर्शन जो कि स्वयं भगवान का मां को वरदान है,मगर असमय वह मां रूपी ईश्वर बच्चो से भगवान ही ले ले तो बच्चो का जीवन नरक हो जाता है।मां कविता मां को उसके बच्चो की ओर से की श्रद्धांजलि है।

कृपया कविता को पढ़े और शेयर करें।
... इति...
_जे पी एस बी
jpsb.blogspot.com













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