Wednesday, October 13, 2021

दशहरा रावण और भी हैं ( Dashera ravan aur bhi hai)

Dashera _ Ravan aur bhi hai 
Image from:hindi-web.com



श्री श्री राम चंद्र भगवान..
तेरी लीला अद्भुत न्यारी है..
अपनी अनुपम कृपा से तूने ..
सारी दुनिया है तारी ..
मारा था रावण किया था..
पृथ्वी को जुल्मों से खाली..

भगवन फिर आओ एक बार..
रावनों ने यहां जगह बना ली..
  
रावनो का लगा यहां अंबार..
एक बार फिर तुम्हे करना होगा ..
इन कलयुगी रावणो का संहार..

प्रभु पृथ्वी को करो इन रावणनो ..
पापियों से सदा के लिए मुक्त..
करनी होगी आपको आलौकिक युक्त..
कई रावण अब रूप बदल कर आए हैं..
इन रावणो ने गरीब मासूम बहुत सताए हैं..

भगवान ये रावण तुमसे भी नही डरते..
तुम्हारे नाम से ही सारे पाप हैं करते..
इन्हे मिल गई है आपके नाम की कुंजी..
लूट ली आपका नाम लेकर सारी पूंजी..
भगवन गरीब मासूमों को तारों..
फिर इन सारे रावणनो को मारो..

प्रभु तुम्हारे बैकुंठ जाने के बाद..
रावण पृथ्वी पर बहुत फले फूले..
बंद कर दिए इन्होंने गरीबों के चूल्हे..
प्रभु आपके प्रति जन गण के प्रेम को..
ये रावण खूब भुनाते हैं..
तुम्हारे नाम का वोट ले..
खुद राजा बन जाते हैं..
फिर जनता को खूब सताते हैं ..

भगवान ये तो सिर्फ तुम्हे ही है पता..
कैसी करते हैं  ये  तुम्हारी उपासना..
जनता के हित का करते कुछ खास ना..
तुम्हारे नाम से ही राज पाट  हथियाया है..
आपकी जय जय कार से नाम कमाया है..

आपके नाम से जनता ने बहुत दी इन्हे छूट..
अब भगवान आप के नाम से ही रहे हैं लूट..
आपके नाम के राम राज को कर रहे बदनाम..
लूट खतोस हत्या अब हो गई यहां अब आम..

जनता को किया हर ओर से मजबूर..
खुद चक्रवर्ती राजा बन बैठे..
देश की जनता को बना दिया मजदूर..

प्रभु कुछ ऐसा करो अनूठा चमत्कार..
इन कलयुगी रावनो की हो हार..
या इन सारों का करों तुम संहार..
आम जनता  के भी भाग्य खुल जाएं..
लोग भी खुशहाल हो दशहरा मनाएं..!! 


_जे पी एस बी 

कविता की विवेचना: 

 दशहरा रावण और भी हैं/ Dashera Ravan aur bhi hai- कविता में दशहरा जैसा कि सर्वविदित है कि अच्छाई की बुराई पर विजय के रूप में मनाया जाता है।

श्री राम चंद्र भगवान ने उस समय रावण को मार कर सारी बुराइयों की जड़ को समाप्त किया था।

परंतु वर्तमान में चाहे कितनी भी दशहरे की कहानियां सुनाओ लोगो को बुराई ही भा रही है, कैसे भी कर के पैसे और सत्ता चाहिए।खाश कर राजनीति में तो यही हो रहा है।

बुराई की हमेशा हार होती है, इस बात की किसी को चिंता बिलकुल भी नहीं है,बुराई कर करके ही सत्ता पर काबिज हुआ जाता है।, इस बुराई में आपार सफलता भी मिल रही है सालों से।

राजनीति वालों को तो राम की रावण पर विजय एक कहानी ही लगती है ,जो सुनानी होती है और कृत्रिम खुशी माननी होती हैं।हकीकत सफलता साम दंड भेद अपना कर ही मिलती है ।

रामायण मर्यादा पुरोषोत्तम भगवान राम की ओजस्वी कथा है जो सबको सत्य के साथ चलने की और बुराई अत्याचार के साथ लड़ने के लिए प्रेरित करती है।

सबको पता है कि कैसे श्री राम भगवान को 14वर्ष का वनवास हुआ,रावण ने मां सीता जी का हरण किया, हनुमान जी ने लंका जलाई और भगवान श्री राम ने रावण का संहार युद्ध के दौरान किया।

उसी विजय की खुशी में दशहरा मनाया जाता है और श्री राम की अच्छाइयों को याद किया जाता है। 

उन्हीं श्री राम भगवान को कविता में याद किया गया है कि आज के युग में बहुत ज्यादा रावण पैदा हो गए हैं।
इन रावणनो का भी संहार श्री राम को वापिस पृथ्वी पर आ कर करना होगा।

क्यों की इनके अत्याचार बहुत ज्यादा बढ़ गए हैं,इन्हे गलत करके ही सफलता मिली है । इन रावणनो ने बुराई और गलत करने को सफलता की कुंजी मान लिया है।

अब ये बढ़ चढ़ कर बुरे काम करते हैं और कुर्सी(सत्ता) और दौलत पर कब्जा करते हैं।

" दशहरा रावण और भी हैं" कविता में जनता की ओर से भगवान श्री राम से प्रार्थना की गई है कि भगवान अपने भक्तों को अत्याचारी रावणनो के चंगुल से मुक्त कराने के लिए फिर एक बार पृथ्वी पर अवतार ले।

कृपया कविता को पढे और शेयर करें !
सबको दशहरे की बहुत बहुत शुभकामनाए!

... इति...
_जे पी एस बी 
jpsb.blogspot.com


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