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Maa Durga Maa Bharti Image from: pexels.com |
शेरा वाली मां ज्योता वाली मां..
श्री अम्बे श्री जगदम्बे मां..
हम सब गाएं तेरी आरती..
तू ही हमारी जन्म भूमि मां भारती..
तेरे नव रूपों के दर्शन..
पा धन्य धन्य होते हम..
होते हम धन धान्य से संपन्न..
हमें आशीष दे भाग्य तू स्वार्ति..
गाएं हम तुम्हारी आरती..
शैलपुत्री, ब्रह्मचारणी, चंद्रघंटा,..
कूष्मांडा,स्कंदमाता, कात्यायनी,..
कालरात्रि,महागौरी,सिद्धिदात्री..
तेरे सारे रूपों के दर्शन कर..
होते हम धन्य तू जब पुत्र कह पुकारती..
मां अम्बे मां जगदम्बे ..
झूम झूम गाएं तेरी आरती..
तू ही हमारी मां भारती..
सहस्र नमो वाली ..
तीनों लोको में पूजी जाने वाली..
जगत जननी मां..
तेरी संताने तुझे हर पल पुकारती..
ऊंचे पर्वतों वाली..
राक्षष्सो की काल..
देत्यो को तू सहारती...
हम सब गरबा खेलें..
तेरे नव रूपों के मेले..
तेरे दर्शन पा भक्तो की..
तकदीर तो अपनी सवार ली..
अम्बे मां जगदाबे मां..
हम सब गाएं तेरी आरती..
तू ही हमारी मां भारती..!!
_जे पी एस बी
कविता की विवेचना:
मां दुर्गा मां भारती / Maa Durga Maa Bharti कविता मां दुर्गा जी की नव रात्री प्रारंभ होने के अवसर पर लिखी गई है।
श्राद्ध समाप्त होते ही नव रात्री प्रारंभ होती हैं ,इन 9दिनों में मां की स्थापना घर में की जाती है और मां के 9 रूपों की पूजा की जाती है, मां दुर्गा के प्रतीक स्वरूप जवारे उगाये जाते हैं ।
मां दुर्गा के 9 रूप:
1.शैलपुत्री _ नव रात्री के पहले दिन दुर्गा मां को शैलपुत्री के रूप में पूजा जाता है,साधक अपना मन मूलाधार चक्र पर स्थित करते हैं।
2.ब्रम्हचारणी_ नव रात्री के दूसरे दिन मां के दूसरे रूप ब्रम्हचारणी के रूप में पूजा जाता है,साधक अपना मन स्वाधिष्ठान चक्र में स्थित करते हैं।
3.चंद्रघंटा_नव रात्री के तीसरे दिवस मां को चंद्रघंटा रूप में पूजा जाता है, मां के इस शती रूप को पूजने से सारे सांसारिक कष्टों से मुक्ति मिल जाती।
4. कृष्मांडा_ नव रात्री के चौथे दिन मां के इस स्वरूप की साधना की जाती है, साधक अपना मन अनाहत चक्र में लगता है।
5. स्कंदमाता_पांचवे दिन माता के स्कंदमाता स्वरूप का पूजन किया जाता है, साधक अपना मन विशुद्ध चक्र पर स्थित रखता है।
6.कात्यायनी_नव रात्री के छठवें दिन माता के कात्यायनी स्वरूप की आराधना की जाती है, साधक अपना मन आज्ञा चक्र में स्थित रखता है।
7.कालरात्रि_नव रात्री के सातवे दिन मां की सातवीं शक्ति कालरात्रि की उपासना की जाती है,मां का यह स्वरूप भयानक है, लेकिन सदेव शुभ ही देता है, इस कारण इस स्वरूप का नाम शुभडकरी भी है। इस दिन साधक का मन सहस्र चक्र में स्थित रहता है।
8.महागौरी_नव रात्री के आठवें दिन मां दुर्गा को महागौरी शक्ति स्वरूप में पूजा जाता है।
9.सिद्धिदात्री_ मां दुर्गा की नवमी शक्ति सिद्धिदात्री को नव रात्री के नवमे दिन पूजा जाता है, यह नव दुर्गा का अंतिम स्वरूप है,इस स्वरूप की आराधना कर लेने से भक्तो की सब मनोकामनाएं माता पूर्ण करती हैं।
मां दुर्गा के श्री दुर्गा सहस्त्रनामावली में 1000 नाम हैं।इन नामों के लिए ग्रंथ "स्वपूर्ण श्री दुर्गा सप्तशती" भाषा टीका को पढ़े।
अष्टमी के दिन हवन किया जाता है और कुंवारी कन्याएं 9 से ज्यादा को सहभोज कराया जाता है, और नवमे दिन माता जी(माता के प्रतीक स्वरूप जवारे) का विसर्जन पवित्र नदी में किया जाता है।
श्री राम भगवान ने भी रावण से युद्ध से पहले मां दुर्गा की शक्ति पूजा की थी और रावण पर विजय का वरदान मां से पाया था,महाकवि निराला जी ने राम की शक्ति पूजा महाकाव्य उसी प्रसंग पर लिखा है।
दुर्गा पूजा पूरे भारत में से बंगाल में सबसे ज्यादा भव्य रूप में मनाई जाती है, यह हमारे बंगाली भाईयो का सबसे बड़ा त्योहार है, बंगाली बंधु कही पर भी हो दुर्गा पूजा पर अपने पैतृक गांव जरूर पहुंचता है।
दुर्गा मां के त्योहार को पूरे भारत में बहुत ही ज्यादा श्रद्धा से मनाया जाता है,इस अवसर पर गुजरात में गरबे खेले जाते हैं।
यह दिवाली के पहले का सबसे बड़ा हिंदुओ का त्योहार है।
"मां दुर्गा मां भारती" कविता मां दुर्गा और उनके नव स्वरूपों के चरणो में एक भक्त की वंदना है, मां दुर्गा वंदना स्वीकार करे और शुभ आशीष दे, मां दुर्गा सबका कल्याण करें। पूरे विश्व को करोना से और सब विपदायों से मुक्ति प्रदान करें
जय माता दी..!
... इति...
_जे पी एस बी
jpsb.blogspot.com
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