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Antriksh main Duniya Image from: pexels.com |
JPSB Blog have self written Unique Hindi poem & shayari Collection on current subject in India & hole world, I have written unique poem on various subjects & Related to life emotions ,Nature Pollution & Politics in India...Poems can be also listen in audio by Google read out...and can be translate in any language by Google Translate is available in this blog...
Sunday, October 31, 2021
अंतरिक्ष में दुनिया( Antriksh Main Duniya)
Thursday, October 28, 2021
रिश्तों में दरार ( Riston main darar)
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Riston main darar Image from: pexels.com |
Friday, October 22, 2021
प्यार सपना सा( Pyar Sapna Sa)
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Pyar Sapna Sa |
Sunday, October 17, 2021
गुमनाम कवि(Gumnaam Kavi)
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Gumnaam Kavi Image from: pexels.com |
Darvin theory of human
यह दुनिया का...आठवां है वंडर...के इंशा है....बिन पूंछ का बंदर...इसकी पूंछ कहा गई...आसमां निगल गया...या जमी निगल गई. ..इसकी पूंछ की खोज...अभी तक जारी है...के इसकी पूंछ किसने मारी है...जिस दिन इसकी पूंछ ...मिल जायेगी...इंशा की किस्मत...खुल जायेगी....यह बिन पूंछ का बंदर...नही कहलाएगा...डार्विन थिओरी ...का बंदर बन जायेगा...
Yah duniya ka ..
Aathwa hai wonder..
Ki inshan hai ..
Bin punchh ka Bander .
Isaki punchh kahan gayi..
Aashman nigal gaya ..
Ya jamin nigal gayi..
Isaki punchh ki khoj..
Abhi tak jari hai..
Ke iski punchh kisne mari hai..
Jis din iski punchh..
Mil jayegi..
Inshan ki kismat ..
Khul jayegi..
Yah bin punchh ka Bander ..
Nahi kahlayega ..
Darwin theory ..
Ka Bander ban jayega..!!
_जे पी एस बी
कविता की विवेचना:
डार्विन थ्योरी ऑफ ह्यूमन/ Darvin theory of Human कविता डार्विन की प्रसिद्ध थ्योरी कि इंसान पहले बंदर थे , बंदर से ही विकसित होते होते आज के स्वरूप के इंसान बन गए।
आज के स्वरूप के इंसान में विकसित दिमाग है, उसी विकसित दिमाग के बल पर पृथ्वि पर जीवों में सर्वश्रेष्ठ हो गया और ताकतवर भी बाकी सब जीवों को इंसान ने अपने नियंत्रण में कर लिया है।
दिमाग विकसित होने के साथ साथ इंसान की जिस्मानी खूबसूरती भी बहुत बड़े पैमाने पर विकसित हुई, इंसान के बदन से बाल गायब हो गए और खाश कर पूंछ गायब हो गई जिसकी खोज के बारे में यह कविता है, इंसान के चेहरे पर नाक उभर आई ओंठो में पंखुड़ियां लग गई,आंखो में गहराई आ गईं, चेहरे पर तेज आ गया।
क्या इंसान के फिर कभी पूंछ आ सकती है, डार्विन साहेब ने भी अपनी थ्योरी में इस बात का जिक्र नहीं किया, अगर पूंछ आती है तो बाल और जो जो इंसान के जिस्म में विकसित हुआ था सब पहले की स्थिति में चला जायेगा , यानी इंसान फिर से बंदर बन जायेगा, डार्विन साहिब ने इस बात का भी जिक्र नहीं किया।
आज के विज्ञानिको को अध्यन करना चाहिए कि अगर डार्विन थ्योरी सच है तो ,क्या यह थ्योरी रिवर्स भी हो सकती है, क्या जब पृथ्वी समाप्त होने को होगी सब कुछ रिवर्स होगा, तो क्या इंसान को पूंछ मिल जायेगी, और जो उसे मिला हुआ है सब गायब हो जाएगा, तो क्या इंसान फिर से बंदर बन जायेगा, यह सब विज्ञानको के खोज का विषय है।
"डार्विन थ्योरी ऑफ ह्यूमन" कविता में इस बात पर संशय किया गया है जब डार्विन साहेब की थियरी के अनुसार इंसान बंदर से इंसान बन सकता है ,तो क्या रिवर्स थ्योरी में फिर से बंदर भी बन सकता है।
अगर ऐसा हो सकता तो वर्तमान के इंसान पर बहुत बड़ा खतरा है, यह तो विज्ञानीक ही खोज कर बता सकते हैं, भगवान को तो पहले से ही पता है कि भविष्य में क्या होगा , क्यों कि कहानी संसार की भगवान ने लिखी है।
कृपया कविता को पढे और शेयर करें।
ऑडियो सुनने के लिए कृपया Google read out ka use करें।
... इति...
_जे पी एस बी
jpsb.blogspot.com
Wednesday, October 13, 2021
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Saturday, October 9, 2021
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