एक राष्ट्रध्यक्ष..
बहकावे में आया.
भरी ऊंची उड़ान..
बनने को महान..
अपने पुराने मास्टर के..
जानी दुश्मन से ..
हांथ मिलाया..
अपने पुराने मास्टर को..
यूरोप से लाल कपड़ा दिखा..
बहुत भड़काया..
कि आ बैल मुझे मार..
मेरे दोस्त करेंगे..
तुम्हारा संहार..
जब बैल रूपी रुस ने..
हमला बोला..
बिलबिला कर..
दोस्तों से बोला..
मुझे बचाओ मुझे बचाओ..
दोस्तों ने और उकसाया..
कि जा चड जा बेटा सूली पे..
हमसे हथियार ले..
और भीड़ जा..
अपनी नादानियों से..
उस राष्ट्रध्यक्ष ने
देश के मासूम नागरिकों..
बेघर किया और मरवाया..
अपने ही देश को..
अपनी नादानियों से..
खंडहर बनाया..
टेलीविजन सीरियल समझा शायद..
एक हास्य कलाकार ने..
पूरे देश को खून के आंसू रुलाया..
कही से छुप छुप कर..
खुद को बहादुर योद्धा बताया..
देश के शहर दर शहर..
खंडहर होते रहे..
मासूम लोग मरते रहे..
राष्ट्रपति महोदय..
अपना ही देश फूक..
तमाशा देखते रहे..
और अपनी बहादुरी के किस्से..
घड़ते रहे..
अपने देश की तबाही का
खुद तमाशा देखा..
दोस्तों को दिया अपने देश..
की रक्षा का ठेका..
आ बैल मुझे मार..
मै ले रहा हूं दोस्तो से ..
रक्षा उधार..
अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मार..
देश कट, बट , टुकड़े हो गया..
फिर भी उस देश का राष्ट्रपति..
अपने नये बनाए दोस्तों का ..
मुह देखता रहा..
दोस्तों द्वारा तबाह
अफगानिस्तान,इराक आदि..
की श्रेणी में एक नया देश जुड़ गया..
दोस्तों ने मुंह मोड़ लिया..
दूसरे के पजामे में क्यो..
टांग ली फसा ..
अपने राष्ट्रध्यक्ष की नादानियों की
यह देश भुगत रहा सजा..!!
_जे पी एस बी
कविता की विवेचना:
आ बैल मुझे मार/ AA bail mujhe maar कविता वर्तमान में चल रहे युद्ध की समीक्षा करती है।
युद्ध को रोका जा सकता था, एक ना तजुर्बेकार राष्टाधक्ष देशों कि शह में आ अपने ही पड़ोसी और पूर्व के हमवतन देश को अपना दुश्मन बना लिया।
आ बैल मुझे मार की कहावत इस देश के राष्ट्रपति पर चरितार्थ होती प्रतीत होती है, यह कहां की बहादुरी है कि अपने देश को ही तबाह कर के अपने लोगो को ही मरवाकर कह रहे है कही से छुपकर देखो मैं बहादुर हूं, ये बहादुरी नही आत्म हत्या है।
उन देशों का पूर्व इतिहास जानते हुए कि इन देशों ने कितने देश अपने स्वार्थ के लिए तबाह कर दिए , अफगानिस्तान, ईराक उदाहरण हैं अब एक नया देश भी इन तबाह देशों कि श्रेणी में शामिल हो गया है।
समझौता कर युद्ध को टाला जा सकता था मगर दोस्त देशो के बहकावे में आ कर हमसाया देश को आंख दिखाई।
हमसाया देश ने बचाव की जगह आक्रामक होना बेहतर समझा कि दोस्त देश एक पड़ोसी देश की शह पर हमला करे , आने वाली मुसीबत को पहले ही समाप्त कर दो।
" आ बैल मुझे मार" कविता इस देश के राष्ट्रपति द्वारा खुद ही अपनी कबर खोदने जैसा है, बैल को दोस्तों का दिया लाल कपड़ा दिखा उकसाया ।
अब बैल चढ़ बैठा तो दोस्तों को गुहार लगा रहा है कि मुझे बचाओ मुझे बचाओ , दोस्त कहता है अच्छे से अच्छे मार खाओ हम हथियार देंगे जब तुम अच्छे से पिट जाओगे.
कृपया कविता को पढ़े और शेयर करें।
... इति...
_जे पी एस बी
jpsb.blogspot.com
©Apply on poem
Author is member of SWA Mumbai
Side effects of war suffering innocent .
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