लहू का कतरा कतरा बहा..
कश्मीरी पंडितों के खून का..
उग गया एक पौधा नया..
आजादी के जनूंन का..
अपने ही वतन में..
खानाबदोश किया ..
किन किन लोगों ने..
कश्मीरी पण्डितों का..
खून किया..
उजागर हुआ यह..
वर्षों बाद जाकर..
राजनीति इतनी स्वार्थी हो गई है..
कि चल रही है..
अपने ही हमवतनों को मरवा कर..
रोशन चेहरे स्याह हुए..
जो कई वर्षो तक थे राज लिए..
भारत के गुलस्थान के..
रंग बिरंगे फूल..
क्या बिखर जाएंगे गुलदस्ते से..
बागवान ही क्यों उजाड रहे..
अपने ही सुन्दर बगीचे को..
कश्मीरी पंडितों ने बहुत कुछ सहा..
पर किसी से कुछ ना कहा..
चुपचाप चल दिये फिर जिंदगी की..
जद्दोजहद से लड़ने..
अपने ही वतन में बेघर होकर..
फिर से खडे होने की कोशिश करने..
सफल भी हुए हम कश्मीरी पंडित..
जिंदगी लग गए फिर से जीने..
मगर जख्म हरे हैं अभी भी..
नासूर बन कर चुभते हैं..
हम अपनी जन्म भूमि से प्यार करते हैं..
छीन लिया कुछ लोगों ने हमसे..
अपनी मातृ भूमि को चूमने का अधिकार..
आंसू बनके छळक रहा है हमारा..
अपनी जन्म भूमि से प्यार..
भगवान के घर देर है अंधेर नहीं है..
न्याय होना है जरूर इसी धरा पर..
गुनाहगारों को सजा होगी ही..
भगवान का भेजा फरिश्ता आएगा ही..
हमे भी आशा का दीया..
जलता हुआ दिख रहा है..
जो अवश्य सूर्य सा चमकेगा एक दिन..
कश्मीर सूना सुना है..
कश्मीरी पंडितों के बिन..
लौटेंगे हम अपने प्यारे आशिया में..
भटके हैं बहुत इधर उधर..
जैसे आश का पक्षी असमान में..
मुकाम हमारा कश्मीर..
प्यार हमारा कश्मीर..
जान हमारा कश्मीर..
कश्मीर की रूह हैं हम..
कश्मीरी पंडित, कश्मीर को हम फिर..
जिंदादिल करेंगे, वहाँ जाकर..!!
_Jpsb
कविता की विवेचना:
कश्मीर फाइल न्याय को आवाज/Kashmir file nyay ko aawaz कविता कश्मीरी पंडितों पर 32 वर्ष पूर्व हुए अत्याचार पर एक फिल्म चर्चा में है.
फिल्म कश्मीरी पंडितों पर हुए अत्याचारों पर प्रकाश डालती है और कई सत्य घटनाओं को दर्शाकर कश्मीरी पंडितों के दर्द को उजागर करती है.
उस समय के राजनीतिक पैरोकारों का चरित्र चित्रण भी करती है कि कैसे अपने राजनीतिक स्वार्थों के लिए लोगों को उनके हाल पर छोड़ दिया जाता है.
चाहे देश का नुकसान हो और लोग मौत के मुह में चले जाए.
देश में ऐसा अक्सर होता है और गुनहगारों का कुछ नहीं होता, चाहे वो 1947 के दंगे हो, गोधरा हो या 1984 का सिख समुदाय का कत्लेआम हो. सबको सब पता है मगर किसको सजा है.
जब कोई सजा नहीं होती तो एक तरह से गुनहगारों को मंजूरी मिल जाती है और अगली बार वो और ज्यादा अत्याचार करते हैं, कौन हैं ये लोग और कौन रोकेगा इन्हें.
अब तो हम आजाद हैं किसी को दोष भी नहीं दे सकते
हमारे अपने ही हम पर जुल्म कर रहें हैं, वो भी मौत की हद तक जाकर, यह तो अराजकता है.
"कश्मीर फाइल न्याय को आवाज " कविता कश्मीरी पंडितों के न्याय के लिए आवाज बनकर आयी फिल्म "कश्मीर फाइलस" का आभार व्यक्त करती है जो कि कश्मीरी हिन्दुओं के लिए भगवान का फरिश्ता बनकर आई है.स्वागत है ऐसी अन्याय के खिलाफ कोशिश के लिए.
कृपया कविता को पढ़े और शेयर करें.
...इति...
Jpsb
jpsb.blogspot.com
Author is a member of SWA Mumbai
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