अच्छे विचार और सोच ..
घनी हो तो तुम धनी हो ..
जनकल्याण की भावना..
सबके लिए शुभ कामना..
मन में कुट कुट कर भरी हो..
तो तुम धनी हो..
सत्य का मार्ग चुना..
झूठे मक्कारो को..
कभी नहीं सुना..
ईमानदारी रोम रोम में
भरी हो..
तो तुम धनी हो..
हिंसा का प्रतिकार..
अहिंसा का प्रचार..
किया हो सामाजिक..
बीमारियो का उपचार..
बुराइयों का संहार..
परोपकार की दिल में..
जिद्द ठणी हो..
तो तुम धनी हो..
युद्ध नरसंहार को..
तुमने रोका हो..
युद्ध करने वालों को..
तुमने टोका हो..
शांति की राह दिखाई हो..
तुम्हारी परसाई मे भी ..
ना कोई बुराई हों..
अंधेरे में भी तुम्हारे..
विचारों की रोशनी..
घनी हो..
तो तुम धनी हो..
सुहाना मौसम..
पवन के पावन झोंके..
बादलों को..
स्वच्छंद झूमने के मौके..
हर ओर प्यार..
और शांति का उपहार..
सुनहरी सूर्य किरनों की..
चारों ओर कण कणी हो..
ईश्वर की कृपा ..
तुम पर सदेव बनी हो..
तो तुम धनी हो..!!
-JPSB
कविता की विवेचना:
तुम धनी हो/Tum dhani ho कविता विचारों आदर्शों और दिल से धनी होने की बात कविता में की गई है.
धन प्रॉपर्टी से धनी इंसान का दिल, विचार औऱ आदर्श छोटे हैं तो वह गरीब ही है. कितना भी पैसा हो चरित्र, आदर्श नहीं खरीदे जा सकते.
दिल और विचारों का धनी ईश्वर की विशेष कृपा से होता है, भौतिक धन कभीं भी जा सकता है, परंतु ईश्वरीय प्रदान धन कभी नहीं जाता हमेशा पास रहता है.
दिल के धन को कही खोजने की जरूरत नही है ,यह हमेशा ही व्यक्ति के साथ जीवन भर रहता है.
" तुम धनी हो "कविता में आध्यात्मिक ज्ञान रूपी धन की बात का वर्णनं किया गया है.
कृपया कविता को पढे और शेयर करें.
...इति...
JPSB
Web- jpsb.blogspot.com
Author is member of SWA Mumbai
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