![]() |
Jindgi Aur Rishte Image from : pexels.com |
एक बार की जिंदगी ..
एक बार का रिश्ता..
फिर अनंत तक कहां..
जिंदगी में मिलना लिखा..
तब क्यों नही निभता..
एक छोटा सा रिश्ता..
पल दो पल की जिंदगानी..
पानी के बुलबुले सी..
कुछ पलों की हंसी खुशी..
बाकी दुख परेशानियां..
इस जिंदगी में भरी पड़ी..
फिर रिश्तों से कैसा गुस्सा..
कैसा आपस में मिज़ाज..
क्यों रिश्तों से रहते नाराज..
कोई हुआ सफल उठा ऊंचा..
कोई रह गया असफल नीचा..
मगर रिश्ता क्यों हुआ फीका..
माता पिता ,भाई बहिन..
चाची चाचा, मामी मामा..
फूफी फूफा,यार दोस्त..
और भी कई अजीज रिश्ते..
क्यों अब निभ नही पाते..
लगते हैं घिसते घिसते से..
कल को किसने देखा है..
ना हम होंगे ना तुम होगे..
यादें भी सारी मिट जाएंगी..
तब किसके लिए चाहत..
खत्म हो जाएगी रिश्तों की..
सदा के लिए हर आहट..
ईश्वर ने सोच समझ कर..
बनाए होंगे रिश्ते नाते..
अब हम नजर आते नकारते..
गलती से भी रिश्ते को ..
कभी नही लगते पुकारते..
जिंदगी अनंत काल में..
सिर्फ एक बार मिलती है..
थोड़ी सी सुबह दोपहर..
जरा सी जिंदगी की शाम..
अरसो बाद साथ मिलती है..
इन मिले हुए सुंदर पलों को..
क्यों ना शान से गुजारा जाए..
अपनी अपनी जिंदगी को..
यादगार रूप से संवारा जाए..
रिश्तों को प्यार से पुकारा जाए..
काम सिर्फ प्यार और खुशियां..
बाटने का रोज किया जाए..
हर रिश्ते को नाम नया दिया जाए..
तोड़ना मरोड़ना छोड़ ..
आओ रिश्तों को जोड़ दिया जाए..
मिली पल दो पल की जिंदगी के..
हर एक पल को भरपूर जिया जाए..
हमारे जाने के बाद भी ..
हमारी यादें सदियों महकती रहें..
जब कभी भी जिक्र ..
हमारे अटूट रिश्तों का किया जाए..
आओ प्यार से अच्छे सरोकार से..
ईश्वर के बनाए रिश्तों को जिया जाए..!!
_जे पी एस बी
कविता की विवेचना:
जिंदगी और रिश्ते/ Jindgi Aur Rishte कविता:
आज के तथाकथित आधुनिक समय में पश्चिम के असर से भारत में टूटते रिश्तों का वर्णन उपरोक्त कविता में है।
भारत में रिश्ते बहुत ज्यादा लगाव से निभाने की एक बहुत अच्छी परंपरा रही है।भारतीय रिश्तों में आपसी प्यार और लगाव दिल की गहराईयों से होता है।
भारतीय रिश्ते सुंदर मोतियो की माला की तरह आपसे में गूथे हैं, जिन्हे अलग करने और बिखरने की कोई सोच भी नही सकता।
परंतु इंटरनेट और हमारे लोगों का विदेशाे में आवागम बहुत बढ़ा है, इसका असर हमारे रिश्तों की परंपरा पर भी पड़ रहा है।
" पैसा है तो मैं अकेला जी लूंगा" वाली सोच कुछ लोगों में घर करने लगी , यह इंटरनेट और विदेशी आवागमन का एक आंशिक असर हमारे समाज पर पड़ रहा है।
"प्यार आपस में लगाव है तो सब कुछ है" हमारी भारतीय सोच हमेशा रही है, यह सोच कायम रहनी चाहिए , और इसे कायम रखने के लिए हम सबको मिलकर पुरजोर कोशिश करनी चाहिए।
जिंदगी अनंत काल में सिर्फ एक बार एक सीमित समय के लिए मिलती है और उस जिंदगी के गहने और सांसे रिश्ते हैं।
फिर किसी को पता नही कि जिंदगी का सफर कब किस मोड़ पर खत्म हो जाएगा । फिर यह रिश्ता किसी को नही पता अगली बार अनंत कालों में मिल पाएगा कि नहीं।
आने वाले समय का हम कुछ नही कर सकते, वो ईश्वर के हांथ में है, मगर वर्तमान तो हमारे पास है, रिश्ते हमारे चारो ओर बहुत नजदीक हैं।
आओ इन रिश्तों को गर्मजोशी और प्यार भरी खामोशी से निभाएं। हर रिश्ते को दिल के नजदीक लाए। जिंदगी को भरपूर जी लें।
भगवान ने ये रिश्ते हमारे भले के लिए बनाए हैं, रिश्ते ईश्वर का अनुपम वरदान है, रिश्तों में बसता भगवान है।
इन रिश्तों को और बढ़ाया जाए हर रिश्ते को दिल में बसाया जाए।
" जिंदगी और रिश्ते " कविता हमारे भारतीय रिश्तों की गरिमा का वर्णन करती है, इन रिश्ता को पश्चिम की नजर ना लगे।
कृपया कविता को पढे और शेयर करें।
...इति...
_जे पी एस बी
jpsb.blogspot.com
No comments:
Post a Comment
Please do not enter spam link in the comment box