Sunday, November 28, 2021

शायरी और यारी( Shayari Aur Yaari)

Shayari Aur Yaari
Shayari Aur Yaari
Image from: pexels.com



तुमसे जबसे मैने यारी की..
तेरे लिए बहुत शायरी की..
याद तुम्हे किया दिन रात..
की प्यार की दिल से बरसात..

तेरे दिल में घर बनाने में..
लग गए मुझे बरसों..
मैने किया लंबा इंतजार..
आखिर दिल की बात..
दिल तक पहुंच गई परसों..

मेरी दर्द भरी आहों ने खोली..
दो दिलों के मिलन की राहें..
नजरें मिली दिल मिले..
फैली तब मिलने को बाहें..
हम गले मिले भर ठंडी आहे..

शकुन मिला जिगर को..
मन को अनोखा चैन मिला..
लगा जिंदगी को जैसे ..
एक और बैचेन मिला..

फुलझरिया फूटी फूल खिले..
रंगबिरंगे इंद्र धनुष ..
चारों ओर बिखरे बिखरे..
जैसे कस रहे हम पर फिकरे..

मस्ती में बीते दिन रात..
जब तक था तुम्हारा साथ..
जिंदगी का सफर सुहाना लगा..
हर पल आया जिंदगी का मजा..

शुक्रिया तुम्हारा..
खुशनुमा साथ निभाने के लिए..
जिंदगी को मेरी ..
तुमने बेशुमार सुहाने पल दिए..

जन्मों जन्म साथ रहेंगे..
हर एक जन्म की बात..
एक दूजे से खूब कहेंगे..
करते है ईश्वर का शुक्रिया..
हमे एक दूजे का साथ दिया..!! 


_ जे पी एस बी 

कविता की विवेचना:

शायरी और यारी/ Shayari Aur Yaari : कविता में दो प्रेमियों की वार्तालाप का वर्णन है।

प्रेमी प्रेमिका का रिश्ता एक यूनिक रिश्ता है, कुछ रिश्ते भगवान के बनाए होते है जिन्हे हम खून के रिश्ते भी कहते हैं , को स्वाभाविक रिश्ते हैं , ये रिश्ते होते ही हैं।

प्रेमी प्रेमिका का रिश्ता एक अनोखा रिश्ता है,जो अंजान इंसानों के बीच बनता है, बाद में इतना खाश हो जाता है कि बाकी रिश्ते दूसरे स्थान पर आ जाते हैं , भले ही कितने भी गहरे हों।

प्रेमी प्रेमिका बाद में पति पत्नी हो जाते हैं, पति पत्नी होने के बाद खाश में से भी खाश हो जाते हैं, कोई और रिश्ता इस रिश्ते के आस पास भी नहीं फटकता।

कविता में इस रिश्ते के बनने की शुरुआत से रिश्ते के गहरे होने तक की प्रक्रिया का दिल की गहरारियो को छू लेने वाला जिक्र है।

शायरी का उदगम और विकाश ही प्रेमी प्रेमिका की भावनाओ को परगट करने के लिए हुआ है, प्रेमी प्रेमिका की बात के बिना शायरी अधूरी है।

कम से कम शब्दो में दिल की गहरी बात व्यवथित ढंग से कह देना और उस बात को समझ लेना ही शायरी है।

"शायरी और यारी" कविता दिल और मन में उठ रही भावनाओ और संवेदना व्यक्त करती है।

कृपया कविता को पढे और शेयर करें।

... इति...
_
_जे पी एस बी
jpsb.blogspot.com

Author is member of SWA.
Poem is registered under copy act.






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