Wednesday, November 10, 2021

परमात्मा और आत्मा (Parmatma Aur Aatma)

Parmatma Aur Aatma
Parmatma Aur Aatma 
Image from: pexels.com



दर्शन दो मेरे परमात्मा..
तुम ही तो हो मेरी आत्मा..
पास रहकर भी क्यों दूरियां..
यह कैसी हैं मजबूरियां..

यह कैसी है कुदरत..
यह कैसा है करिश्मा..
मैं तुझ में हूं छिपा..
फिर भी खुद को नही दिखा..

ना ही तेरी झलक पाई..
यह कैसा खेल है रघुराई..
आत्मा अपनी ही होकर..
क्यों लगती है सदा पराई..

तेरा ही अंश हूं परमपिता..
फिर भी पिता का साया..
क्यों कभी नही मुझे दिखा..
यह कैसी माया है नही पता..

मंदिर मंदिर गुरुद्वारे..
क्यों तलासता तुझे फिरा..
जब कि तू तो मेरे संग था..
सदा हमेशा मेरे परमपिता..

तन रूपी पिंजरे का दिमाग..
क्या क्या रहता है सोचता..
पिंजरे में तुम हो परमपिता..
दिमाग को रहे हो चला..

दर्शन दो मेरे परमात्मा..
तुम ही तो हो मेरी आत्मा..
जब तू अलग नहीं मुझसे..
मैं ढूंढता फिर रहा हूं किसे..

मैं को मैं ही क्यों तलासता..
समझ से परे है मेरे प्रभु..
तेरी यह चमत्कारिता..
अनंत ब्रमाहण्ड है तू परमात्मा..

अजर अमर है आत्मा..
बस शरीर का होता खात्मा..
दर्शन दो मेरे परमात्मा..
तुम ही तो मेरी आत्मा..!!


_जे पी एस बी  

कविता की विवेचना: 

परमात्मा और आत्मा/ Parmatma Aur Aatma कविता ईश्वर के चमत्कार इंसान की उत्पति और इस इंसान रूपी शरीर को संचालित करने वाले परमात्मा के आत्मा से संबंध का वर्णन है।

भगवान श्री कृष्ण ने गीता में कहा है कि हर जीव में वह यानी भगवान स्वयं मौजूद हैं, और उनकी इच्छा के बगैर पत्ता भी नहीं हिलता।

परमात्मा हर वक्त हमारे अंग संग हैं और हम मंदिर मस्जिद गुरुद्वारे गिरजा घर में उसे तलासते फिर रहे हैं, धर्म के नाम पर लड़ मर रहे हैं।

क्यों कभी आपने स्वयं के अंदर झांक कर नही देखा और ना ही परमात्मा को शिद्दत से याद किया जो कि हमारे अंदर ही मौजूद है हर पल।

परमात्मा है तो ही आत्म है तो ही यह सांस चल रही है और हम जिंदा हैं, एक पल भी परमात्मा साथ छोड़ देगा तो हम एक पल भी जिंदा ना रह पाएंगे।

परमात्मा तो मौत के बाद भी आत्मा का साथ कभी नही छोड़ता, परमात्मा के बिना आत्म कुछ भी नहीं, आत्मा का वजूद ही परमात्मा से है।

आत्मा एक पल भी अनंत काल तक परमात्मा से अलग नहीं हो सकती और जब अलग हुई फिर वहां कुछ भी नही यानी परमात्मा है तब ही आत्मा है वर्ना कुछ भी नही है। 

 परमात्मा है तब ही आत्मा है और आत्मा है तो हम हैं, यानी परमात्मा ने तो हमे एक पल भी अपने से अलग नहीं किया।

यह हमारे शरीर में जो दिमाग भगवान ने दिया है वह ही परमात्मा को भूल बैठा है और हम परमात्मा को जगह जगह ढूंढते फिर रहे हैं ,जब कि दिमाग को भी परमात्मा ही चला रहा है।

कितने नादान है हम हर पल परमात्मा साथ है अनंत काल से और हमे पता नही , हम जगह जगह तलाश रहें हैं , परमात्मा के नाम धर्म बना लिए अलग अलग और लड़ मर रहे हैं ।

परमात्मा एक है और सबके साथ हर पल है तब तो हम जिंदा हैं, इस बात को क्यों समझ नही पाए हम।

"परमात्मा और आत्मा" कविता में परमात्मा को आत्मा से कभी भी अलग नहीं किया जा सकता इस संपूर्ण सत्य का वर्णन किया गया है, परमात्मा बिन आत्मा कुछ नही, आत्मा बगैर मनुष्य का अस्तित्व नहीं।

परमात्मा है तब ही आत्मा है और आत्मा है तब ही मनुष्य का अस्तित्व है, यही परम सत्य है।

कविता को पढे और कृपया शेयर करें।

... इति...
_जे पी एस बी
jpsb.blogspot.com











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