Sunday, December 26, 2021

कण कण में भगवान( kan Kan main Bhagwan)

                                        
Kan kan main bhagwan
Kan kan main bhagwan
Image from: pexels.com


ईश्वर ने इंसान से कहा..
और क्या चाहिए सबूत..
मेरे होने का..
कण कण में ..
हर क्षण में..
हर जीव पौधे..
पर्वत..
जमीन आकाश..
अंधेरा प्रकाश..
समुंदर हवा पानी..
पवन दीवानी..
आंधी तूफान..
बर्फ के गोले..
बरसते ओले में..
सुनसान शून्य में..
संगीत की धुन में..
शोरगुल हंगामे में..
अंधेरे उजाले में..
हर दिलकश नजारे में..
हर जगह हूं मैं..
और क्या चाहिए..
सबूत मेरे होने का..
तुम जलाते हो ..
आग..
मैं परगत होता हूं..
तुम बजाते हो..
घंटी शंख..
मैं बज उठता हूं..
मैं बारिश के रूप में..
आता हूं..
मैं प्रकाश फैलता हूं..
कभी चांद..
कभी सूरज हो जाता हूं..
मैं गुरुत्वाकर्षण हूं..
मैं तेरा और चीजों का ..
वजन हूं..
मैं ही बिजली बन..
आता हूं..
तुम्हारे टीवी फ्रिज पंखे..
मोटर मशीनें..
चलाता हूं..
तुम मेरी ही तरंगों पर..
फोन मोबाइल रेडियो..
सुनते हो..
तुम जिसे विज्ञान कहते हो..
वोह मैं ही तो हूं..
तुम जिसे ज्ञान कहते हो..
वोह बुद्धि ..
मैं ही तो हूं..
तुम जो बोलते सुनते ..
देखते सोचते हो ..
सब मैं ही तो हूं..
तुम जो जीते मरते हो..
वो मैं ही तो हूं..
मैं कभी ..
एक क्षण भी..
अलग नही हूं तुमसे..
ध्यान लगाओ..
महसूस करो मुझे..
मन से..
तुम जो मुझे ढूढते हो..
जगह जगह..
मंदिर मस्जिद गुरुद्वारे..
मैं तो हूं..
तेरे बहुत पास..
तेरे दिल के द्वारे..
मैं तो सर्व व्याप्त हूं..
सब को प्राप्त हूं..
समझो जानो..
मुझे पहचानो..
समझने के लिए..
मैने ही दी ..
तुम्हे बुद्धि..
पहचानो और..
कर लो अपनी आत्मा की..
सुधी..
तुम्हारी याददस्त ..
भूल भुलेया..
मैं ही तो हूं..
मैं अनंत हूं..
मैं भगवंत हूं..
मैं हर जगह व्याप्त हु..
मैं हर जीव पौधे वस्तु..
को प्राप्त हूं..
मेरे बारे में जानने ..
को अनंत काल लगेंगे..
तब भी जान ना पाओगे..
खुद को पहचानो..
तब ही मुझे पाओगे..
मैं हूं बहुत सरल..
तुम में समाया..
तब भी तुम्हे समझ ना आया..
अब मुझे पहचान लो..
जो तुम देख, सुन ,बोल ,समझ..
रहे हो..
उसे ही "मैं" मान लो..!! 


_जे पी एस बी 

कविता की विवेचना: 

कण कण में भगवान/ kan kan main Bhagvan कविता में भगवान की व्यापता को वर्णित किया गाया है।

भगवान कहां नही है , हर जगह तो हमे भगवान के दर्शन होते हैं, जिसे हम विज्ञान कहते हैं वोह भगवान ही तो है।
 
पृथ्वी में गुरुत्वाकर्षण होना , चांद सितारे सूरज का होना और निश्चित समय पर अपने कार्यों को करना भगवान ही तो है।

 एक ही सूर्य पूरी पृथ्वी को प्रकाश के साथ तापमान भी नियंत्रित करता है। भगवान ही तो है,अनंत आकाश अनगिनत प्रकाश गंगाएं भगवान ही तो है।

तरह तरह के जीव जंतु पौधे फल फ्रूट अनाज फलों  में विभिन्न स्वाद रस भगवान ही तो है।

हम सुनते देखते समझते हैं यह सब भगवान ही तो है, जरूरत होने पर अग्नि परगट होती है हवा परगत होती है बरसात बर्फ आसमान से बरसती है यह सब भगवान ही तो है ।

हम विज्ञान कहते हैं विज्ञान स्वयं में भगवान ही है।
हम में बुद्धि सोचने समझने की शक्ति निहित है भगवान ही तो है।

भगवान एक पल भी साथ छोड़ दे तो हमारी सांस दिल की धड़कने दिमाग सब उसी क्षण बंद हो जाएंगे।

 उसके बाद भी भगवान के अनुसार किसी और युग और दूसरी पृथ्वीयो की अनंत यात्रा प्रारंभ हो कर अनंत काल तक चलती रहती है, भगवान ही तो है। 

जिसका हमे ज्ञान भी नही होता , भगवान ने जिस सीमा तक ठीक समझा हमे ज्ञान और विज्ञान दिया , इसे हम संभाल पाए तो शायद और देगा।

हर पल क्षण हम भगवान पर ही निर्भर हैं उनके बिना कोई भी कुछ भी नहीं है।

" कण कण में भगवान" कविता में भगवान का वर्णन  नही किया जा सकता अगर हम कई युग लगा दे तब भी , भगवान का वर्णन भगवान खुद ही कर सकते हैं ।

उनके सिवा कोई भी नहीं, श्री कृष्ण भगवान भगवत गीता में अपनी व्यापता कण कण में हर जीव में उनकी उपस्थि बता गए हैं सर्वव्याप्त प्रभु सबको प्राप्त हैं।

 हे ईश्वर इस संसार और ब्रम्हांड पर अपनी असीम कृपा सदेव बनाए रखें हमे एक पल भी अपनी शरण और ओट से अलग ना करें।

जय श्री कृष्ण ! जय श्री राम ! ओम नमः शिवाय!

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..इति..
_जे पी एस बी 
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प्यार में मरना जरूरी है(Pyar main marna Jaruri hai)

          
Pyar main marna jaruri hai
Pyar main marna jaruri hai
Image from: pexels.com


जख्म दिल पर खा..
प्यार व्यार हुआ हवा..
जब पता चला कि ..
दिल पर आघात है पड़ा..
जान का खतरा है बड़ा..
जान बच गई  ..
बहुत बड़ा हादसा टला..

मैं जिंदा हूं ..
अपने घर पर..
वोह जिंदा हैं..
उसके घर पर..
तो प्यार क्या  ..
जिंदगी मौत का खेल है..
जो मर नही पाता..
प्यार के खेल में फेल है..

जो टूट जाता है..
टूट कर बिखर जाता है..
वोह देवदास कहलाता है..
देवदास भी तो..
अंत में मरा था..
उसने सच्चा प्यार करा था..
मरे थे लैला मजनू..
शीरी फरहाद, शशी पुन्नू..
और हीर रांझा..

मर कर भी उन्हें क्या..
प्यार मिला..
एक दर्द भरी कहानी..
का था सिलसिला..
नए प्रेमियों के लिए..
पैगाम छोड़ा..
प्यार मिलन नही है..
है ये दो दिलों का ..
बिछोड़ा..

जितना तड़फ तड़फ ..
एक दूजे के लिए..
तरस तरस के मरो..
उतना ही अच्छा है..
प्यार मौत के बाद ही..
परवान चढ़ता है..
अगर प्यार सच्चा है..
सच्चा प्रेमी ..
जरूर मरता है..

जो जीते जी..
प्यार करते हैं..
वोह एक समझौता है..
वहां प्यार में..
कही न कही धोखा है..
सच्चे प्यार में..
एक तड़फ और मजबूरी..
बहुत जरूरी है..
प्यार तपस्या है..
और इस तपस्या में..
मरना जरूरी है..

इस लिए ..
जरा सोच समझ कर ..
प्यार करो..
अगर सच्चा प्यार है..
तो जरूर मरो..
अगर मरने से डरते हो..
तो थोड़ा दिल को..
मार लो..
थोड़ा धोखा ..
और समझौता..
करके प्यार से..
काम लो..
साथ निभेगा जिंदगी भर..
मरोगे फिर भी..
मगर बूढ़े होकर..!! 

_जे पी एस बी 

कविता की विवेचना: 

प्यार में मरना जरूरी है/ Pyar Main Marna jaruri hai कविता में आधुनिक युग में प्यार करने वाले आर्थिक सोच के साथ और पुराने युग के प्यार करने वाले , प्यार पर मर मिटने वाले ,एक ही लक्ष्य प्यार और सिर्फ प्यार, इन दोनो युगों में प्यार करने वालों के अंतर का वर्णन किया गया है।

कविता एक नायक नायिका की प्रेम कहानी से प्रेरित है,
नायक नायिका की प्रेम कहानी चल रही थी, अचानक इस कहानी में एक मोड़ आता है, नायिका नायक को धोखा देकर कही और शादी कर लेती है।

 नायक  नायिका के इस प्यार में धोखे को सहन नही कर पाता और नायक को हार्ट अटैक आ जाता है, किसी तरह उसकी जान बच जाती है।

नायक प्यार से तोबा कर लेता है और समझौते वाला प्यार अपनाता  है।

नायक को पुरानी प्रेम कहानियां याद आती हैं ,देवदास,हीर रांझा,सोहनी महिवाल,शशि पुन्नू,लैला मजनू। इन सब प्रेम कहानियों में दो दिलों का बिछड़ा ही होता है ।

 नायक नायिका दोनो या फिर नायक या नायिका को मरना मरना होता है।

नायिका किसी और की पत्नी होती है खुल कर रो भी नही सकती अपने प्रेमी की मौत पर, जैसे देवदास की कहानी में होता है।

या फिर समाज दो प्रेमियों को मिलने नही देता अगर समझौता नहीं करते समाज के साथ तो अंत मौत ही होती है।

"प्यार में मरना जरूरी है" कविता में इस ओर इंगित किया गया है कि दीवानगी वाला प्रेम होगा तो अंजाम अनिशित है ।

मौत भी हो सकती है , सच्चे प्यार करने वाले मौत से कहां डरते हैं, इस लिए अक्सर मरते हैं, शायद प्यार में कुर्बानी का जज्बा और नशा उच्च स्तर का होता है, आर्थिक हिसाब वाले नही समझ पाएंगे।

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..इति..
_जे पी एस बी
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Sunday, December 19, 2021

किस्मत को मोड़ना( Kismat ko Modna)

        
             
Kismat ko modna
कड़ी मेहनत 
Image from: pexels.com

लिखा है किस्मत में ..
पत्थर तोड़ना..
पत्थर तोड़ तोड़ के ..
किस्मत को मोड़ना..

मत मान तू हार..
मेहनत से होगा चमत्कार..
तेरा भाग्य भी ..
एक दिन दमकेगा..
तू भी हीरे सा चमकेगा..

मेहनत का फल ..
हमेशा मीठा होता है..
खुश होता है ईश्वर..
अगर तुमसे रूठा है..

तेरी हाड़ तोड़ मेहनत..
एक मिशाल है..
तेरी सफलता में..
तेरी मेहनत का ही ..
कमाल है..

मेहनत से भाग्य..
नया लिखा जा सकता है..
मेहनतकस के साथ..
भाग्य तो क्या ..
ईश्वर भी आन मिलता है...

कुछ ना सोचो..
बस एक लक्ष्य ..
निर्धारित करो..
और मेहनत से..
उस लक्ष्य तक पहुंचो..

सफलता तेरे माथे को..
झूम के चूमेगी..
भाग्य की रेखाएं..
तेरे अनुसार घूमेंगी..

अब और ना सोच..
ना भाग्य को कभी कोस..
भाग्य तो मेहनत का..
गुलाम है ..
मेहनत की तो सफलता..
हो जाती आसान है..

चल सब मिल कर..
आज  मेहनत को ही..
अपना लक्ष्य बनाएं..
अपना भाग्य सुनिश्चित ..
सुनहरा भविष्य बनाएं..!!


_जे पी एस बी 

कविता की विवेचना:

किस्मत को मोड़ना/ Kismat Ko Modna कविता में कड़ी मेहनत की महता को रेखांकित किया गया है।

तुम कर्म करो फल की इक्शा मत करो , फल भगवान खुद ही तुम्हारे कर्म अनुसार देगे श्री कृष्ण ने गीता में यह लिखा। अर्थात अपना कार्य ईमानदारी और कड़ी मेहनत से करते रहो फल तैयार रखा है जरूर तुम्हे मिलेगा ही।

काम कोई छोटा बड़ा नही होता ,काम करने का तरीका काम के प्रति भावना ईमानदारी ही काम को बड़ा बनाती है।

मेहनत कस लोगो की वजह से ही दुनिया चल रही है, एक से एक हाथ मिल कर अनेक हांथ हो जाते हैं और कठिन से कठिन काम भी आसानी से संपन्न हो जाते हैं।

कड़ी मेहनत एक किस्मत के सारे बंद दरवाजे खोल देती है, या कि दरवाजे अपने आप खुल जाते हैं , मेहनत करने वाले को खुद विश्वाश नही होता कि इतना अच्छा परिणाम तो ना सोचा था, मेहनत का फल बहुत मीठा होता है।

मेहनत से सदेव अपना नाता जोड़े कभी मुख ना मोड़ें सुखद परिणाम अपने आप आपके सामने आते रहेंगे।

"किस्मत को मोड़ना" कविता में वर्णन किया गया है कि कड़ी मेंहनत किस्मत को मोड़ देती है, इसलिए कड़ी मेहनत करो और अपने क्षेत्र में नाम और धन खूब कमाओ और जीवन सुखी बनाओ।

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_जे पी एस बी
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Friday, December 17, 2021

दीदी और बहना ( Didi Aur Bahina)

        
Didi aur Bahina
Didi Aur Bahina
Image From: pexels.com


दीदी और बहना..
है रिस्तो का अद्भुत गहना..
एक से आशिर्वाद ,दुलार..
दूसरे से दुवाये, स्नेह प्यार..

मोहनी सी सूरत ..
मां ,भगवान के बाद जो..
याद आए,भूले ना भुलाए..
हर गम खुशी में..
ये प्यारा रिश्ता अपना..
फर्ज बखूबी निभाए ..

यहां प्यार जाहिर नहीं..
आत्मसात है..
निस्वार्थ दुवाए ,हित है..
अपनों के सफल होने में..
अजब सी खुशी ,जीत है..

कभी कभी ये रिश्ते..
खो जाते हैं,..
कुछ अनहोने किस्से..
हो जाते हैं..
अंजाने में पराए से..
हो जाते हैं..

पल पल याद आते..
दिल को कटोचते हैं..
मन कभी पंख लगा..
पूछता है..
उड़ के पहुंच जाऊ..
मिलने को ..
जब दिल मचलता है..

पंख नही आते..
पर मन की ..
कल्पना की उड़ान..
पहुंच ही जाती है..
बहुत पास बनके खास..
रूह से रूह की..
जब  होती है बात.. 

जिंदगी के कुछ पल..
सुहाने हो उठते हैं..
खुशी से दिल..
झूम उठता है..
खुशबू सी आती है..
हवाओ में..

बहिना और दीदी..
तुम्हे खुद नही पता..
तुम्हारे पास कितनी ..
खुशियां असीमित..
और आलौकिक दुवा है..
ईश्वर ,मां के बाद..
बहीना दीदी ही..
खुदा है..!!


_जे पी एस बी 

कविता की विवेचना: 


दीदी और बहिना/ Didi Aur Bahina कविता भगवान द्वारा बनाए आलौकिक रिश्ते बहिन और दीदी को उल्लेखित करती है।

भाई बहिन , बहिन दीदी का अनोखा रिश्ता है भारत में तो बहुत ही खास है, बहिन भाई के रिश्ते को रक्षा बंधन और भाई दूज के त्योहार और पवित्र और मजबूत बनाते हैं।

भाई बहिन के बीच एक खास निस्वार्थ प्यार होता है, छोटी बहिन बड़ी बहिन , दीदी के बीच एक विशेष मोहपास होता है। 

बहिन भाई का रिसता ता उम्र अपने आप अपने विशेष मोह स्नेह सा निभाता है, एक दूसरे के सुख दुख के साथी होते हैं।

"दीदी और बहिना" कविता में भाई बहिन , दीदी के रिश्तों का वर्णन किया गया है , और इन रिश्तों की महता का उल्लेख किया गया है।

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जे पी एस बी
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Sunday, December 12, 2021

आजादी का अमृत महोत्सव( Aazadi ka Amrit Mahoutsav)

    
                         
Aazadi ka Amrit Mahoutsav1
Aazadi ka Amrit Mahoutsav1 
Image from: pib.gov.in

Aazadi ka Amrit Mahoutsav2
Aazadi ka Amrit Mahoutsav2 
Image from:repblicworld.com

             
भारत ने आज़ादी लेने के लिए..
क्रांति रूपी समुंदर मंथन मथा..
ये है आजादी के लिए कुर्बानियों..
और जान हथेली पर रखने की कथा..

आजादी के दीवानों ने कष्ट सहे..
हंसते हंसते बिना कुछ कहे..
बापू भी डट कर तैयारी से आए थे..
कस लंगोटी अंगोछा..
लाठी साथ लाए थे..
अहिंसा का पाठ पढ़ाया था..
देश को आजादी लेने का..
खूबसूरत तरीका बताया था..

भगत सिंह, राजगुरु , सुखदेव ने..
आजादी के हवन कुंड की..
ज्वाला प्रज्वलित की थी..
देश की आजादी के लिए..
हंसते हंसते अपनी जान की..
बली अनोखे अंदाज में दी थी..

इन शहीदों की कुर्बानियां..
बहुत मार्मिक और बड़ी थीं..
नेता जी, चंद्रशेखर आजाद ने..
पुरजोर ललकारा था..
" तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हे आजादी दूंगा"
नेता जी का नारा था..
इन सबको वतन जान से प्यारा था.. 

लाला लाजपत राय ने लाठी खा ..
आजादी का द्वार खोला था..
तब बच्चा बच्चा..
बोली आजादी की बोला था..
तिलक ,सरदार पटेल ने..
जन जन में अलख जगाई थी..
जनता उनके पदचिन्हों पर..
आजादी के लिए आगे आई थी..

सरदार पटेल ने..
राजे रजवाड़े रियास्तो को..
भारत देश में कुशलता से जोड़ा था..
राजा महाराजाओं का दंभ तोड़ा था..

15 अगस्त 1947..
को भारत माता का प्यारा"तिरंगा"..
शान से गगन चुंभ में फहराया था..
हम सब भारतवासियों ने..
राष्ट्र गान, जन गण मन ..
प्रफुल्लित हो जोश में गाया था..
आजादी का अमृत महोत्सव मनाया था..
वोह महोत्सव अब 75वे साल में आया है..
सब देशवासियों को बधाई ,खुशियां लाया है..!!

कविता की विवेचना: 

आज़ादी का अमृत महोत्सव/ Aazadi ka Amrit Mahoutsav कविता हमारे देश भारत के आजादी के 75वे वर्ष में परवेश होने पर लिखी गई है।

जैसे कि सर्व विदित है कि हमारा देश भारत आजादी के 75वे वर्ष में हो चुका है एवम भारत इस उपलक्ष में विभिन्न कारकर्मो के जरिए खुशियां मना रहा है।

भारत सरकार ने " आज़ादी का अमृत महोत्सव" कार्यकर्म 15 अगस्त 2021 से प्रारंभ किया जो कि 15 अगस्त 2022 तक विभिन्न क्रियाकलापों एवम करकर्मो के जरिए देश भर में मनाया जा रहा है।

इस उपलक्ष में कई परियोगिताए रखी गई हैं ,जैसे चित्रकला, कविता लेखन, लेख लेखन,हमारे आजादी के नायकों के प्रति सम्मान और शहीदों के प्रति श्रद्धांजलि आदि ।

इस आजादी के लिए हमारे पूर्वार्वजो ने अनेक कुर्बानियां एवम अपने जीवन के आहुतियां देश की स्वतंत्रता के लाए हैं।

हमारे आजादी के हीरो शहीद भगत सिंह,राजगुरु, सुखदेव,श्री चंद्रशेखर आजाद, नेताजी सुभाष चंद्र बोस,खुदीराम बोस,शहीद ऊधम सिंह अनगिनत नाम हैं जिनकी कुर्बानियों का फल आजादी हम भोग रहे हैं।

इसके अलावा राजनेतिक नेता महात्मा गांधी,सरदार वल्लभभाई पटेल,जवाहर लाल नेहरू, सरोजिनी नायडू,राजनेतिक रूप में आजादी का संघर्ष किया।

भारत वर्ष एक समृद्ध देश था , प्राचीन काल में इसे सोने की चिड़िया भी कहा जाता था। उस समय भारत वर्ष अनेक रियस्तो में बता हुआ था।

भारत की गुलामी वर्ष 1857 से मुगलों के भारत पर कब्जे से प्रारंभ हुई 400वर्ष मुगलों ने भारत पर राज किया, भारत वर्ष को लूटा गया , धर्म प्रवर्तन कराए गए, आम जनता पर अत्याचार किए गए।

मुगलों के बाद अंग्रेज भारत में व्यापार करने के बहाने आए और इन्होंने 200 वर्ष राज किया, अंग्रेजो ने भी भारत खूब लूटा , सोने की चिड़िया को पत्थर को चिड़िया बना कर छोड़ा।

अंग्रेज जाते जाते भारत के दो टुकड़े कर गए , हिंदोस्तान और पाकिस्तान,लोखो लोगों की जान गई घर बार छूटा, भारत देश ने आज़ादी की बहुत बड़ी कीमत चुकाई तब कही आजादी नसीब हुई। 

अभी भी भारत के नागरिकों बहुत कुछ पाना बाकी है, जैसे अच्छी शिक्षा, अच्छी स्वास्थ्य सुविधाएं, हर नागरिक को रोजगार , प्रतेक नागरिक को रिटारमेंट के बाद पेंशन, गरीबी रेखा के गरीबों को उपर लाना आदि।

सारे गरीबों को मध्यम वर्ग के समकछ लाना आजाद भर में मुख्य लक्ष निर्धारित करना चाहिए। भारत वर्ष में भी सभी सुविधाए विकसित देशों के बराबर होनी चाहिए।

"आजादी का अमृत महोत्सव" मानने के दौरान हमे अपने लक्ष निर्धारित कर लेने चाहिए कि हमारा देश भी निधारित समय के अंदर एक विकसित देश के रूप में स्थापित हो जाना चाहिए ।

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_जे पी एस बी 
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कौन हूं मैं ( Koun hun Mai)

    
 
Koun hun mai
Kaun hun mai
Image From:pexels.com


करोड़ों वर्ष मेरी आयु..
अनंत काल से हूं ..
मैं प्राण वायु..
कौन हूं मैं..?
कहते हैं  सब आत्मा..

आत्माएं तो अनगिनत हैं..
अनंत हैं..!
उनमें से एक हूं मै ..
मेरी पहचान क्या हैं..
जानते हैं सिर्फ मेरे प्रभु..

अनंत बार शरीर के ..
रूप में जन्मा और नष्ट हुआ..
जिस भी शरीर में था..
उसे भी कष्ट हुआ था.. 

कभी  अच्छा शरीर..
कभी  बुरा शरीर..
कभी कष्ट ही कष्ट..
कभी आनंद ही आनद..
से भरा शरीर..

हे ईश्वर ये तो है..
तेरा ही चमत्कार..
इस चमत्कार को बार बार..
चरणावत नमस्कार..
मगर हे मेरे प्रभु..
ये बार बार जन्म मरण क्यों.?

आपकी इक्षा बगैर..
पत्ता भी न हिल पाता,..
फिर पाप पुण्य का कैसा खाता..
कैसी सजा और कैसा इनाम..
क्या है स्वर्ग नरक कोई धाम..

प्रभु इस गरीब ..
भक्त में भी रुचि ले..
शामिल कर ले ..
मेरा नाम भी आपकी..
प्रियो की सूची में..
रखें अपने हृदय के करीब..
खुल जाए अपने भी नसीब..

हे ईश्वर ,आपकी बनाई ..
इस तलवार को म्यान दें..
मुझे ब्रम्हांड का ज्ञान दें..
जन्म मरण से निजात दें..
अपने दिव्य दर्शन की..
शौगत दें..

मुझे भी आत्मसात करें..
दिन रात स्नेह दया की..
बरसात करें..
यह आत्मा शरीर का..
क्या खेल है..
इसे समझने में हर कोई..
जीवन में फेल है..

मंदिर मस्जिद गुरुद्वारे..
आपको हम रहे तलासते..
हमे कभी पता ही ना चला..
आप तो हमारे दिल के ..
हमेशा बहुत पास थे..
मुझे ज्ञान दे प्रभु..
इस आत्मा के चक्रव्यू को..
समझ सकूं..
खुद को भी पहचान लूं..
कौन हूं मैं..?




_ जे पी एस बी 

कविता की विवेचना:

कौन हूं मै/ Koun hun Mai कविता में नायक अपना वजूद ढूंढ रहा है कि वो कौन है?

मृत्यु के बाद के जीवन की परिकलना अगले जन्म, चोराशी लाख योनि,स्वर्ग नरक,देव लोक, इंद्र लोक आदि इसमें क्या कितना सच और कितनी कल्पना है।

मनुष्य ने खुद ही खुद अनगिनत स्वालों के चक्रव्यू में उलझा रखा है।खुद ही खुद को नही पहचानता । 

आत्मा कभी नहीं मरती अर्थात अमर है,सवाल कि आत्मा कब पैदा हुई और कैसे , कितनी उमर है आत्मा की ।

कई पृथ्वी ,कई आकाश ,कई सूर्य मंडल हैं। आत्मा इन सब पृथ्वी आकाश पर घूमी होंगी मगर मौजूदा शरीर को नही पता कितने शरीर बदले कितने जन्म हुए और किस किस पृथ्वी पर आत्मा विचरी इस शरीर को नही पता।

आत्मा की कोई पहचान होगी कोई कोड कोई नाम होगा
मगर मौजूदा शरीर को नही पता, शायद शरीर छोड़ने के बाद पता चल जाता होगा।

मगर ईश्वर को सब पता है ,ईश्वर ने क्यों यह संसार का खेल रचा ईश्वर के सिवा किसी को नही मालूम।

पैदा होते ही शरीर काम पर लग जाता रिश्ते नाते ,पैसे, रूतवा इन सब में रम जाता है ,और पता ही नही चल पता कब मृत्यु नजदीक आ गई और एक अध्याय और किस्सा खत्म।फिर नई कहानी शुरू होती है।

"कौन हूं मै" कविता में इस जन्म का शरीर अपनी आत्मा को पहचानने की असफल कोशिश कर रहा है, हासिल कुछ नही होता, रहस्य कायम है। 

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...इति...
_जे पी एस बी
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Tuesday, December 7, 2021

हिंदी शायरी भाग-1( Hindi Shayari Part-1)

                        
Pyar ka Ijhaar
Pyar का ijhaar


⭐🌿 तेरे प्यार को स्वीकार करेंगे..
            आ जाना मिलने ..
             हम भी प्यार का इजहार करेगे..!! 
                            🌼

🌺🌿 चांद को पाने की तमन्ना की..
            जैसे हम आगे बढ़े..
             चांद दूर होता गया..!!  
                              🌼

🌺🌿 बचपन से जवानी की आस में..
           उम्र गुजार दी..
            जब होश में आए तो..
            बुढ़ापा नजर आया..!!
                              🌼


Unmido ke Diye
Unmido ke Diye

 
⭐🌿 हमने भी उम्मीदों के जलाए..
            कुछ दिए थे..
            वक्त की आंधी में..
             सब बुझ गए..!
                               🌼
🌺🌿 चांद सितारों की..
            चमक चाही थी..
            हासिल टिमटिमाते हुए..
            दिये निकले..!!
                             
                               🌼  
Phoolon Ki khooshbu
Phoolon ki khooshbu

       
⭐🌿 फूलो की खुशबू ने..
            इशारा किया..
            बहारें खूबसूरत हैं..
            नाम तुम्हारा लिया..!!
                              🌼
🌺🌿 आओ एक बार ..
            मिल भी जाओ अभी..
            तुम्हारे इंतजार में..
            उम्र गुजार दी..!!
                              
                              🌼    
Aankhon se
Aankhon se 
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💓🌿 ओंठो से नही..
           मुस्कुराओ आंखो से..
           भींग जाएं हम सर से पांव तक..
            प्यार इतना बरसाओ आंखो से..!!
                               🌼
🌹🌿 समय बीतता गया..
           और जवान ही रहा..
            काश मैं भी समय होता..
            बीत जाता जवान ही रहता..!!
                               🌼
🌺🌿   कभी तुम थे..
             हमारे जिगर के तारे..
             अब किस नाम से पुकारें..
             जब तुम पराए होकर...
             मुझे देखते हो..!!
                                  🌼
⭐🌿 वक्त को रोकना चाहा..
           नही रुका..
           और मैं बूढ़ा होता गया..
                                    
                                   🌼      
Aap mere dwar
Aap mere Dwar
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🌺🌿 हुआ ना अपनी ..
            किस्मत पर एतबार..
            कि आप खुद आए हैं..
            हमारे द्वार..!!
                                 🌼
🌹🌿     खत के जवाब में..
               कोरा कागज़ ही भेज देना..
               कागज को देख कर ही..
               हाल ए दिल जान लेंगे..
               कोरे कागज़ को तुम मान लेंगे ..!!
                                     🌼

🌺🌿 तुम्हे बातों बातों में..
                इशारा किया था..
                   दिल में जलता है ..
                      तुम्हारे प्यार का दिया सा..!!
                  
Hindi Shayari Part 1 pc 6
Hindi shayari Part 1
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_जे पी एस बी 


हिंदी शायरी भाग _1 की विवेचना:

हिंदी शायरी भाग_1/ Hindi Shayri Part 1 लघु शायरी संग्रह है , जिसमे हिंदी शायरी विभिन्न संवेदनाओं में लिखी गई है।

इस लघु शायरी को आवश्यकता अनुसार सोशल मीडिया ग्रुप में इस्तेमाल किया जा सकता हैं। जैसे व्हाट्स ऐप, फेस बुक, ट्वीटर,और सोशल मीडिया ग्रुप आदि।

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...इति...
_जे पी एस बी
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