Sunday, December 12, 2021

कौन हूं मैं ( Koun hun Mai)

    
 
Koun hun mai
Kaun hun mai
Image From:pexels.com


करोड़ों वर्ष मेरी आयु..
अनंत काल से हूं ..
मैं प्राण वायु..
कौन हूं मैं..?
कहते हैं  सब आत्मा..

आत्माएं तो अनगिनत हैं..
अनंत हैं..!
उनमें से एक हूं मै ..
मेरी पहचान क्या हैं..
जानते हैं सिर्फ मेरे प्रभु..

अनंत बार शरीर के ..
रूप में जन्मा और नष्ट हुआ..
जिस भी शरीर में था..
उसे भी कष्ट हुआ था.. 

कभी  अच्छा शरीर..
कभी  बुरा शरीर..
कभी कष्ट ही कष्ट..
कभी आनंद ही आनद..
से भरा शरीर..

हे ईश्वर ये तो है..
तेरा ही चमत्कार..
इस चमत्कार को बार बार..
चरणावत नमस्कार..
मगर हे मेरे प्रभु..
ये बार बार जन्म मरण क्यों.?

आपकी इक्षा बगैर..
पत्ता भी न हिल पाता,..
फिर पाप पुण्य का कैसा खाता..
कैसी सजा और कैसा इनाम..
क्या है स्वर्ग नरक कोई धाम..

प्रभु इस गरीब ..
भक्त में भी रुचि ले..
शामिल कर ले ..
मेरा नाम भी आपकी..
प्रियो की सूची में..
रखें अपने हृदय के करीब..
खुल जाए अपने भी नसीब..

हे ईश्वर ,आपकी बनाई ..
इस तलवार को म्यान दें..
मुझे ब्रम्हांड का ज्ञान दें..
जन्म मरण से निजात दें..
अपने दिव्य दर्शन की..
शौगत दें..

मुझे भी आत्मसात करें..
दिन रात स्नेह दया की..
बरसात करें..
यह आत्मा शरीर का..
क्या खेल है..
इसे समझने में हर कोई..
जीवन में फेल है..

मंदिर मस्जिद गुरुद्वारे..
आपको हम रहे तलासते..
हमे कभी पता ही ना चला..
आप तो हमारे दिल के ..
हमेशा बहुत पास थे..
मुझे ज्ञान दे प्रभु..
इस आत्मा के चक्रव्यू को..
समझ सकूं..
खुद को भी पहचान लूं..
कौन हूं मैं..?




_ जे पी एस बी 

कविता की विवेचना:

कौन हूं मै/ Koun hun Mai कविता में नायक अपना वजूद ढूंढ रहा है कि वो कौन है?

मृत्यु के बाद के जीवन की परिकलना अगले जन्म, चोराशी लाख योनि,स्वर्ग नरक,देव लोक, इंद्र लोक आदि इसमें क्या कितना सच और कितनी कल्पना है।

मनुष्य ने खुद ही खुद अनगिनत स्वालों के चक्रव्यू में उलझा रखा है।खुद ही खुद को नही पहचानता । 

आत्मा कभी नहीं मरती अर्थात अमर है,सवाल कि आत्मा कब पैदा हुई और कैसे , कितनी उमर है आत्मा की ।

कई पृथ्वी ,कई आकाश ,कई सूर्य मंडल हैं। आत्मा इन सब पृथ्वी आकाश पर घूमी होंगी मगर मौजूदा शरीर को नही पता कितने शरीर बदले कितने जन्म हुए और किस किस पृथ्वी पर आत्मा विचरी इस शरीर को नही पता।

आत्मा की कोई पहचान होगी कोई कोड कोई नाम होगा
मगर मौजूदा शरीर को नही पता, शायद शरीर छोड़ने के बाद पता चल जाता होगा।

मगर ईश्वर को सब पता है ,ईश्वर ने क्यों यह संसार का खेल रचा ईश्वर के सिवा किसी को नही मालूम।

पैदा होते ही शरीर काम पर लग जाता रिश्ते नाते ,पैसे, रूतवा इन सब में रम जाता है ,और पता ही नही चल पता कब मृत्यु नजदीक आ गई और एक अध्याय और किस्सा खत्म।फिर नई कहानी शुरू होती है।

"कौन हूं मै" कविता में इस जन्म का शरीर अपनी आत्मा को पहचानने की असफल कोशिश कर रहा है, हासिल कुछ नही होता, रहस्य कायम है। 

कृपया कविता को पढे और शेयर करें।

...इति...
_जे पी एस बी
jpsb.blogspot.com

©Author is member of SWA- Mumbai





















 








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