दीदी और बहना..
है रिस्तो का अद्भुत गहना..
एक से आशिर्वाद ,दुलार..
दूसरे से दुवाये, स्नेह प्यार..
मोहनी सी सूरत ..
मां ,भगवान के बाद जो..
याद आए,भूले ना भुलाए..
हर गम खुशी में..
ये प्यारा रिश्ता अपना..
फर्ज बखूबी निभाए ..
यहां प्यार जाहिर नहीं..
आत्मसात है..
निस्वार्थ दुवाए ,हित है..
अपनों के सफल होने में..
अजब सी खुशी ,जीत है..
कभी कभी ये रिश्ते..
खो जाते हैं,..
कुछ अनहोने किस्से..
हो जाते हैं..
अंजाने में पराए से..
हो जाते हैं..
पल पल याद आते..
दिल को कटोचते हैं..
मन कभी पंख लगा..
पूछता है..
उड़ के पहुंच जाऊ..
मिलने को ..
जब दिल मचलता है..
पंख नही आते..
पर मन की ..
कल्पना की उड़ान..
पहुंच ही जाती है..
बहुत पास बनके खास..
रूह से रूह की..
जब होती है बात..
जिंदगी के कुछ पल..
सुहाने हो उठते हैं..
खुशी से दिल..
झूम उठता है..
खुशबू सी आती है..
हवाओ में..
बहिना और दीदी..
तुम्हे खुद नही पता..
तुम्हारे पास कितनी ..
खुशियां असीमित..
और आलौकिक दुवा है..
ईश्वर ,मां के बाद..
बहीना दीदी ही..
खुदा है..!!
_जे पी एस बी
कविता की विवेचना:
दीदी और बहिना/ Didi Aur Bahina कविता भगवान द्वारा बनाए आलौकिक रिश्ते बहिन और दीदी को उल्लेखित करती है।
भाई बहिन , बहिन दीदी का अनोखा रिश्ता है भारत में तो बहुत ही खास है, बहिन भाई के रिश्ते को रक्षा बंधन और भाई दूज के त्योहार और पवित्र और मजबूत बनाते हैं।
भाई बहिन के बीच एक खास निस्वार्थ प्यार होता है, छोटी बहिन बड़ी बहिन , दीदी के बीच एक विशेष मोहपास होता है।
बहिन भाई का रिसता ता उम्र अपने आप अपने विशेष मोह स्नेह सा निभाता है, एक दूसरे के सुख दुख के साथी होते हैं।
"दीदी और बहिना" कविता में भाई बहिन , दीदी के रिश्तों का वर्णन किया गया है , और इन रिश्तों की महता का उल्लेख किया गया है।
कृपया कविता को पढ़े और शेयर करें!
...इति...
जे पी एस बी
jpsb.blogspot.com
Author is member of SWA Mumbai.
©Apply
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