Aazadi ka Amrit Mahoutsav1 Image from: pib.gov.in |
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भारत ने आज़ादी लेने के लिए..
क्रांति रूपी समुंदर मंथन मथा..
ये है आजादी के लिए कुर्बानियों..
और जान हथेली पर रखने की कथा..
आजादी के दीवानों ने कष्ट सहे..
हंसते हंसते बिना कुछ कहे..
बापू भी डट कर तैयारी से आए थे..
कस लंगोटी अंगोछा..
लाठी साथ लाए थे..
अहिंसा का पाठ पढ़ाया था..
देश को आजादी लेने का..
खूबसूरत तरीका बताया था..
भगत सिंह, राजगुरु , सुखदेव ने..
आजादी के हवन कुंड की..
ज्वाला प्रज्वलित की थी..
देश की आजादी के लिए..
हंसते हंसते अपनी जान की..
बली अनोखे अंदाज में दी थी..
इन शहीदों की कुर्बानियां..
बहुत मार्मिक और बड़ी थीं..
नेता जी, चंद्रशेखर आजाद ने..
पुरजोर ललकारा था..
" तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हे आजादी दूंगा"
नेता जी का नारा था..
इन सबको वतन जान से प्यारा था..
लाला लाजपत राय ने लाठी खा ..
आजादी का द्वार खोला था..
तब बच्चा बच्चा..
बोली आजादी की बोला था..
तिलक ,सरदार पटेल ने..
जन जन में अलख जगाई थी..
जनता उनके पदचिन्हों पर..
आजादी के लिए आगे आई थी..
सरदार पटेल ने..
राजे रजवाड़े रियास्तो को..
भारत देश में कुशलता से जोड़ा था..
राजा महाराजाओं का दंभ तोड़ा था..
15 अगस्त 1947..
को भारत माता का प्यारा"तिरंगा"..
शान से गगन चुंभ में फहराया था..
हम सब भारतवासियों ने..
राष्ट्र गान, जन गण मन ..
प्रफुल्लित हो जोश में गाया था..
आजादी का अमृत महोत्सव मनाया था..
वोह महोत्सव अब 75वे साल में आया है..
सब देशवासियों को बधाई ,खुशियां लाया है..!!
कविता की विवेचना:
आज़ादी का अमृत महोत्सव/ Aazadi ka Amrit Mahoutsav कविता हमारे देश भारत के आजादी के 75वे वर्ष में परवेश होने पर लिखी गई है।
जैसे कि सर्व विदित है कि हमारा देश भारत आजादी के 75वे वर्ष में हो चुका है एवम भारत इस उपलक्ष में विभिन्न कारकर्मो के जरिए खुशियां मना रहा है।
भारत सरकार ने " आज़ादी का अमृत महोत्सव" कार्यकर्म 15 अगस्त 2021 से प्रारंभ किया जो कि 15 अगस्त 2022 तक विभिन्न क्रियाकलापों एवम करकर्मो के जरिए देश भर में मनाया जा रहा है।
इस उपलक्ष में कई परियोगिताए रखी गई हैं ,जैसे चित्रकला, कविता लेखन, लेख लेखन,हमारे आजादी के नायकों के प्रति सम्मान और शहीदों के प्रति श्रद्धांजलि आदि ।
इस आजादी के लिए हमारे पूर्वार्वजो ने अनेक कुर्बानियां एवम अपने जीवन के आहुतियां देश की स्वतंत्रता के लाए हैं।
हमारे आजादी के हीरो शहीद भगत सिंह,राजगुरु, सुखदेव,श्री चंद्रशेखर आजाद, नेताजी सुभाष चंद्र बोस,खुदीराम बोस,शहीद ऊधम सिंह अनगिनत नाम हैं जिनकी कुर्बानियों का फल आजादी हम भोग रहे हैं।
इसके अलावा राजनेतिक नेता महात्मा गांधी,सरदार वल्लभभाई पटेल,जवाहर लाल नेहरू, सरोजिनी नायडू,राजनेतिक रूप में आजादी का संघर्ष किया।
भारत वर्ष एक समृद्ध देश था , प्राचीन काल में इसे सोने की चिड़िया भी कहा जाता था। उस समय भारत वर्ष अनेक रियस्तो में बता हुआ था।
भारत की गुलामी वर्ष 1857 से मुगलों के भारत पर कब्जे से प्रारंभ हुई 400वर्ष मुगलों ने भारत पर राज किया, भारत वर्ष को लूटा गया , धर्म प्रवर्तन कराए गए, आम जनता पर अत्याचार किए गए।
मुगलों के बाद अंग्रेज भारत में व्यापार करने के बहाने आए और इन्होंने 200 वर्ष राज किया, अंग्रेजो ने भी भारत खूब लूटा , सोने की चिड़िया को पत्थर को चिड़िया बना कर छोड़ा।
अंग्रेज जाते जाते भारत के दो टुकड़े कर गए , हिंदोस्तान और पाकिस्तान,लोखो लोगों की जान गई घर बार छूटा, भारत देश ने आज़ादी की बहुत बड़ी कीमत चुकाई तब कही आजादी नसीब हुई।
अभी भी भारत के नागरिकों बहुत कुछ पाना बाकी है, जैसे अच्छी शिक्षा, अच्छी स्वास्थ्य सुविधाएं, हर नागरिक को रोजगार , प्रतेक नागरिक को रिटारमेंट के बाद पेंशन, गरीबी रेखा के गरीबों को उपर लाना आदि।
सारे गरीबों को मध्यम वर्ग के समकछ लाना आजाद भर में मुख्य लक्ष निर्धारित करना चाहिए। भारत वर्ष में भी सभी सुविधाए विकसित देशों के बराबर होनी चाहिए।
"आजादी का अमृत महोत्सव" मानने के दौरान हमे अपने लक्ष निर्धारित कर लेने चाहिए कि हमारा देश भी निधारित समय के अंदर एक विकसित देश के रूप में स्थापित हो जाना चाहिए ।
कृपया कविता को पढ़े और शेयर करें।
_जे पी एस बी
jpsb.blogspot.com
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