मिल कर तुमसे..
दिल से खुशी का..
फुहारा निकला..
धडकते अपने दिल को..
देखना चाहा..
धड़कने वाला दिल..
तुम्हारा निकला..
बेचैनी घुटन सी..
रहती है मुझे..
मन मेरा है..
तेरी गिरफ्त में..
मन भी मेरा..
बेचारा,..
आवारा निकला..
कल्पना से..
तेरे चेहरे की..
सिहरन सी उठती है..
सारे बदन में..
सांसे महसूस होती हैं..
तेरी..
ओठों से..
जब नाम..
तुम्हारा निकला ..
यादे तुम्हारी..
तुम्हारे विचारों का..
मन में आना जाना..
आकर्षण तेरी ओर..
सोच में तुम्हें पाना..
यह क्या है..
प्यार या अपनापन..
सोचा कई बार..
प्यार हो सकता है..
मगर तुम तो..
रची बसी थी..
किसी किसी और..
दिल में..
मैं तो सिर्फ..
तुम्हारे लिये..
वक्त गुजारने का..
सहारा निकाला..!!
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कविता की विवेचना:
यादें प्यार की/ Yaaden pyar ki कविता प्रेमी जोड़ों की मनोदशा को रेखांकित करती है.
प्रेमी जोड़ों की सारी दुनिया से अलग एक अनोखी दुनिया होती है, जहां सिर्फ उनकी कल्पना और उनका राज चलता है. उनकी इस दुनिया में प्रेमीकिसी और का दखल बिल्कुल नहीं चाहते.
मगर कभी कभी उनकी इस दुनिया में खुद का दिल कहीं भूल जाते हैं, अपना दिल ढूढ़ने की मशक्कत में अपनी इस दुनिया को बिखेर देते हैं, चाहते किसी और को हैं दिल कहीं और हार देते हैं.
"प्यार की यादें " कविता में टूटे हुये दिल की दास्तान है, जब कि दिल जानबूझ कर तोड़ा नहीं गया, बस अनजाने में टूट गया और टूटे हुये दिल को कितनी भी कोशिश कर लो जोड़ा नहीं जा सकता.
पुराना एक गाना याद आता है.."कोई मेरे टूटे हुये दिल से..आज ये पूछे तेरा हाल क्या है.."कोई जब हाल पूछता है तो बहुत सकूं मिलता है, जैसे ज़ख्मों पर मरहम लगा दी हो.
..इति ..
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jpsb.blogspot.com
Author is a member of SWA Mumbai
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