Monday, September 19, 2022

फल फूल और हनी (Fal ful aur honey)

                  
Fal ful aur honey
Fal ful aur honey 
Image from:pexels.com 


गाय का दूध..
और मधुमक्खियों का..
शहद व हनी..
ऐसी ही छोटी छोटी..
चीजों से..
दुनिया है बनी..
और बने..
हम तुम इंसान..
ये तो..
करिश्मा है भगवान.. 

फूलों की खुशबु..
फल और उनका रस..
स्वाद लिया हमने चख..
और चखे..
प्रकृति के कई मेवे..
ये है कुदरत का..
करिश्माई तोहफा..
फर्ज इंसान का है..
वो भी करे..
प्रकृति से वफा ..

गाय को माता कहा..
और धोखा दिया..
बछडे के हिस्से का..
दूध पिया..
दूध पी पहलवान बने..
अपना बल..
खूब दिखाया..
घमंड में..
दूध का मूल्य भुलाया..

बछडे को..
गाडी खींचने को लगया..
कभी हल खिंचवाया ..
कुछ ने..
उसका मांस..
नोच नोच खाया..
क्या इंसान की बुद्धी..
निरीह बेजुबानौ को..
ठगने के..
लिये ही है बनी..
धोखे से चुराया..
मधुमखी का हनी..

एक तरफ..
धन के पहाड़..
दूसरी ओर..
भूखे नंगे लाचार..
भुखमरी से..
मरने की कगार..
इस देश में..
अमीर ने किया..
गरीब की रोटी पर कब्जा..
क्या है इसकी वज़ह..

चुन चुन कर..
गरीब के खाने की..
चीजों की..
लिस्ट बनाई..
उनका किया व्यापार..
उस पर जीएसटी लगाई..
गरीब के पेट पर..
लात मार..
व्यापार ने लिया ..
बड़ा आकार..

अमीर गरीब की..
भूख से पैसा..
कमा रहे हैं..
गरीब की भूख..
खा रहें हैं..
हक पशु पंछियों का..
ही नहीं..
इंसानों का भी..
खा रहें हैं..

गाय का दूध ..
और मधुमक्खियों का..
शहद व हनी..
चुरा लिया..
प्रकृति के फल फूल..
चख स्वाद लिया..
बदले में..
पेड़ काटे..
प्रदूषण दिया..
हथियार बंब बनाये..
युद्ध किया..
मचाया हाहाकार..
हे इंसान..
ये कैसा बुद्धी का..
तूने किया प्रसार..!! 

_Jpsb blog 


कविता की विवेचना:

फल फूल और हनी / fal ful aur honey कविता में इंसान के इस पृथ्वी पर सब जीवों से विकसित दिमाग के द्वारा ठगने का काम किया है. 

जीव तो जीव गरीब कम  बुद्धी के इंसानों का भी सोसण तथा कथित बुद्धीमान इंसानों ने किया है. 

विश्व में 80 % गरीबों की संख्या इसका उदाहरण है, हमारे देश में ही सारे देश का धन 5% अमीरों के कब्जे में है. 

प्रकृति और पशु पक्षियों का अत्याधिक दोहन का नतीज़ा प्रदूषण और पर्यावरण का असंतुलन है. 

तब भी इंसान सम्भलने की बजाय और बिगड़ रहा है, यूक्रेन युद्ध में हुआ सत्यानाश इसका ताजातरीन उदाहरण है. 

और अभी तो ताईवान युद्ध की तैयारी हो रही है. 

"फल फूल और हनी " कविता इंसान की बुद्धी का ध्यान उसकी सोसण की मनोवृति से हटाकर सृजन और परोपकार" जिओ और जीने दो" के सिधांत को अपनाने की प्रेरणा देती है.

ब्लकि संदेश देती है कि प्रकृति का अति दोहन ना करें, प्रकृति ,जीवों,  पंछियों से प्रेम करें पृथ्वी को स्वर्ग बनाये, स्वयं अपने लिए गढ़ा ना खोदे. 

...इति...
_Jpsb blog
 jpsb.blogspot.com
 Author is a member of SWA Mumbai
 Copyright of poem is reserved .








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