जिन्होंने भगवान..
साक्षात देखे होंगें..
कितने अच्छे उनकी..
जिंदगी के लेखे होंगें..
ईश ने आत्मसात..
किया होगा..
स्थान बैकुंठ में भी..
दिया होगा..
लगाई होगी भक्त ने..
आनंद के अथाह..
सागर में डुबकी..
मिले होंगे ज्ञान के..
अमूल्य मोती..
जल गई होगी..
दिमाग में ज्ञान की..
दिव्या ज्योति..
भगवान से हुआ होगा..
साक्षात्कार..
विभिन्न विषयों पर..
वार्तालाप ..
क्या दिव्य नज़ारा होगा..
सबने अपने भाग्य को..
संवारा होगा..
फिर कब अवतरित होगे..
ईश ,इस पृथ्वी पर..
हमारी भी दिव्य दर्शन की..
अभिलाषा है..
हमने समय इसी इंतजार में..
गुजारा है..
बाट जोह रहें हैं..
हम हर पल..
हमारी ईश दर्शन की..
कामना पूर्ण हो..
आने वाले कल..
क्या हम उस..
दिव्य रूप को..
निहार पायेंगे..
या रूप की चकाचौंध में..
खो जाएंगे.
होंगे संपूर्ण ब्रह्मांड के..
अलौकिक दर्शन..
हमारा होगा ईश को..
संपूर्ण समर्पण..
दिव्य ज्ञान की..
ज्योति जल जायेगी..
जन्म मरण से..
मुक्ति मिल जायेगी..
ईश मिलन से..
हमारी किस्मत खुल जायेगी..
अब कोई दुख तकलीफ..
और किसी की..
याद ना सताएगी..
हो जाएंगे हम संपूर्ण..
फिर ना बनेंगे..
कभी भी भ्रूण..
खत्म होगा..
जिंदगी से मौत में..
आना जाना..
हम हो जाएंगे..
बैकुंठ र-वाना..
होगा हर पल..
ईश दर्शन का परमानंद..
हर पल बितेगा स्वच्छंद ..
आनंद विभोर हो..
नाचेंगे झूमेगे गाएंगे..
जब ईश को..
सामने पायेंगे..
ईश से करेंगे हम कामना..
अब ना हो..
दुख तकलीफों से सामना..
अब कभी हमें..
अपने से दूर ना करना..
हमेशा बनाये रखें..
अपना हिस्सा..
यही है हमारी..
आखिरी इच्छा..!!
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कविता की विवेचना:
आखिरी इच्छा/Aakhari Iccha कविता ईश्वर भगवान के दर्शन की कामना जो हर भगत के दिल में होतीं है उस अभिलाषा को पूर्ण होने की परिकल्पना यह कविता करती है.
भगवान ईश्वर जिज्ञासा का विषय है हर इंसान के लिये हर कोई उस दिव्य स्वरूप और शक्ति के दर्शन करना चाहता है.
किसी इंसान ने कभी भगवान के स्वरुप के दर्शन नहीं किये जिस किसी ने अगर किये हैं किसी को बताया नहीं.
सब ने अपनी कल्पना अनुसार अपने अपने भगवान बना लिये
धर्म बना लिये और उसे सत्य मान लिया और अपनी अपनी कल्पना को सर्व श्रेष्ठ बताया.
अगं किसी ने भी उस परिकल्पना पर संशय किया या नकारा तो विरोध स्वरुप विरोधी की जान ले ली गई.
" आखरी ईच्छा " कविता ईश्वर के दर्शन की तीव्र अभिलाषा जतलाती है, और अपनी परिकल्पना के ईश्वर को पाती है, ईश्वर का आभास है सबके पास, परिकल्पना भिन्न हो सकती है, सबके मन में ईश्वर के प्रति अपार निष्ठा और भक्ति है.
..इति..
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jpsb.blogspot.com
Author is a member of SWA Mumbai.
Copyright of poem is reserved.
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