गरीब को मिलेगी..
कब आजादी..
जो है सदियों से..
गुलामी का आदी..
अंग्रेज चले गये..
उसकी जगह..
पूंजी पति आ गये..
गरीब की..
दाल रोटी खा गये..
किया अमीरों ने..
बहुत शोध..
क्या ज़रूरी है..
गरीब को जीने के लिये..
की उसकी खोज..
दाल, प्याज, नमक..
चटनी रोटी..
बाजरी रोटी..
मक्के की रोटी..
सारी रोटियां..
गरीब से हथिया ली..
यह सत्य है कटू..
गरीब के लिये..
ना छोड़ा सत्तू..
गरीब की खाने की..
एक एक वस्तू..
पूंजी पति के है ..
मुनाफे की वस्तू..
अभी भी नज़र है..
गरीब की..
हर एक छह पर..
गरीब जिंदा है..
क्यों कर..
जीएसटी की छुरी..
तेज की..
गरीब के पेट में..
घोंप दी..
आटा दाल चावल..
दूध दही..
भी गरीब खाता है..
जैसे ही..
पूंजी पति..
इसका पता लगाता है..
यह सब भी..
गरीब की पहुच से..
अचानक दूर हो जाता है..
एक एक कर..
गरीब से..
हर चीज़ छीनेगे..
गरीब कचरे से..
खाना बिनेगे ..
उस पर भी..
लग जायेगी जीएसटी..
कमाएगा व्यापारी..
गरीब को मारने की..
है पूरी तैयारी..
गरीब की खाल के..
जल्द ही..
जुते मिलेंगे..
गरीब के शरीर को..
जलाना दफनाना ..
गुनाह होगा..
शरीर नीलाम होगा..
उसे लगेगी जीएसटी..
यह देश है..
पूजी पतियों की बस्ती..
गरीब भेड़ बकरी..
गाय भैंस की..
तरह बिकेगा..
नोच नोच कर..
गरीब की बोटी बोटी..
पूजी पति कमायेंगे..
एक रकम मोटी..
ये नेता अभिनेता ..
चाहते हैं..
गरीब को चारों ओर से..
घेर घेर कर मारे..
चूस ले..
गरीब के खून का..
कतरा कतरा..
पूजी पतियों को..
लगता है गरीब है..
उनकी अमीरी के लिए..
बहुत बड़ा खतरा..!!
Jpsb blog
कविता की विवेचना:
गरीब की आजादी/Garib ki Aajadi कविता आजादी की 75 वी वर्ष गांठ पर गरीब को भी क्या आजादी का लाभ मिला की समीक्षा है.
अंग्रेज चले गये कहने को भारत स्वतंत्र हुआ और इसका लाभ चंद पूंजी पतियों तक सीमित रह गया, गरीब पूर्ववत गरीब ही रहा.
लोकतंत्र में गरीब मात्र एक वोट बँक बनकर रह गया, पूंजी पतियों ने चतुरता से राजनीतिक गिरोह बनाये जिनका नाम राजनैतिक पार्टी रखा.
चतुरता से इन तथा कथित गिरोहों को संविधान की परिभाषा में बिठाया और लोकतंत्र के नाम राजा बन बैठे और भोली भाळी गरीब जनता को झूठे सपने दिखा जी भर कर लूटा.
महात्मा गांधी, नेताजी, भगत सिंह, चंद्र शेखर आजाद के आजादी के सपने को तोड़ कर स्वाहा कर दिया गया, उनका सपना था आजादी का लाभ गरीब से गरीब देश वासी तक पहुंचेंगा .
सभी ख़ुशहाल होंगे अच्छी शिक्षा स्वास्थ्य लाभ अच्छा जीवन यापन सभी को समान रूप से वितरित होगा मगर हुआ उलट, शिक्षा स्वास्थ्य गरीब से कोसों दूर हो गई, शिक्षा स्वास्थ्य तो दूर रोजी रोटी तक गरीब की पहुच से दूर कर दी गई.
"गरीब की आजादी "कविता इंगित करती है कि गरीब के लिये तो आजादी आई ही नहीं, आजादी दिलाने वाले अपनी जान की आहुति देकर चले गये, मगर उनकी कुर्बानी साकार ना हुयी क्या उन शहीदों की आत्मा चैन से होगी.
किसने किया यह धोखा अभी भी है मौका गरीब को भी आजादी का हक दो गरीब को आजाद कर दो.
...इति ..
कृपया कविता को पढे और शेयर करें.
Jpsb blog
jpsb.blogspot.com
Author is a member of SWA Mumbai
Copyright of poem is reserved.
No comments:
Post a Comment
Please do not enter spam link in the comment box