Tuesday, August 30, 2022

बातें (Batein)

                
Batein
Batein 
Image from:pexels.com 

ये बातें कितनी सुहानी..
कभी प्यार जताती ..
कभी इतिहास दोहराती..
कभी गम की होती..
कभी खुशी जाताती ..

गुस्से में कभी कुछ..
कह जाती हैं बातें..
तीर सा चुभता है..
बातों का वार कभी..
बातें हथियार भी हैं..

बातेँ प्यार का इजहार..
भी हैं और प्यार भी हैं..
बातें कितनी सुहानी..
सुनाती हैं सुंदर कहानी..
कभी बातेँ डराती हैं..
कभी साहस बढ़ाती हैं..

कभी उत्साह वर्धन करती..
कभी चरित्र मर्दन करती..
बातेँ कभी कथा सुनाती..
किसी महात्मा की..
पवित्र वाणी बन जाती..

बातें कभी सिद्ध..
बनाती हैं..
और कभी ज्ञानी..
कभी खोज अनजानी..
कभी बनतीं..
किसी नेता का भाषण..
कभी कर्मयोगी का आसन..

बातें आसमान सितारों से..
ऊंचा उठाती हैं..
तो कभी गर्त में गिराती हैं..
कभी ख्याति दिलाती हैं..
तो कभी गुमनाम बनाती हैं..

बातेँ चरित्र हैं..
कुछ बातें विचित्र हैं..
बातें होनी हैं..
बातें अनहोनी हैं..
बातें किसी प्रिय की..
दिलकश यादे हैं..
किसी के..
प्यार भरे वादे हैं ..

बातों में किसी के लिये..
अमूल्य सौगातें हैं..
बातों से रिश्ते नाते हैं..
बातों में आपका खाश..
यार हैं, बातों में..
बसा आपका प्यार है..

बातेँ  हसाती हैं..
बातें रुलाती हैं..
बातें किसी के दिल में..
बसे होने का..
अह्सास दिलाती हैं..
बातें सुहानी लगती हैं..
बातें जिंदगानी लगती हैं..

बातें दिलों का मेल है..
बातें शब्दों का खेल है..
बातों से व्यापार है..
मोबाइल फोन..
आज बातों का आधार है..
हम पैसे देकर..
बातों से मन बहलाते हैं..
फोन बिन रह नहीं पाते हैं..

बातें किसी के दिल में..
घर बनाने का जरिया हैं..
बातों से..
लगती जिंदगी बढ़िया है..
बातों से संसार बंधा है..
बातों से लड़ाई युद्ध है..
बातों से शांति अपनत्व है..

कभी बातें युद्ध का..
धमाके दार गोळा है..
कभी बातें..
शांतिदूत का चोला है..
अच्छी अच्छी बातों से..
संसार मे मिठास भरनी है..
बातों से..
संसार में प्यार बढ़ाना है..

करनी है हमेशा..
अच्छी अच्छी बातें..
सच्ची सच्ची बातेँ..
संसार की भलाई है..
शांति की बातों से..
प्यार भरी मुलाक़ातों से..
प्रण ले कि हम..
बातों से मिठास घोलेगे ..
सबके ..
दिलों के करीब होलेगे ..!!

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कविता की विवेचना: 

बातें/Batein कविता  वार्तालाप और बातों के महत्व को रेखांकित करती है. 

बातों से संसार बसा है, कुछ बातें नेताओ की युद्ध कराती हैं आपस में  लडाती हैं, खुन खराबा कराती हैं, यूक्रेन युद्ध इसका ताजा उदाहरण है और चीन ताईवान मामला दूसरा उदाहरण है. 

हमारे पड़ोसी देश से हमारे रिश्ते बातों की तलखि से दुश्मनी की चरम सीमा पर हैं. 

और दूसरा पहलू हमारे संत महात्मा बातों से शांति का संदेश देते आये हैं, जैसे महात्मा बुद्ध, श्री गुरू नानक देव जी, श्री महावीर स्वामी जी, श्री विवेकानंद जी, आधुनिक युग मे मदर टेरेसा, महात्मा गांधी, नेल्सन मंडेला जी. 

इन सभी महान आत्माओं ने सदेव शांति का संदेश पूरे विश्व को दिया है और विश्व शांति जो बची है इन महान आत्माओं के कारण है. 

वर्ना कथित महा शक्तियों की बातों ने विश्व को तीसरे विश्व युद्ध के कगार पर खडा कर दिया है, यूक्रेन,अफगानिस्तान , इराक की बर्बादी इसका उदाहरण हैं. 
बातें अपनत्व बढ़ाती हैं एक दूजे के दिल में घर कर जाती हैं. 

"बातें " कविता अच्छी बातें सच्ची बातों के महत्व को उजागर करती हैं, बातें महा विनाश का कारण भी बन सकती हैं और शांति और सद्भावना का मजबूत आधार भी बन सकती हैं. 
बातें सयम और तोल मोल के कही जाये तो अमृत हैं और नफरत और गुस्से से कहीं जाये तो विनाश सत्यानाश हैं. 

  ..इति..

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Sunday, August 28, 2022

मौत से जिन्दगी की बात (Mout se jindgi ki baat)

                 
Mout se jindgi ki baat
Mout se jindgi ki baat 
Image from:pexels.com 


मौत मेरे सिरहाने..
बैठी रही..
मुझसे बार बार..
कहती रही..
चलो चलें..
अनंत सफर की ओर..
मैंने मौत से कहा..
करो थोडा इंतजार..
ऐसा क्यों है..
मुझसे प्यार..

मौत ने मेरा कहा..
माना..
मुझे मिला जीने का..
बहाना..
क्यों रुका मैं..
इस बार..
क्यों किया मरने से..
इन्कार..
क्यों है मुझे..
जिंदगी से बेइंतहा प्यार..

मौत से किया..
वायदा निभाना है..
मुझे एक निर्धारित..
वक़्त के बाद..
मौत की आगोश में..
जाना है..
वादा ना  भी किया होता ..
फिर भी मुझे..
जाना ही होता..
जिंदगी और मौत का..
रिश्ता निभाना होता..

मौत से जिन्दगी का ..
सामना..
एक अटल सत्य है ..
भले ही ना करो ..
मौत की कामना..
फिर भी..
इस सत्य को मानना..
जिंदगी और मौत..
सिखाती है..
जिंदगी को लेने..
मौत खुद चलकर..
आती है..

जिंदगी मौत से..
होती है जुदा..
यही है कुदरत का..
कायदा..
जिंदगी और मौत का..
मिलन ही है..
बिछोड़ा ..
मौत ने जिन्दगी को..
मिलन के बाद छोड़ा..

जिंदगी खुशी..
और मौत ग़म क्यों..
किसी अपने के 
मरने पर..
आंखे नम क्यों..
मरकर कोई..
वापिस कभी नहीं आता..
किसी को भी..
पता नहीं..
कहां है वह जाता..
क्यों टूट जाता है..
मरे से अपना नाता..
अपने के मरने का ग़म..
ता उम्र है सताता..

मौत जिंदगी ने..
तुझे जी भर प्यार किया..
प्यार का इज़हार..
मर कर किया..
मगर तूने..
उस प्यार के बदले..
क्यों दिये आँसू..
अपनी व्यथा मैं..
अब किससे कहूँ ..

मौत तेरे आने से..
बुझ जाते हैं..
जिंदगी के दिये..
जिन्दगी थी..
किसके लिये..
मौत क्यों हँसती है..
जिंदगी में ही..
क्यों बसती है..
तुझे जिंदगी का है वास्ता..
क्या तुम हो..
ईश मिलन का रास्ता..
करता है जो भव पार..
जिन्दगी को है..
सदियों से मौत का इंतजार..!!

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कविता की विवेचना:
मौत से जिन्दगी की बात/Mout se jindgi ki baat कविता जिंदगी और मौत के अटूट रिश्ते को रेखांकित करती है.

मौत एक अटल सत्य है जो जरूर एक दिन हर जिंदगी के साथ होना है जैसे जिंदगी मौत के लिये खिलौना है. 

जिन्दगी के साथ मौत का होना जरूरी है वर्ना जिन्दगी अनंत होती तो जिन्दगी में इतनी हंसी खुशी ना होती. 

मौत तो है भगवान से मिलन का गुप्त रास्ता जो जीते जी सम्भव ना था, परम सुख परम आनंद तो  ईश्वर से मिलने में ही है. 

" मौत से जिन्दगी की बात " एक रोशनी है जो जिंदगी के दिये के बुझने के बाद अनंत लोक से आती है ईश्वर से मिलने का रास्ता दिखाती है, ईश्वर से निकली जोत ईश्वर में मिल जाती है. 
तब ही आत्मा अमर कहलाती है. 

...इति...

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Wednesday, August 17, 2022

कलयुग के राक्षस (Kalyug ke raakshas)

      
Kalyug ke Raakshas
Kalyug ke Raakshas 
Image from:pexels.com 


हे ईश्वर तूने..
राक्षस क्यों बनाये..
इन्हें क्यों जुल्म करने दिये..
इन राक्षसो ने..
लाखों लोग सताये..
जब अति हुयी..
इनके जुल्मों की..
तब आप खुद.. 
अवतार लेकर पृथ्वी पर आये..
राक्षसो को दी..
मौत की सज़ा..
भक्तों को आया..
आपके दर्शन पा मज़ा..

हे ईश्वर..
राक्षसो की उत्पति का..
सिलसिला..
आज तक क्यों जारी है ..
इन राक्षसो ने..
भोली भाळी जनता..
मारी है..
कलयुग में..
इनकी तादाद बहुत ज्यादा है..
इनका सारी जनता को..
मारने का इरादा है..

हे प्रभु..
अब कब आप फिर..
अवतरित हो रहे हैं..
ये कलयुगी राक्षस..
जुल्म कर निश्चिंत..
चैन की नींद सो रहे हैं..
इनका संहार..
बहुत जरूरी है..
आप तो स्वयं ग्याता हैं..
इनका संहार..
आपको आता है..
प्रभु शीघ्र करें..
आपकी क्या मज़बूरी है..

भक्त गण गाये..
दिन रात आपकी आरती..
फिर भी जनता..
इन राक्षसो से..
क्यों है हारती..
राक्षस गुनाह करके भी..
बन गये सर्व शक्तिमान..
पा रहे डर दिखा..
मान सम्मान..
भक्त भजन करके भी..
निरीह हैं..
जुल्मों से हैरान परेशान..

प्रभु कैसी यह लीला..
कैसा यह मायाजाल..
भक्त आपकी माया से..
बिल्कुल अनजान..
करते हैं आप पर..
अटूट विश्वास..
कि इन राक्षसो का..
आप जरूर करोगे नाश..
रावण हो या कंस हो..
या हो हिरण्यकश्प ..
इन्हें मरना ही पडा है..
प्रभु आपके हाथों..

राम राज्य आयेगा जरूर..
इस कलयुग में भी..
श्री कृष्ण की बांसुरी की..
धुन का चढ़ेगा सरूर..
इन फ़िज़ाओं में..
गूंजेगा प्रभु ..
आपका यशगान..
प्रभु आप हो..
सर्व व्यापी महान..
अत्याचारियों पर फिर करेगा..
कृष्ण का सुदर्शन वार ..
राक्षसो का..
कलयुग में भी होगा..
जरूर संहार..!!

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कविता की विवेचना: 

कलयुग के राक्षस/Kalyug ke Raakshas कविता आज कलयुग में धार्मिक उन्माद में एक दूजे के जान के दुश्मन बने वहशी राक्षसों को रेखांकित करती है .

इन राक्षसों को कौन संरक्षण दे रहा इन्होंने सबको डरा रखा है.

चारों ओर इनके ही अत्याचार का राज है, भक्त जनता लाचार है, भगवान के सिवा कौन है जनता की तकलीफ सुनने वाला 
सब ओर न्याय की जगह पर है डर का ताला है. 

जनता को पूर्ण विश्वास है कि इस कलयुग में भी भगवान जरूर अवतरित होंगे और इन राक्षसों का संहार करके राम राज्य स्थापित करेंगे. 

"कलयुग के राक्षस " कविता इस पृथ्वी पर आतंक का साया हर ओर छाया है, युद्ध के रूप में आतंक के रूप में अराजकता के रूप में, आतंकित है आम इंसान और उस आम इंसान का है सिर्फ भगवान, आम इंसान को अपने भगवान पर पूर्ण विश्वास है कि वे सर्व ग्याता हैं और संकट मोचन के लिये जरूर अवतरित होंगे और राम राज्य स्थापित करेंगे. 

..इति..
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Tuesday, August 9, 2022

गरीब की आजादी (Garib ki aajadi)

Garib ki aajadi
Garib ki aajadi
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गरीब को मिलेगी..
कब आजादी..
जो है सदियों से..
गुलामी का आदी..
अंग्रेज चले गये..
उसकी जगह..
पूंजी पति आ गये..
गरीब की..
दाल रोटी खा गये..

किया अमीरों ने..
बहुत शोध..
क्या ज़रूरी है..
गरीब को जीने के लिये..
की उसकी खोज..
दाल, प्याज, नमक..
चटनी रोटी..
बाजरी रोटी..
मक्के की रोटी..
सारी रोटियां..
गरीब से हथिया ली..

यह सत्य है कटू..
गरीब के लिये..
ना छोड़ा सत्तू..
गरीब की खाने की..
एक एक वस्तू..
पूंजी पति के है ..
मुनाफे की वस्तू..

अभी भी नज़र है..
गरीब की..
हर एक छह पर..
गरीब जिंदा है..
क्यों कर..
जीएसटी की छुरी..
तेज की..
गरीब के पेट में..
घोंप दी..

आटा दाल चावल..
दूध दही..
भी गरीब खाता है..
जैसे ही..
पूंजी पति..
इसका पता लगाता है..
यह सब भी..
गरीब की पहुच से..
अचानक दूर हो जाता है..

एक एक कर..
गरीब से..
हर चीज़ छीनेगे..
गरीब कचरे से..
खाना बिनेगे ..
उस पर भी..
लग जायेगी जीएसटी..
कमाएगा व्यापारी..
गरीब को मारने की..
है पूरी तैयारी..

गरीब की खाल के..
जल्द ही..
जुते मिलेंगे..
गरीब के शरीर को..
जलाना दफनाना ..
गुनाह होगा..
शरीर नीलाम होगा..
उसे लगेगी जीएसटी..
यह देश है..
पूजी पतियों की बस्ती..

गरीब भेड़ बकरी..
गाय भैंस की..
तरह बिकेगा..
नोच नोच कर..
गरीब की बोटी बोटी..
पूजी पति कमायेंगे..
एक रकम मोटी..

ये नेता अभिनेता ..
चाहते हैं..
गरीब को चारों ओर से..
घेर घेर कर मारे..
चूस ले..
गरीब के खून का..
कतरा कतरा..
पूजी पतियों को..
लगता है गरीब है..
उनकी अमीरी के लिए..
बहुत बड़ा खतरा..!! 

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कविता की विवेचना: 

गरीब की आजादी/Garib ki Aajadi कविता आजादी की  75 वी वर्ष गांठ पर गरीब को भी क्या आजादी का लाभ मिला की समीक्षा है. 

अंग्रेज चले गये कहने को भारत स्वतंत्र हुआ और इसका लाभ चंद पूंजी पतियों तक सीमित रह गया, गरीब पूर्ववत गरीब ही रहा. 

लोकतंत्र में गरीब मात्र एक वोट बँक बनकर रह गया, पूंजी पतियों ने चतुरता से राजनीतिक गिरोह बनाये जिनका नाम राजनैतिक पार्टी रखा.

चतुरता से इन तथा कथित गिरोहों को संविधान की परिभाषा में बिठाया और लोकतंत्र के नाम राजा बन बैठे और भोली भाळी गरीब जनता को झूठे सपने दिखा जी भर कर लूटा. 

महात्मा गांधी, नेताजी, भगत सिंह, चंद्र शेखर आजाद के आजादी के सपने को तोड़ कर स्वाहा कर दिया गया, उनका सपना था आजादी का लाभ गरीब से गरीब देश वासी तक पहुंचेंगा .

सभी ख़ुशहाल होंगे अच्छी शिक्षा स्वास्थ्य लाभ अच्छा जीवन यापन सभी को समान रूप से वितरित होगा मगर हुआ उलट, शिक्षा स्वास्थ्य गरीब से कोसों दूर हो गई, शिक्षा स्वास्थ्य तो दूर रोजी रोटी तक गरीब की पहुच से दूर कर दी गई. 

"गरीब की आजादी "कविता इंगित करती है कि गरीब के लिये तो आजादी आई ही नहीं, आजादी दिलाने वाले अपनी जान की आहुति देकर चले गये, मगर उनकी कुर्बानी साकार ना हुयी क्या उन शहीदों की आत्मा चैन से होगी. 
किसने किया यह धोखा अभी भी है मौका गरीब को भी आजादी का हक दो गरीब को आजाद कर दो. 

...इति  ..

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