Saturday, February 18, 2023

कलयुग के राजा बाघेशवर सरकार (Kalyug ke Raja Bgheshwar Sarkar)

            
Kalyug ke raja bagheshwar sarkar
Kalyug ke Raja Bhagheswar Sarkar 
Image from:pexels.com 


जय श्री राम जय जय राम..
श्री हनुमते नमो नम: ..
श्री बाघेशवराय नमो नम: ..
हम ढूंढ रहे थे भगवान..
ना जाने कहाँ कहाँ..

चर्चा है आज..
सारे जहान में आम..
फिर बजरंगी अवतरित हुये ..
बाघेशवर धाम..
तेरे चमत्कार अचंभित कर जाते..
तुम दुखी दुखियारो का..
दुख चुराते और..
खुशियो से झोलिया भर जाते..

हो गये थे जो बेसहारा..
उन्हें मिला तेरे दर पर किनारा..
बरसी दीन दुखियों पर..
तुम्हारी अपार कृपा..
हर मनोकामना हो गई पूरी..
मिटी राम और भक्त के बीच की दूरी..
अब बचा नहीं कोई..
मजबूरी का प्रकार..
स्वम प्रकट हुये बाघेशवर सरकार..

जो श्री हनुमान नाम धियाये ..
अति शीघ्र राम के दर्शन पाये..
ओह बजरंगी..
कलयुग के राजा..
एक बार फिर आ जा..
दुष्टों को समझा जा..
कई रावण एहिरावण उठा रहे सिर..
संहार कर इन सबका एक बार फिर..

हे बजरंगी..
तेरी लीला अनोखी न्यारी है..
भजती नाम दुनिया सारी है..
संकट मोचन प्रभु..
हर संकट को हरने वाले..
दीन दुखीयारो का भला करने वाले..
तेरी महिमा चारो ओर जारी है..
तेरा नाम राम मिलन की सवारी है..

जो तेरा नाम नित भजते है..
दुख संकट उनके कटते हैं..
आ जाती है खुशियों की बहार..
बस एक बार भक्त बजरंगी पुकार..
मृत्यु लोक से स्वर्ग लोक तक..
तेरा नाम ही सहारा है..
बजरंगी अनंत काल तक..
साथ सहारा तुम्हारा है..

पा ले सब  कष्टों रोगों से मुक्ति..
कर बजरंग बळी की भक्ति..
राम नाम अपने आप मिल जायेगा..
जो भक्त बजरंग बळी धियायेगा ..
तन मन दिल में..
महावीर नाम बसा लो..
दुख तकलीफों से निजात पा लो..
और मनचाहा वर पा लो..
तो जपो निरंतर हनुमान का नाम..
जय जय जय बाघेशवर धाम..!!

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कविता की विवेचना: 

कलयुग के राजा बाघेशवर सरकार/Kalyug ke Raja Bhagheswar Sarkar कविता श्री राम भक्त श्री हनुमान भगवान की कलयुग में महिमा वर्णित करती है. 

श्री बजरंग बळी आज कलयुग में साक्षात मौजूद हैं और उनकी महिमा सारे संसार में है, श्री राम भगवान के अति दुलारे प्यारे श्री हनुमान जी अपार शक्तिमान अष्ट सिद्धी नौ निधी के ग्याता हैं. 

पूरे भारत में बजरंग बळी के अनेक मंदिर हैं और पूरे संसार में उनके असंख्य भक्त हैं, आज कल सिद्ध स्थान श्री बाघेशवर धाम अत्यंत चर्चा में है.

श्री बाघेशवर सरकार जो श्री बजरंग बळी का ही नाम है, 
Chhatarpur जिले के गढ़ा गाँव में यह पवित्र सिद्ध स्थान स्थित है, उनके समर्पित सेवक श्री धीरेन्द्र शास्त्री जी द्वारा दीन दुखियों के कष्ट श्री बजरंग बळी दूर कर रहे हैं और मनोकामनाएं पूर्ण कर रहे हैं. 

श्री कृष्ण भगवान ने गीता में कहा था कि जब जब अत्याचार बढ़ेंगे धर्म का नाश होगा भगवान अवतरित होंगे.

श्री बजरंग बळी श्री बाघेशवर सरकार के रूप में अवतरित हो चुके हैं. 

आज के रावण और दुष्ट घबरा रहें हैं कि अब उनका नाश निश्चित है, डर के कारण बजरंग बळी की शक्ति को ललकार रहें हैं, बजरंग बळी इन अधर्मी लोगों का नाश अवश्य करेंगे अथवा इन्हें सद्बुद्धि दे कर धर्म के मार्ग पर लाएँगे. 

"कलयुग के राजा बाघेशवर सरकार " कविता श्री बजरंग बळी के अवतार श्री बाघेशवर सरकार " कविता श्री बजरंग बळी के अवतार श्री बाघेशवर सरकार की महिमा और चमत्कारों के आगे नतमस्तक है और भगवान हमेशा हमारे रखवाले हैं और सब कुछ करने वाले हैं, अब हमे कोई डर नहीं हमारे प्रभु हमारे साथ हैं, दिनरात हैं. 

..इति..
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Thursday, February 16, 2023

चाँद का तुकडा (Chand ka tukda)

                          
Chand ka tukda
Chand ka tukda
Image from:with permission of Mr.Ajay Varma

आरुष बेटे..
तू परी लोक से..
हमारे घर आया..
साथ में ..
बहुत सारी..
खुशियां..
और चाँद तारे..
तोड़ लाया..

तू हमारा..
प्यारा फरिश्ता है..
हम अजय प्रियंका..
बहुत खुश हैं..
तेरा हमारे साथ..
बेटे का रिश्ता है..

आरुष मुझे तेरा..
पिता होने पर..
गर्व है..
आज तेरा..
जन्म दिन का..
पावन पर्व है..

मम्मी पापा..
बुआ मामा..
दादा दादी..
नानी नाना..
के आँखों का तू..
नूर है..
सबको तुझ पर..
नाज़ है गरूर है..

आरुष सब..
तुझ पर ढेर सारा..
प्यार बरसातें हैं..
हम सब तुझे..
जान से भी..
ज्यादा चाहते हैं..

दिलों में तूने..
हम सबके ..
बनाया है घर..
तू हमारे लिये है..
ईश्वर का वर ..
तेरा हमारे परिवार में..
अवतरित होना..
हम सब की जय है..
गर्वीला तेरा पिता..
अजय है..!! 

कविता की विवेचना:

 चांद का टुकड़ा / Chand ka tukda कविता श्री अजय वर्मा के सुपुत्र मास्टर आरुष वर्मा के दूसरे जन्म दिवस के अवसर पर लिखी गई है. 

मनमोहक मास्टर आरुष के जन्म दिन पर चारो तरफ खुशियां प्रफुल्लित हैं, आयुष के माता पिता, दादा दादी, नाना नानी, बुआ फूफा ,मामा और मित्र गण आनंद विभोर हैं .

आयुष के गर्वीले पिता अजय आयुष के आगमन से हमेशा जीतने वाले, कभी ना हारने वाले अजय हो गये हैं. 

ये दिन बार बार आये यू ही सब खुशियो से झूमे गायें ये लम्हे चिर स्मरणीय रहें यादे हर किसी से कहें. 

..इति..

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Sunday, February 12, 2023

पहचान (Pahchan)

             
Pahchan
Pahchan 
Image from: pexels.com 

खुद को पहले पहचान..
फिर दुनिया को जान..
तेरे अन्दर ही है भगवान..
ईश्वर से कर ले..
जान पहचान ..
अपने आपको भी..
जायेगा तू पहचान..

ईश्वर का कोई..
मजहब धर्म नहीं..
उसने बनाये एक जैसे ..
सब इंसान..
इंसानों ने ही किये..
अलग अलग धर्मों के..
फरमान..
इंसान क्यों समझ बैठा..
खुद को भगवान..

धर्मों की भीड़ में..
भगवान को ना ढूंढ पाओगे..
अपने अन्दर झाकोगे तो..
भगवान को वहाँ पाओगे..
कर लो ईश्वर की आराधना..
यही है तेरी साधना..
कर ले तू ध्यान..
फिर खुद को तू पहचान..

खोज होगी तेरी पूरी..
अगर अपने आप से..
तूने मिटा ली दूरी..
तेरे दिल के उस पार है..
परमात्मा..
जान जायेगी तेरी आत्मा..
मान गुरु का एहसान..
जिसने तेरी खुद से करा दी..
पहचान..

ईश्वर से बढ़ेगी नजदीकियां..
मिलेगा तुझे ब्रह्म ज्ञान..
समझ आयेंगी..
जन्म मरण की बारीकियां..
सामने होंगे सब रिश्ते नाते..
समझ आयेगा..
वो क्या हैं तेरे लिये..
और पहले क्या थे..
किसी से रहेगा ना तू अब.
अनजान..
सबको जायेगा पहचान..!!

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कविता की विवेचना:

पहचान/Pahchan कविता इंसान की जन्म मरण की उलझन को समझने और सुलझाने की कोशिश है. 

जन्म लेते ही हमारा एक नाम रख दिया जाता है, एक जात धर्म और और देश से जोड़ दिया जाता है, यह सब इंसान की कृत्रिम पहचान है, असली पहचान तो ईश्वर के पास है. 

पूरी जिंदगी बीत जाती है और इंसान खुद को ही जान पाता तो ईश्वर को क्या जानेगा,ईश्वर को जानने के लिये पहले खुद को पहचाना होगा.

इस इंसानो के संसार में इंसान, इंसानी कृत्रिम धर्मों जात पात ,प्रांत देश आदि कई उलझनों में उलझ कर रह जाता है और जिन्दगी भर उलझा रहता है. और अंत में अपने आप से अनजान ही मर जाता है,

इंसानी जीवन अपने आप को जानने का सुनहरा अवसर है, जो कि इंसानी उलझनों में खो जाता है. 

"पहचान "कविता इंसान के जन्म को भुनाने और खुद को पहचानने  और ईश्वर से  मिलने का सुअवसर है, इस को किसी भी हाल में जाया नहीं होने देना चाहिये, अपने आप को पहचानिए और अंदर बैठे ईश्वर को जानिये. 

..इति..

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