Thursday, February 16, 2023

चाँद का तुकडा (Chand ka tukda)

                          
Chand ka tukda
Chand ka tukda
Image from:with permission of Mr.Ajay Varma

आरुष बेटे..
तू परी लोक से..
हमारे घर आया..
साथ में ..
बहुत सारी..
खुशियां..
और चाँद तारे..
तोड़ लाया..

तू हमारा..
प्यारा फरिश्ता है..
हम अजय प्रियंका..
बहुत खुश हैं..
तेरा हमारे साथ..
बेटे का रिश्ता है..

आरुष मुझे तेरा..
पिता होने पर..
गर्व है..
आज तेरा..
जन्म दिन का..
पावन पर्व है..

मम्मी पापा..
बुआ मामा..
दादा दादी..
नानी नाना..
के आँखों का तू..
नूर है..
सबको तुझ पर..
नाज़ है गरूर है..

आरुष सब..
तुझ पर ढेर सारा..
प्यार बरसातें हैं..
हम सब तुझे..
जान से भी..
ज्यादा चाहते हैं..

दिलों में तूने..
हम सबके ..
बनाया है घर..
तू हमारे लिये है..
ईश्वर का वर ..
तेरा हमारे परिवार में..
अवतरित होना..
हम सब की जय है..
गर्वीला तेरा पिता..
अजय है..!! 

कविता की विवेचना:

 चांद का टुकड़ा / Chand ka tukda कविता श्री अजय वर्मा के सुपुत्र मास्टर आरुष वर्मा के दूसरे जन्म दिवस के अवसर पर लिखी गई है. 

मनमोहक मास्टर आरुष के जन्म दिन पर चारो तरफ खुशियां प्रफुल्लित हैं, आयुष के माता पिता, दादा दादी, नाना नानी, बुआ फूफा ,मामा और मित्र गण आनंद विभोर हैं .

आयुष के गर्वीले पिता अजय आयुष के आगमन से हमेशा जीतने वाले, कभी ना हारने वाले अजय हो गये हैं. 

ये दिन बार बार आये यू ही सब खुशियो से झूमे गायें ये लम्हे चिर स्मरणीय रहें यादे हर किसी से कहें. 

..इति..

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