Friday, January 20, 2023

तुम ही हो परमात्मा (Tum hi ho parmatma)

         
Tum hi ho Parmatma
Image from:pexels.com 
Tum hi ho Parmatma 


हाँ तुम ही हो परमात्मा..
मेरी आत्मा..
तुमने बनाया ये जहान..
इस जहान में..
तुम्हारा ही है सब समां..


तुम ही तुम हो हर जगह..
सुनते हैं हम कथा ..
तब भी हम..
ढूँढे तुम्हें यहां वहाँ..
देखी ना अपनी आत्मा..
हाँ अंदर तुम ही हों परमात्मा..

खेल खेल में तुमने..
दुनिया बना दी..
हमे पृथ्वी पर पर बसा..
सज़ा दी..
या लिया हमारा इम्तिहान..
हाँ तुम ही हो परमात्मा..
मेरी आत्मा..

तेरी श्रृष्टि पर हम फंन्ना ..
मन में तेरी मूर्तियां..
मन भाती दिल लुभाती..
हमने तेरी भक्ति में..
जान लूटा दी..
दी कई आहुतियां..
हम नादान जाने कहाँ..
हमारी पहुच तुम तक है कहाँ..

तुम अंतर्यामी परमात्मा..
हाँ तुम ही हो मेरी आत्मा..
तू ही जाने तेरी महिमा..
हम तो तेरे पुजारी..
तेरी असीम कृपा के आभारी..
तुम से ही जिन्दगी हमारी..

हमने जब भी दुवा की..
उम्मीद मन में जगा ली..
तूने हर मुराद पूरी की..
तुमसे ही हमारा जहान..
हमारी लाखो खुशिया..
तुम ही हो परमात्मा..
तुम ही मेरी आत्मा..

Jpsb blog 

कविता की विवेचना: 

तुम ही हो परमात्मा/Tum hi ho Parmatma कविता परमात्मा और उनकी कृति यह अनंत ब्रम्हांड के प्रति कृतज्ञता है, नमन है. 

परमात्मा जिनसे कोई साधारण इंसान जिवित कभी नहीं मिला और  जो मिला उनका अंश हो गया और भगवान हो गया, श्री गौतम बुद्ध, श्री गुरू नानक, शिर्डी के साई बाबा उदाहरण हैं. 

श्री कृष्ण भगवान ने गीता में कहा हर जीव में वो हैं.

सब जीवों में सबसे बुध्दिमान इंसान को ईश्वर ने बनाया, और ने अपने सुविधा अनुसार धर्म बना लिये,अपने विवेक अनुसार भगवान की परिकल्पना की.

 भगवान के अस्तित्व को लेकर आपके बनाये इंसानों ने आपस में लड़ाई झगड़े किये एक दूजे की जान ली मगर  ईश्वर के एक स्वरूप को समझने की कोशिश नहीं की यह विडंबना क्यों है, परमात्मा आपको ही पता. 

परमात्मा आपने ब्रम्हांड बनाया जो अनंत है और इन्सानों के लिये अबूझ पहेली है, आपके सृजन के लिये हम आपके कृतज्ञ हैं. और हमेशा आपकी अनुक्रिपा के लिये आपसे अरदास करते हैं. 

"तुम ही हो परमात्मा " कविता ईश्वर की अनुभूति और प्रेरणा से ईश्वर से अनुराग स्वरुप लिखी गई है और लेखक सदेव ईश्वर के शरणागत महसूस करता है. 

..इति..

कृपया कविता को पढे और शेयर करें. 

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jpsb.blogspot.com 
Writer is a Member of SWA Mumbai 
©️  of poem is reserved .

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