बन के पिता ..
अपने बचपन की..
कहानी याद आई..
मां की गोद ..
सुहानी याद आई..
अपने बचपन में..
वो बिन वजह हंसना ..
मचलना ,जिद कर..
खिलोने लेना..
नखरे कर के खाना..
बिन वजह ..
मुंह बनाना..
पढ़ाई से जी चुराना..
मेरा बचपन ..
चल चित्र सा..
आ गया सामने..
मैं तो अभी भी बच्चा हूं..
मेरे मां बाप के सामने..
ताजुब होता है..
जब अपने नन्हे..
बेटे को देखता हूं..
लगा हूं मैं..
खुद को पिता मानने..
काटता हूं ..
खुद को चिकोटी..
जब जब अपने बचपन में..
चला जाता हूं..
प्यारी मनोहर कहानियों में..
गोता लगाया हूं..
अपने आप को..
धन्य पाता हूं..
अपने मां बाप का..
लाडला बेटा हो कर..
अब मैं पिता बन गया..
एक नन्हे लाडले ..
प्यारे बेटे का..
अब पिता का ..
फर्ज निभाऊंगा..
मै पुछता हुं खुद से ..
क्या मैं बेटे का फर्ज..
निभाता हूं..
शायद थोड़ा लापरवाह हूं..
अब लापरवाह से..
समझदार बन जाऊंगा..
पिता के साथ साथ..
बेटे का फर्ज भी निभाऊंगा..
अठखेलियां खेलूंगा..
अपने बेटे के साथ..
चूमूंगा उसके..
नन्हे नन्हे हाथ..
एक नया अनोखा ..
स्नेह प्यार जागेगा..
मेरा दिल..
बेटे की खुशियों के लिए..
दिन रात भागेगा..
परिवार का बनूगा मैं..
समझदार मुखिया..
बांटूंगा कुटुंब में..
दिन रात खुशियां..
जितना भी पहले..
मां बाप से..
सुख चैन लिया..
कहूंगा उनसे..
अब छोड़ो सब चिंता..
मैं बड़ा हो गया..
अपने पैरों पर..
खड़ा हो गया हूं..
अब परिवार की..
गाड़ी मैं खिचूंगा..
पूरे परिवार को..
खुशियों से सिंचुगा..
इसमें अब मुझे..
बहुत खुशी मिलती है..
दिल प्रफुलित होता है..
मेरा सारा परिवार..
प्रेम सागर में..
लगा रहा गोता है..
डूब कुटुंब में..
मैं दुनिया की..
सारी खुशियां पाता हूं..
एक मुकमल..
बेटा और पिता..
बन जाता हूं..!!
_जे पी एस पी
कविता की विवेचना: बेटे का पिता होना/ Bete ka pita hona
मैं पिता बन गया अर्थात "बेटे का पिता होना" कविता एक लाडले बेटे की कहानी है, जो बहुत लाड प्यार में पला और जब खुद बाप बना तो उसे नए नए एहसास हुए , उन एहसासों का वर्णन कविता में है।
लाडला बेटा थोड़ा लापरवाह हो गया था ज्यादा लाड प्यार के कारण, जवान हुआ शादी हुई और उसको बेटा हुआ।
बेटे को बेटा होने के बाद यानी बेटे का बाप बनने के बाद , अचानक बेटे को लगा कि वह बहुत बड़ा और समझदार हो गया है, क्यों कि वह खुद को बच्चा ही समझता था और पूरी तरह मां बाप पर ही निर्भर रहता था।
पूरे परिवार ने घर में नए नही सदस्य आने की भरपूर खुशियां मनाई, बेटे के मां बाप अपने नन्हे पोते को गोद में पाकर बहुत खुश हुए।
बेटा भी आचार्य से अपने नन्हे पुत्र को निहारता रहा। और सोचता कि कितनी जल्दी वो बड़ा हो गया और एक बेटे से बाप बन गया।
अभी जैसे कुछ दिन पहिले ही तो वो मां की गोद में खेलता था ,समय कब गुजार गया पता ही न चला।
बेटे की नजरों के सामने उसका सारा बचपन चल चित्र की भांति सामने घूमने लगा , बेटा अपने बचपन की मीठी सुहानी यादों में खो गया वोह अपने बेटे में आईने की तरह अपना बचपन देखने लगा एक एक यादें बहुत भावुक थी।
मन ही मन प्राण किया कि मैं भी अपने बेटे को अपर खुशियां प्यार दूंगा जैसा मेरे माता पिता ने मुझे दी हैं।
उसे अपनी कई नादानियां भी याद हो आई जब जिद की थी या माता पिता को लाड में आकर सताया था ।
बेटे ने प्रण किया कि अब मैं एक जुम्मेदार पिता और जुम्मेदार बेटा बनूंगा , सारी लापरवाहिया छोड़ कर घर की जुम्मेवारी ऊपर लूंगा और अपने माता पिता को अपार सुख दूंगा , बेटे को भरपूर लाड प्यार और संरक्षण दूंगा और एक बेहतरीन इंसान बनाऊंगा।
"बेटे का पिता होना" कविता एक अल्हड़ बेटे को समझदार और जुम्मेदार पिता और आदर्श बेटे में परवर्तित होने की मार्मिक कहानी कविता के रूप में है।
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...इति...
_जे पी एस बी
jpsb.blogspot.com
Author is Member of SWA Mumbai
©Apply
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