Saturday, May 27, 2023

असली नकली चाहत (Asali nakali chahat)

                
चाहत असली नकली
chahat Asli nakli
Image from: pexels.com 


होगी किसी के..
ख्वाबों में वो..
हमारे ख्वाबों में..
अब आती नहीं..
मेरी शक्ल उसे..
बिल्कुल भाती नहीं..

कोई मिल गया होगा..
हमसफर नया..
हमारी कदर ..
उसे भाती नहीं..
फिक्र तब भी है..
कहीं धोखा ना मिले..
दिल टूटने के सिलसिले..

क्यों चिंता करते हो..
उसे ना रही परवाह तेरी..
आंखे फेर ली उसने..
जला दी तस्वीर तेरी..

खुशिया देकर भी तुम..
खुश ना कर सके उसको..
उम्मीदे थी हजारो लाखों..
क्या करें गर ना समझ सको..

तेरी सादगी मासूमियत..
शायद वहम था मेरा ..
चक्रव्यूह समझ ना पाया..
काश मैं भी चालाक होता..

खिलौना क्यों बना दिल..
किसी का मन बहला..
खेल खाल तोड़ दिया..
किसे परवाह जो दर्द हुआ..

काश कह दिया होता..
ऊब गई है सूरत से..
मैं कहीं गुमनाम होता..
अपना दिल तो ना खोता..

हा माना भूल हुई..
जान से बढ़कर चाहा..
भागा छाये के पीछे..
छाये हकीकत नहीं होते ..

पलक झपकते भुला दिया..
काश मेरी फितरत होती..
मेरी आत्मा ना रोती..
लगेगा जमाना भुलाने में..

खंडहर सी हो गयी दुनिया..
क्या करु तेरे फैसले का..
भा गया तुझे कोई और..
मुबारक आबाद रहो..
जश्न मेरी बर्बादी का करो..

जान कर या अनजाने में..
खता किससे हुयी..
कोन घायल हुआ..
कैसा चलन है ज़माने में..

दुवा ही निकलती है..
बददुवा हो नहीं सकती..
चाहत की सच्ची..
भुक्त रहा हूं मैं सज़ा..
खुश रहो तुम सदा..!!

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कविता की विवेचना: 

चाहत असली नकली/Chahat Asali Nakli कविता आज के तथाकथित आधुनिक ज़माने में प्यार की परिभाषा बदल गई है, उसी को इंगित करती यह कविता है. 

चाहत मोल भाव सोदा है, प्यार का मॉल है, जहा प्यार बिकता है कभी कोई भा गया कभी किसी पर दिल आ गया .

तू नहीं तो और सही और नहीं तो और सही अंत तक चुनाव जारी रहता है, परमानैट चुनाव हो नहीं पाता क्यों कि कभी दिल इस पर और किसी और पर आता मगर उसके बाद भी कोई और है भाता ,धन दौलत से है ज्यादा नाता. 

सच्चे प्यार की जगह "लाइव इन "ने ले ली, जॅम गया तो ठीक वर्ना कोई और सही, इसी चुना चुनी में पूरी लाइफ निकल जाती है. 

मगर अंत तक चाहत फिक्स नहीं हो पाती, यह नये ज़माने का प्यार का विकृत रूप है, वो ज़माने गये जब प्यार निस्वार्थ था, प्यार एक बार ही होता था उस प्यार में या जान जाती थी या प्यार सफल होता था, वो सात जन्मों वाला नाता था. 

प्यार चाहत का व्यापारीकरण मानवता का अन्त है. 
अंत में इंसान जानवरों की श्रेणी में आ जायेगा. 
प्यार चाहत नाम की चीज़ ना रहेगी बाकी, प्यार कुत्ते बिल्ली का खेल हो जायेगा. 

...इति...

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Thursday, May 25, 2023

बेवफाई(Bewfai)

                     
Bewfai
Bewfai
Image from:pexels.com 


रूठे को मनाने की..
कोशिश कभी की नहीं..
क्या गलत था..
क्या था सही..
गर्त में दब गया कहीं..
कच्चे धागे सा..
क्यों टूट गया बंधन..
अब जोड़ों तो भी..
कभी जुड़ेगा नहीं..
गठाण आ गई..
चुभती है कहीं..

अक़्स आईने में..
दिखता था तेरा..
जैसे यही कहीं..
पास हो खड़ी..
मगर आईने में..
दरार ऐसी पडी..
आईना देखने की..
जाती रही घडी..
पीठ पर पड़ी..
बेवफाई की छड़ी..

सावन का सुहाना..
मौसम था दिलकश..
फ़ूलों की खुशबू की..
बहार थी बिखरी हर तरफ..
अचानक आँधी चली..
सब कुछ उड़ा ले गई..
पतझड़ सा मौसम आ गया..
मैं निहारता हूँ..
बाग उजड़ा सा..

स्तंभ हूँ अवाक हूं..
विश्वाश का महल..
देखते देखते कैसे ढह गया..
कौन  किसे क्या कह गया..
मैं अनजान रहा..
बेख़बर प्रतिघात से..
ये अचानक..
कौन घात कर गया..

पुरानी यादों को मारकर..
कब्र पर पत्थर गाड़ कर..
हाथ जोड़ खडा हूँ..
जिन्दगी के नये द्वार पर..
जिन्दगी चलती रहेगी..
रुकेगी नहीं..
हस्ती मेरी कभी भी..
झुकेगी नहीं..

वक्त का पहिया..
सफर पर ले जा रहा है..
नयी दुनिया दिखा रहा है..
वक्त कभी किसके लिये..
रुकता नहीं..
साथ चलो तो ठीक है..
गुजरा वक्त  लौटता नहीं..
इंतजार करना मना है..
वक्त की रफ्तार कई गुना है ..

तेज रफ्तार भागा हूँ..
मंज़िल पर पहुच जागा हूं..
बहुत कुछ पिछे छूट गया..
एक मुसाफिर फिर लूट गया..
किस पर करू यकीन..
किस पर नहीं..
वादे कसमें, प्यार वफ़ा..
खो गई कहीं..

ईश्वर तेरा शुक्र है..
मुझे समय पर जगा दिया ..
मैं विश्वास में खोया था..
तब ही किसी ने दगा दिया..
ईश्वर जरूर इंसाफ करेगा..
सच झूठ साफ़ करेगा..
तुम ना होना शर्मिदा..
अपने गुनाहों पर..
ईश्वर तुम्हें भी माफ करेगा..!! 

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कविता की विवेचना: बेवफाई/Bewfai कविता वफा और बेवफा के बीच एक लकीर खींचती है. 

वफा- सच्चा प्यार, विश्वाश और त्याग है अपने खास चाहने वाले के लिये, जिसके ऊपर दुनिया की हर चीज निछावर उसका दिल मेरा घर जो तेरा है वो मेरा है. 

बेवफा -कुछ भी टिकाऊ नहीं है ,एक व्यापार है, नफा तो मेरा, घाटा तो तेरा, मौका अगर तुमसे बेहतर नपा तुला तो मौके पर धोखा, अब तुम कौन का सवाल, मुझे तो और बेहतर दिल और दिल वाला भा गया, अब तुम जाओ, मेरा दिल और किसी पर आ गया. 

सच्चे प्यार मे बेवफा शब्द ही नहीं होता, सारे दुख दर्द जो तेरे वो अब मेरे, खुशिया तुझ पर लुटानी है जब तक जिंदगानी है. आगे भी जन्मों जन्मों का नाता है, तेरे सिवा मुझे कुछ ना भाता है. 

जन्मों की छोड़ो कुछ दिन ना निभि क्यों मेरी नजर व्यापारी थी, फायदे नुकशान का तोल मोल जारी था, 
तुझ में नुकसान ही नजर आता है, इसलिए अब तू मुझे नहीं भाता है. 

तलाश जारी थी तुमसे कुछ अच्छे की अब मिल गयी है, अब नये सौदे को परखना जारी है, अगर और अच्छा ऑप्शन नहीं मिलता तो तलाश यही खत्म होगी.

 पुरानी यादे भस्म होगीं, यही मन लगेगा, क्यों कि मेरा दिल तो है आवारा ना जाने किस पर आएगा, मगर भाना ही काफी नहीं व्यापारीक फायदा भी होना चाहिये. 

बेवफाई में सब जायज है, क्योंकि प्यार के कोई कायदे नहीं होते एक ही पैमाना है प्यार में जो एक बार किसी का हो गया तो होकर रह गया जन्मों तक ये बन्धन अपने आप में मज़बूत है, क्यों कि यहां तेरे मेरे की रेखा खत्म होती है और हमारे शब्द के साथ मजबूती से जुड़ जाती है जिंदगी अनंत काल के लिये. 

काश बेवफाई ना होती.

..इति..

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Saturday, May 20, 2023

तोड़ दो कसम (Tod do kasam)


                     
Tod do kasam
Tod do kasam 
Image from:pexels.com 


तोड़ दो कसम..
जो तुमने खाई है..
हमे भुलाने की..
सुनो, दिल के दरवाजे पर..
दस्तक है हमारे आने की..

जो गिले शिकवे और..
शिकायत है हमसे..
तुम एक बार कहो तो सही..
दिल के सागर में..
लहरे हैं तूफान है..
तुम संग बहो तो सही..

हिम्मत वालों के आगे..
झुकता है आसमान..
तुम प्यार पर गुमान ..
करो तो सही..
नशीब लिखता है ईश्वर..
जो लिखना था लिख दिया..
तुम लिखे को पढो तो सही..

जोड़िया बनती हैं..
आसमान में..
ये अटूट बंधन..
कुदरत की देन है ..
तुम इस बंधन में..
बंधने की हिम्मत..
करो तो सही..

चाहत का गला घोटा ..
जब भी..
नहीं देते राहत..
भौतिक सुख भी..
पश्चात्ताप से भी..
नहीं लौटता वक़्त कभी..
तुम सही गलत का..
आंकलन करो तो सही..

कुछ निर्णय कुदरत के..
मान लेने में ही सुख है..
लहरों के विपरित बहने में..
दुख ही दुख है..
अगर तुमने दुख को..
गले लगाना ठान लिया..
दुख में सुख तलाशने की..
हिम्मत करो तो सही...

दरवाजे दिल के..
खुले रहने चाहिए..
अन्दर की आवाज..
बाहर आनी चाहिए..
कसम कर दे जो..
सारे अरमान भस्म..
ऐसी कसम..
नहीं खानी चाहिये..
गर खाई अहम में..
तोड़ दू क्या..
पूछो तो सही..

वरदान ईश्वर का है..
ये जिन्दगी..
आभार ईश्वर का मान..
करो बंदगी ..
कड़वाहट संताप में..
क्या रखा है.  
जलाओ दिया दिल में..
प्रेम का अमृत सा..
जीवन आनंदमय होगा..
तुम तप में तपो तो सही..!!


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कविता की  विवेचना: 
तोड़ कसम/Tod do kasam कविता दो चाहने वालों की अंतर्मन व्यथा को वर्णित करती है. 

जो आपस में रूठे हैं मगर रूठना नहीं चाहते, एक दूजे से दूर हो टूटे हैं मगर इसे कबूलना नहीं चाहते. 

अहम आ गया आड़े जोश में कसम खा ली भुलाने की मगर भुलाने की जगह यादों ने ले ली, यादों में खोये एक दूजे की दूर होते हुये भी पास से लगते हैं. 

मगर ये नजदीकियां ख़्वाबों ख्यालो में हैं हकीकत में कसम पर कायम है, हमे जरूरत नहीं एक दूजे की लाइन को पक्का कर रहे हैं, भले अकेले में यादों में मर रहे हैं. 

प्यार में सौदा नफा नुकसान आ गया तो प्यार ना हो कर व्यापार हो गया और व्यापार में भावनायें नहीं होती. 

प्यार ईश्वर सा पवित्र है, निस्वार्थ है, जैसा मीरा का श्री कृष्ण से, राधा का श्रीं कृष्ण से, और भी प्यार के कई आदर्श है, हीर रांझा, सोहनी माहीवाल आदि. 

इति..

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Thursday, May 18, 2023

तेरा सपना मेरा सपना (Tera Sapna mera sapna)

                     
Tera sapna mera sapna
Tera sapna mera sapna
Image from:pexels.com 



तेरी पसन्द को मैं बना लू अपना..
जो तेरा सपना है, वही मेरा सपना..

जिन वादियों में तुम्हें है पसंद जाना..
उन्हीं वादियों में मेरा भी ठिकाना..

ये अम्बर ख्वाबों का आकाश तुम्हारा ..
मुझको भी लगता है उतना ही प्यारा..

तेरी पसंद को बना लू मैं अपना..
जो तेरा सपना है वही मेरा सपना..

आते ना तुम तो वीरान थी जिन्दगी. 
आई हैं बहारें जिंदगी में तेरे बहाने से..

जिन्दगी जिंदादिल है, आपके आने से..
आये हैं जीवन में सुर ,तेरे गाने से..

तेरी पसन्द को बना लू अपना मैं अपना..
जो तेरा सपना है, वही मेरा भी सपना..

तेरे लिये चाहत जागी जो दिल में ..
राहत सी मिली, चल पडी बोझिल जिन्दगी..

तेरे राह में पलकें दिन रात बिछाना है..
तेरी तारीफ में ज़िन्दगी बिताना है..

तेरी पसंद को बना लू मैं अपना..
जो तेरा सपना है वही मेरा भी सपना..

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कविता की विवेचना: 

तेरा सपना मेरा सपना/Tera sapna mera sapna कविता/गीत प्रेमी प्रेमिका की एक दूसरे के प्रति समर्पण की भावना को व्यक्त करती है. 
समर्पण को व्यक्त करने के लिये शब्द कम पडते हैं, तब भी कोशिश इस गीत में की गई है, आज के आधुनिक युग में समर्पण प्यार  को भौतिक सुविधाओं ने ढक दिया है, समर्पण प्यार आज लोप हो चुका है. 
लैला मजनू, हीर रांझा किस्से हो कर किताबों में बंद पडे हैं, आज के युवा इन किस्सों को व्यर्थ का भावनात्मक तर्क समझते हैं. 

जब इंसान भौतिकवाद से ऊब जायेगा, इंसान को इंसान नहीं  
भायेगा एक बार फिर सच्चे प्रेम का ज़माना आयेगा. 
इंतजार है उस समय का फिर यह पृथ्वी स्वर्ग सी होगी और जीवन एक अमृत का प्याला.

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