Thursday, February 17, 2011

नेता के विचार (Thought of Leader in India)

Neta ke Vichar
Neta Ke Vichar
Image from :pexels.com
Ko



हमने बापू की बात मानी है...
हर एक भारतीय को....
लंगोटी और टायर वाली चप्पल..
पहनानी है...


इस ओर हम जोर शोर से...
कर रहे है गौर...
हमारी सरकार की ...
प्राथमिकता यही है...


धन सफेद हो या काला..
जनता के लिए बेकार है...
इसे जनता से हथियाना...
बहुत जरूरी है...

इसके लिए भ्रष्टाचार...
करना और करवाना..
सरकारी मजबूरी है...
यह काम युद्ध स्तर पर ..
जारी है...

तब तक जारी रहेगा...
जब तक ...
हर भारतीय लंगोटी में नहीं आता...
दिखने में ...
बापू जैसा नही हो जाता..


Hamne bapu ki baat mani hai..
Har ek Bhartiya ko ..
Langoti aur tyre wali chappal..
Pahnani hai..

Eis ore ham jor shor se..
Kar rahe hai gaur..
Hamari sarkar ki ..
Prathmikta yahi hai..

Dhan safed ho ya kala..
Janta ke liye bekar hai..
Ise janta se hathina ..
Bahut jaruri hai..

Iske liye bhrachar ..
Karna aur karvana..
Sarkari bajboori hai..
Yah kaam yudh staer..
Par jari hai..

Tab tak jari rahega..
Jab tak..
Har bhartye langoti main nahi aata..
Dikhane main..
Bapu jaisa nahi ho jata..!!



_JPSB

कविता की विवेचना:

नेता के विचार/ Neta ke vichar कविता एक व्यंग कविता है,  जो कि नेताओ और राजनीति पर है।

महात्मा गांधी जी हमारे राष्ट्र पिता हैं, जिन्हे हम प्यार से बापू  कहते हैं।

बापू जब विदेश से भारत आए और अंग्रेजो के खिलाफ भारत की आज़ादी का संघर्ष शुरू किया , उस समय उन्होंने देखा आम भारतीय बहुत ज्यादा गरीब है , कपड़े भी ढंग के नही उसके पास,तो उन्होंने अपनी वेश भूषा एक गरीब भारतीय जैसी बना ली थी, ताकि वो ठीक ढंग से आम भारतीय को रिप्रेजेंट कर सकें।

और उन्होंने अपनी वेश भूषा  इस प्रकार  निर्धारित की थी,खादी की धोती खादी का अंगोशा एक साधारण चश्मा एक कमर में लटकने वाली घडी और पैरो में टायर से  बनी कि चप्पल पहनी थी । वह अपने द्वारा काते गए सूत का बुना गया कपड़ा ही पहनते थे।  

हमारे नेताओ ने यह समझ लिया की, बापू जनता को इस वेशभूषा में ही देखना चाहते थे , और नेताओ ने इस ओर जोर शोर से काम करना शुरू किया हुआ है जो अब भी जारी है । कि जनता को कैसे गरीब से और गरीब बनाया जाए।

सबसे पहले शिक्षा को और स्वथ्या सुविधाओ को महंगा किया गया इतना महंगा किया कि साधारण आदमी की पहुंच से दूर हो गई।

 फिर नेताओ ने हर ऐसी वस्तु पर रिसर्च किया जो गरीब इस्तेमाल करता है जैसे गुड, नमक, प्याज, तुहर की दाल, मकई , खाने का तेल आदि।

 इन सब चीजों को जान बुझ कर इतना महगा किया गया कि गरीब के लिए बना गाना दाल रोटी खाओ प्रभु के गुण गाओ। भी बेकार हो गया क्यों कि गरीब दाल रोटी खाने लायक  गरीब नही बचा ,अब गरीब सुखी रोटी खाता है ,या आम की गुठली का गुदा पीस कर खाता है।

हो सकता इसका भी पता नेताओ को चल गया तो इसे भी इतना महंगा हो जाएगा कि गरीब की  पहुंच से बहुत दूर हो जाएगा।

"नेता के विचार" कविता में यह वर्णन किया गया है  नेता सोचते हैं कि कैसे देश की जनता को गरीब से गरीब बनाया जाए। ताकि सारी जनता  की वेशभूषा बापू जैसे हो जाए।

कृपया कविता को पढ़े और शेयर करें।

... इति.. 

_जे पी एस बी 
jpsb.blogspot.com

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Incredible at present

Incredible at present
Incredible at Present
Image from :pexels.com



कोई  जवान हुआ-
कोई जवानी मे बदनाम हुआ-
यह किस्सा अब भारत मे आम हुआ-
शर्म हया यहा से गायब है-
बेशरमी और चोतर्फ़ा लूट जायज है-

घूसखोरो की वाह वाही-
इमानदारो की  तबाही-
कोइ कीमत नही इन्सान की-
आसमान छू रही किमते आटे दाल की-
जय बोलो बेइमान की-

कुछ लोगो को यहा जीने का हक मिला-
नेता उसका चमचा या भाई भतीजा-
नेताओ से मिल उधोगपतियो की तुती बोलती है-
भ्रष्टाचार  के कई राज खोलती है-

सरकारी  लूट की है छूट- 
जितना लूटना चाहो लूट- 
जनता के तन पे लगोती भी ना जाये छूट-
अब तू चाहे सबके धंधे छीन-
मनमर्जि से काले सफ़ेद पैसे गिन-
अब यहा कोई कमा ना पायेगा-

सारा पैसा -
नेताओ उधोगपतियो के  पास ही जायेगा-
जन जन बापू की वेसभुसा(लगोती) अपनायेगा-
नेताओ की नजर मे येही बापू का सपना था-!!


Koi jawan hoowa ..
Koi jawani main badnaam hoowa..
Yah kissa ab bharat main aam hoowa..
Sharm hya yahan se gayab hai..
Besharmi aur chohstarfa loot jayaj hai..

Ghuskhoron ki wahwahi..
Imandaron ki tabahi..
Koi kimat nahi inshan ki..
Aashman chhu rahi kimaten aate dal ki..
Jai bolo beiman ki..

Kuchh logon ko yahan jine ka hak mila..
Neta uska chamcha aur bhai bhatija..
Netao se mil udhog patiyon ki footi bolti hai..
Bhrastachar ke kai raj kholti hai..

Sarkari loot ki hai chhoot ..
Jitna lootna chaho loot..
Janta ke tan pe langoti bhi na jaye chhoot..
Ab tu chahe sabke dhandhe chheen..
Manmarji se kale safed paise geen..
Ab yahan koi kama na payega..

Sara Paisa..
Netao udhogpatiyon ke pas hi jayega..
Jan jan bapu ki veshbhusha( langoti)apnayega..
Netao ki nazar main yhi bapu ka sapna tha..!!


-JPSB

कविता की विवेचना:

इनक्रेडिबल एट प्रेजेंट/ Incredible at present कविता आजादी के बाद भारत में गराबी और अमीरी के बीच बढ़ती खाई और बढ़ता भ्रष्टाचार और आज़ादी के पहले देखे गए सपने जो धूमिल हो गए आदि विषय पर आधारित है।

जोर शोर से विज्ञापन आता है इनक्रेडिबल इंडिया या अतुल्य भारत ,हमारा देश है हमे इसपर गर्व है ,और हम सब दिल से चाहते हैं कि वास्तव में भारत इनक्रेडिबल हो

मगर क्या सिर्फ विज्ञापन से यह संभव है, इसके लिए हमे अथक प्रयास दिल से करने होंगे, देश के विकाश के मामले में सत्ता पक्ष और विपक्ष को एकता और एक उद्देश्य दिखाना होगा ।

 देश का भला और सिर्फ देश का भला तब ही भारत अतुल्य बनेगा। देश और समाज में बढ़ रही बुराइयां हटानी होंगी जैसे भ्रष्टाचार , भाई भतीजावाद, राजिनिक दलों का अपराधी करण,गरीबी दूर करने के लिए ठोस कदम , सबके लिए रोजगार अच्छी शिक्षा और स्वास्थ व्यवस्था। 

आजाद देश में रोटी कपड़े और मकान पर सबका हक है। देश में शिक्षा और स्वास्थ व्यवस्था मुफ्त होना चाहिए , जिनका कि तेजी से व्यवसाई करण हो रहा है। सारी प्राइवेट यूनिवर्सिटी और एजुकेशनल इंस्टीट्यूट का राष्ट्रीयकरण होना चाहिए , इसी प्रकार सब प्राइवेट हॉस्पिटल और मेडिकल इंस्टीट्यूट का भी राष्ट्रीय करण होना चाहिए। तब ही भारत पूर्ण स्वतंत्र और अतुल्य कहलाएगा।

और यही सपना तो बापू और सब स्वतंत्रता सेनानियो ने देखा था, बापू की करेंसी में फोटो साप दी मगर उनके सिद्धांतों और नियमों को बिलकुल भी लागू नहीं किया ।

 किया होता तो आज हमारे गांवों का बहुत विकास हो गया होता , गरीबी खतम हो चुकी होती, क्यों ऐसा नहीं किया , किसका स्वार्थ था नही पता ।

मगर ऐसा हुआ होता तो भारत अतुल्य और विकसित देशों में शुमार हो गया होता।

" इनक्रेडिबल एट प्रेजेंट" कविता में यही दुख और अफसोस की ओर इंगित किया गया है कि खामियों को खत्म कर विकास की ओर बढ़े, चलो भेष का विकास करें ।सिर्फ सलोगन से विकास नही होगा सरकार के साथ जनता को भी लगना होगा ताकि अपना देश वास्तव में अतुल्य हो ।

कृपया कविता को पढ़े और शेयर करें।

... इति...
_जे पी एस बी
jpsb.blogspot.com

 

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Tuesday, January 25, 2011

यह किस से कहा जाए..?


To Whom It should address ……? 
यह किस से कहा जाए....?
To whom it should address
Yeh kis se kaha jaye
Image from :Times of India

कब तक सहा जाए ...
यह किससे कहा जाए...

जिन्हे वोट दिया चुना...
उन्होंने आंखे मूंद ली...

सुनता नहीं कोई ..
कहते है आज़ादी है..

आज़ादी मिली चंद लोगो को...
अमीरों राजनेताओं को...

जनता ने आज़ादी का स्वाद ना चखा..
अंग्रेज चले गए कही नही पता चला...

ना अच्छी शिक्षा ना स्वाथ्य का पता..
इन सबका भी ववसायी करण हुआ...

महंगे स्कूल कालेज महंगे अस्तप्ताल...
सब ओर अमीरों का मायाजाल...

गरीबी भुखमरी की कौन करे पड़ताल...
गरीबों का सिर्फ भगवान ही मालिक...

भेड़ बकरियां और गरीब इस्तेमाल की चीज..
कुछ खाने के लिए कुछ वोट पाने के लिए...!!

यह किससे कहा जाए…?

Ram bharose
Yah kis se kha Jaye
Image from:pexels.com

क्या यह सच है कि भारतीय शीर्ष प्रशासक डिवाइन पावर (राम भरोसे) पर निर्भर हैं। क्या यह देश के शीर्ष प्रशासकों को जानकारी  है कि सब्जियों, दालों, आवास, शिक्षा जैसी सभी चीजों की कीमत केवल एक वर्ष में 4 गुना बढ़ जाती है। कुछ उदाहरण नीचे दिए गए हैं: विशेष रूप से कीमत 1 वर्ष से पहले (रु। में) वर्तमान में (रु। में) मूल्य। 25.00 से 90.00 चावल 12.00 से 32.00 गेहूं 8.50 से 19.00 खाद्य तेल 35.00 से 90.00 फ्लैट दर 800 / वर्ग। फीट से 3200 / वर्ग। फीट। फीस 25,000 / वर्ष। से 80,000 / वर्ष सरकार को केवल अपनी चिंता है, उन्होंने M.P. के वेतन में 4 गुना वृद्धि की, सरकार के कर्मचारियों के वेतन में 6 वें वेतन आयोग ने 3 गुना वृद्धि की। लेकिन सरकारी कर्मचारी के अलावा अन्य लोगों के बारे में क्या है, वे कई आर्थिक समस्याओं का सामना कर रहे हैं। शिक्षा शुद्ध वाणिज्यिक व्यवसाय बन गई, सरकार ने निजी संस्थानों को फीस बढ़ाने, दान लेने, निजी ट्यूशनों को प्रोत्साहित करने के लिए स्कूल / कॉलेजों में कोई अध्ययन नहीं करने के लिए मुफ्त हाथ दिया है। अब एक दिन गरीब आदमी, यहां तक ​​कि मध्यम वर्ग के लोग भी अपने बच्चों को ऐसी परिस्थितियों में शिक्षित करने की कल्पना नहीं कर सकते हैं। प्रत्येक और हर आइटम की बढ़ती दरों में 4 गुना, लेकिन गरीब और मध्यम वर्ग के लोग जो निजी नौकरियों / अन-ऑर्गनाइज्ड Secter में हैं, वे उसी तरह कमाते हैं जैसे वे 3 साल पहले कमाते थे।



दूरदर्शन में RBI का विज्ञापन जो मैंने देखा था, "हम लंबे समय तक कीमतों को नियंत्रित करते हैं - हम हर दिन आम लोगों के जीवन को छूते हैं।" जो मजाक जैसा लगता है। । सरकार कागजों पर योजनाओं की घोषणा करती है लेकिन आम आदमी की पहुंच से परे है। उदाहरण के लिए - सरकार शिक्षा ऋण पर इंट्रेस्ट सब्सिडी शुरू करती है, लेकिन यदि बैंक, बैंक मैनेजर या संबंधित व्यक्ति से पूछताछ की जाती है या इनकार करते हैं। योजनाओं का प्रभावी निहितार्थ भी आवश्यक है और इसके शासन का हिस्सा भी है। "गरीब और मध्यम वर्ग के लोग इस स्वतंत्र देश में सेवा करने के लिए बहुत कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं - क्यों?" Pl.do something मुद्रास्फीति पर अंकुश लगाने के लिए कुछ सकारात्मक कदम उठाए यह बहुत अधिक है जो मैंने अपने जीवन काल में देखा है।
Poor School Girl
Poor school girl
Image from: pexels.com


 कुछ सुझाव सही तरीके से लागू  कर स्थिति को सुधार सकते हैं: - थके हुए मंत्रियों को हटा दें, खुदरा सब्जियों के लिए कॉरपोरेट घरानों की ज़िम्मेदारी रद्द करें, तत्काल प्रभाव से किराना, खाद्य पदार्थों के प्रतिबंध वस्तुओं का व्यापार, स्टॉक की सख्त जाँच करें, विशेष रूप से कॉरपोरेट घरानों के गोदामों की जो खाद्य पदार्थ की खुदरा बिक्री में संलग्न हों, आवश्यक खाद्य पदार्थों पर सब्सिडी दें, समय पर आयात की जाने वाली खाद्य सामग्री का बहिष्कार करें, एफसीआई की भंडारण क्षमता और क्षमता में सुधार करें, उत्पादन बढ़ाने के लिए किसानों को तकनीकी, वित्तीय और नैतिक समर्थन दें, थोक खरीद के लिए कॉर्पोरेट घरानों को बैन कर दें , कुछ आइटम्स। सामान्य व्यवसाय / कॉरपोरेट घरानों को कॉमन कमोडिटी बिज़नेस करने के लिए, विशेष ट्रेड बिज़नेस के लिए रिस्ट्रिक करें
 
आम आदमी, शिक्षा क्षेत्र का पूरी तरह से राष्ट्रीयकरण करें, शिक्षा क्षेत्र में व्यवसाय को प्रतिबंधित करने और निजी शिक्षा संस्थान और विश्वविद्यालयों का राष्ट्रीयकरण करें, सरकार के सुधारों को सुनिश्चित करें कॉन्वेंट लेवल शिक्षा सरकारी स्कूलों में हो सुनिश्चित करे ,ट्यूशन कल्चर को समाप्त करने के लिए स्कूल एडमिशन में सुधार करे नई शिक्षा नीति बनाए
 नई कृषि नीति बनाएं।उच्च प्राथमिकता पर कृषि सुधार करें।

  क्या यह देश के शीर्ष प्रशासकों को पता है कि सब कुछ जैसे सब्जियों, दाल, आवास, शिक्षा की कीमत केवल एक वर्ष में 3 गुना बढ़ जाती है। कुछ उदाहरण नीचे दिए गए हैं: विशेष रूप से कीमत 1 वर्ष पहले (रुपये में)। वर्तमान में (रु। में) मूल्य। 32.00 गेहूं 8.50 19.00 फ्लैट दर 800 / वर्ग। फीट 2,500 / वर्ग। फीट। शुल्क 35,000 / वर्ष। 80,000 / वर्ष

 सरकार को केवल अपनी चिंता है, उन्होंने M.P. के वेतन में 4 गुना वृद्धि की, सरकार के कर्मचारियों के वेतन में 6 वें वेतन आयोग ने 3 गुना वृद्धि की। लेकिन सरकारी कर्मचारी के अलावा अन्य लोगों के बारे में क्या है, वे कई आर्थिक समस्याओं का सामना कर रहे हैं। शिक्षा शुद्ध वाणिज्यिक व्यवसाय बन गई, सरकार ने निजी संस्थानों को फीस बढ़ाने, दान लेने, निजी ट्यूशनों को प्रोत्साहित करने के लिए स्कूल / कॉलेजों में कोई अध्ययन नहीं करने के लिए मुफ्त हाथ दिया है। अब एक दिन गरीब आदमी, यहां तक ​​कि मध्यम वर्ग के लोग भी अपने बच्चों को ऐसी परिस्थितियों में शिक्षित करने की कल्पना नहीं कर सकते हैं। प्रत्येक और हर आइटम की बढ़ती दरों में 3 गुना, लेकिन गरीब और मध्यम वर्ग के लोग जो निजी नौकरियों में हैं, वे उसी तरह कमाते हैं जैसे वे 3 साल पहले कमाते थे।
To whom it should address 2
Rich & Poor Gap
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 दूरदर्शन में RBI का विज्ञापन जो मैंने देखा था, "हम लंबे समय तक कीमतों को नियंत्रित करते हैं - हम हर दिन आम लोगों के जीवन को छूते हैं।" जो मजाक जैसा लगता है। । सरकार कागजों पर योजनाओं की घोषणा करती है लेकिन आम आदमी की पहुंच से परे है। उदाहरण के लिए - सरकार ब्याज मुक्त शिक्षा ऋण पेश करती है, लेकिन यदि बैंक में पूछताछ की जाती है, तो बैंक प्रबंधक या संबंधित व्यक्ति इनकार या इनकार कर देता है। योजनाओं का प्रभावी निहितार्थ भी आवश्यक है और इसके शासन का हिस्सा भी है। “गरीब और मध्यम वर्ग के लोगों को इस स्वतंत्र देश में जीवित रहने के लिए बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है - क्यों… ???

.. इति...
_जे पी एस बी 
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