कोई जवानी मे बदनाम हुआ-
यह किस्सा अब भारत मे आम हुआ-
शर्म हया यहा से गायब है-
बेशरमी और चोतर्फ़ा लूट जायज है-
घूसखोरो की वाह वाही-
इमानदारो की तबाही-
कोइ कीमत नही इन्सान की-
आसमान छू रही किमते आटे दाल की-
जय बोलो बेइमान की-
कुछ लोगो को यहा जीने का हक मिला-
नेता उसका चमचा या भाई भतीजा-
नेताओ से मिल उधोगपतियो की तुती बोलती है-
भ्रष्टाचार के कई राज खोलती है-
सरकारी लूट की है छूट-
अब तू चाहे सबके धंधे छीन-
मनमर्जि से काले सफ़ेद पैसे गिन-
अब यहा कोई कमा ना पायेगा-
सारा पैसा -
नेताओ उधोगपतियो के पास ही जायेगा-
जन जन बापू की वेसभुसा(लगोती) अपनायेगा-
नेताओ की नजर मे येही बापू का सपना था-!!
सरकारी लूट की है छूट-
जितना लूटना चाहो लूट-
जनता के तन पे लगोती भी ना जाये छूट-अब तू चाहे सबके धंधे छीन-
मनमर्जि से काले सफ़ेद पैसे गिन-
अब यहा कोई कमा ना पायेगा-
नेताओ उधोगपतियो के पास ही जायेगा-
जन जन बापू की वेसभुसा(लगोती) अपनायेगा-
नेताओ की नजर मे येही बापू का सपना था-!!
Koi jawan hoowa ..
Koi jawani main badnaam hoowa..
Yah kissa ab bharat main aam hoowa..
Sharm hya yahan se gayab hai..
Besharmi aur chohstarfa loot jayaj hai..
Ghuskhoron ki wahwahi..
Imandaron ki tabahi..
Koi kimat nahi inshan ki..
Aashman chhu rahi kimaten aate dal ki..
Jai bolo beiman ki..
Kuchh logon ko yahan jine ka hak mila..
Neta uska chamcha aur bhai bhatija..
Netao se mil udhog patiyon ki footi bolti hai..
Bhrastachar ke kai raj kholti hai..
Sarkari loot ki hai chhoot ..
Jitna lootna chaho loot..
Janta ke tan pe langoti bhi na jaye chhoot..
Ab tu chahe sabke dhandhe chheen..
Manmarji se kale safed paise geen..
Ab yahan koi kama na payega..
Sara Paisa..
Netao udhogpatiyon ke pas hi jayega..
Jan jan bapu ki veshbhusha( langoti)apnayega..
Netao ki nazar main yhi bapu ka sapna tha..!!
-JPSB
कविता की विवेचना:
इनक्रेडिबल एट प्रेजेंट/ Incredible at present कविता आजादी के बाद भारत में गराबी और अमीरी के बीच बढ़ती खाई और बढ़ता भ्रष्टाचार और आज़ादी के पहले देखे गए सपने जो धूमिल हो गए आदि विषय पर आधारित है।
जोर शोर से विज्ञापन आता है इनक्रेडिबल इंडिया या अतुल्य भारत ,हमारा देश है हमे इसपर गर्व है ,और हम सब दिल से चाहते हैं कि वास्तव में भारत इनक्रेडिबल हो
मगर क्या सिर्फ विज्ञापन से यह संभव है, इसके लिए हमे अथक प्रयास दिल से करने होंगे, देश के विकाश के मामले में सत्ता पक्ष और विपक्ष को एकता और एक उद्देश्य दिखाना होगा ।
देश का भला और सिर्फ देश का भला तब ही भारत अतुल्य बनेगा। देश और समाज में बढ़ रही बुराइयां हटानी होंगी जैसे भ्रष्टाचार , भाई भतीजावाद, राजिनिक दलों का अपराधी करण,गरीबी दूर करने के लिए ठोस कदम , सबके लिए रोजगार अच्छी शिक्षा और स्वास्थ व्यवस्था।
आजाद देश में रोटी कपड़े और मकान पर सबका हक है। देश में शिक्षा और स्वास्थ व्यवस्था मुफ्त होना चाहिए , जिनका कि तेजी से व्यवसाई करण हो रहा है। सारी प्राइवेट यूनिवर्सिटी और एजुकेशनल इंस्टीट्यूट का राष्ट्रीयकरण होना चाहिए , इसी प्रकार सब प्राइवेट हॉस्पिटल और मेडिकल इंस्टीट्यूट का भी राष्ट्रीय करण होना चाहिए। तब ही भारत पूर्ण स्वतंत्र और अतुल्य कहलाएगा।
और यही सपना तो बापू और सब स्वतंत्रता सेनानियो ने देखा था, बापू की करेंसी में फोटो साप दी मगर उनके सिद्धांतों और नियमों को बिलकुल भी लागू नहीं किया ।
किया होता तो आज हमारे गांवों का बहुत विकास हो गया होता , गरीबी खतम हो चुकी होती, क्यों ऐसा नहीं किया , किसका स्वार्थ था नही पता ।
मगर ऐसा हुआ होता तो भारत अतुल्य और विकसित देशों में शुमार हो गया होता।
" इनक्रेडिबल एट प्रेजेंट" कविता में यही दुख और अफसोस की ओर इंगित किया गया है कि खामियों को खत्म कर विकास की ओर बढ़े, चलो भेष का विकास करें ।सिर्फ सलोगन से विकास नही होगा सरकार के साथ जनता को भी लगना होगा ताकि अपना देश वास्तव में अतुल्य हो ।
कृपया कविता को पढ़े और शेयर करें।
... इति...
_जे पी एस बी
jpsb.blogspot.com
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