Wednesday, July 7, 2010

जिंदगी और मौत ( Jindgi Aur Mout)



Life N death
Life N Death
Image from :pexels.com

 जिंदगी और मौत दो सगी बहनें है...

जिनका एक दूजे बिन इनका गुजारा नहीं...

जितनी सच जिंदगी है....

 मौत भी उतनी ही हकीकत है...

           जिंदगी है तब ही मौत है ...

         मौत है इसलिए जिंदगी है... 

 

जिंदगी एक सुंदर आगाज़ है...

तो मौत उसका खूबसूरत अंत है...

मौत के बिना जिंदगी अधूरी है...

जिंदगी एक सुहाना सफ़र है...

तो मौत एक सफल मंजिल है...

 

इसी मंजिल की  ..

तलाश में तो जिंदगी निकली है...

और मौत पूरी वफा से ...

जिंदगी को मिलती है...

जहा जहा जिंदगी है...

मौत भी वहा पास खड़ी है...

 

जिंदगी छोटी और मौत बड़ी है...

जिंदगी और मौत एक दूजे का पर्याय है ..

चलो जी ले जिंदगी ...

मौत को गले लगाने के लिए...!! 


Jindgi aur mout do sagi bahane hai..

Jinka ek duje ke bina gujara nahi hai..

Jitani sach jindagi hai ..

Mout bhi utni hi  hakikat hai..

Jindgi hai tab hi mout hai..

Mout  hai isaliye jindgi hai..


Jindgi ek sunder aagaj hai..

Tou mout uska khubsurat ant..

Mout ke bina jindgi adhuri hai..

Jindgi ek suhana safar hai..

Tou mout ek safal manjil hai..


Isi manjil ki ..

Talash me tou jindgi nikali hai ..

Aur mout puri vafa se..

 Jindgi ko milti hai..

Jahan Jahan jingi hai..

Mout bhi wahi pas khadi hai..


Jindgi chhoti hai aur mout badi hai..

Jindgi aur mout ek duje ke pray hai..

Chalo ji le jindgi bharpur ..

Mout ko gale lagane ke liye ..!!


_जे पी एस बी 

कविता की विवेचना: 

जिंदगी और मौत/Life N Death कविता जिंदगी और मौत के आपसी रिलेशन के बारे में है, जिंदगी ना होती तो मौत बिना होती, जिंदगी है इसलिए तो मौत है।

जिंदगी और मौत एक दूसरे की परसायियो की तरह है जो कभी भी दूजे का साथ नही छोड़ती। 

दोनो सगी बहिने हैं, जहा जिंदगी सुरु होती है मौत जिंदगी के पीछे पीछे परसाई की तरह चलती है, और जहा जिन्दगी थमी,और मौत उसका बैटन पकड़ आगे के सफर के लिए चल देती है मंजिल की ओर ,जबकि यह किसी को पता नही मौत के सिवा की मंजिल कहां है।

मौत हमेशा जिंदगी का साथ देती है , जैसे ही जिंदगी अंतिम सांस लेती है , मौत तुरंत ही हांथ थाम लेती है।

ज़िंदगी अधर में साथ छोड़ देती ,मौत अपना लेती है और कभी छोड़ कर नही जाती बल्कि साथ ले जाती है सदा के लिए।

इसलिए तो जिंदगी बेवफा है बीच रास्ते छोड़ जायेगी , मौत महबूबा है साथ लेकर जायेगी और अनंत तक साथ निभायेगी।

फिर भी जिंदगी से प्यार और मौत से इंसान डरता क्यों है जब की यह पूर्ण सत्य है जिंदगी जायेगी ही उतना ही उतना ही सत्य यह भी है कि मौत आएगी ही I

मौत से भी डर के बजाय प्यार करना चाहिए क्यों कि अंत में उसके साथ ही जाना है,इसलिए मौत से भी प्यार रहना चाहिए उतना ही जितना जिंदगी से इंसान करता है।

"जिंदगी और मौत" कविता में ज़िंदगी और मौत को एक दूसरे के पूरक के रूप में देखा गया है, एक दूजे के बिना दोनो का ही अस्तित्व नही है , जिंदगी है तो मौत है, जिंदगी नही तो मौत भी नही है।

कृपया कविता को पढ़े और शेयर करें।

... इति...

_ जे पी एस बी 

jpsb.blogspot.com

 

 

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