Sunday, August 22, 2010

गवर्नेंस (Governance)

गवर्नेंस/Governance



MP की 5 गुना सैलरी हाइक, साल में 4 बार महंगाई, साल में 4 बार महंगी हुई बात ... हाउसिंग, किराणा एजुकेशन खर्च, Govt कर्मचारी को 6th पे कमीशन मिला .... गरीब लोगों का क्या, प्राइवेट कर्मचारियों की उनकी इनकम समान है 3 साल पहले क्या था, इन लोगों का पर्सेंटेज विशाल है और सरकार के
Poor became poorer
Poor became Poorer

कर्मचारियों और सांसदों से अधिक है, वे कैसे जीवित रहते हैं।किसी ने कभी नहीं
सोचा इनके बारे में , क्या सरकार इनको देश वासी नही समझती है।

क्या यह देश केवल १०% लोगों का है, जो पहुंच या सत्ता में हैं, वे अपने लिए चीजों का प्रबंधन करते हैं, इन १०% के अलावा बड़ी आबादी के बारे में क्या है, जहां शासन के नाम पर केवल अव्यस्था है।

 यह अविसनीय है कि कीमतें वर्ष के भीतर ३ से ४ गुना बढ़ जाती हैं।मगर लोगों की आमदनी वही रहती है जो चार वर्ष पहले थी।

सरकार को सबसे पहले आर्थिक रूप से सबसे कमजोर नागरिक की मिनिमम आमदनी निर्धारित करनी चाहिए और उस मिनिमम वेज का कानून बनाकर सख्ती से लागू देश भर में करना चाहिए।

 सबसे गरीब आदमी की आमदनी बढ़ेगी तो बाजार में पैसा आएगा ओवरऑल हमारे देश की समृद्धि बढ़ेगी देश की आर्थिक तरकी होगी और गरीब आदमी का जीवन स्तर सुधरेगा बेरोजगारी कम होगी साक्षरता दर में बढ़ोतरी होगी ।

 यह सब सरकार को भी पता है फिर इसे लागू क्यों नही करते , क्यों गरीब को गरीब रखना चाहते है इससे देश का तो नुकसान ही होगा, फिर इस प्रकार हो रहे नुकसान क्यों नही रोका जाना चाहिए ।

मैंने विज्ञापन देखा है। डीडी पर आरबीआई "हम मुद्रास्फीति को नियंत्रित करते हैं / जब तक हम मूल्य बढ़ोतरी को नियंत्रित करते हैं" आम आदमी के साथ मजाक लगता है। 

कौन इस देश के शीर्ष प्रबंधन और देश के शीर्ष थिंक टैंक को बताएंगे। कृपया अच्छी तरह से प्रबंधित करें और आम लोगों के बारे में भी सोचें।

नीचे कुछ प्वाइंट लेक ऑफ गवर्नेस को इंगित करते हैं।

Lack of Governance:

1 अल्प समय की अवधि में उच्च मुद्रास्फीति

2. गैर-मानक शिक्षा प्रणाली और शिक्षा परिणाम के व्यावसायीकरण के परिणामस्वरूप अब आम और गरीबों के लिए कोई उच्च शिक्षा नहीं है।

3. हाऊसिंग और लैंड नक्सल ने रिहायशी मकानों की कीमतों में पांच गुना तक की वृद्धि की और अब कोई भी घर मीडियम क्लास और गरीब के लिए नहीं है।

4. जाति और क्षेत्रीयता की राजनीति जो राष्ट्रीय एकीकरण के लिए खतरनाक है लेकिन सरकार द्वारा प्रयासों की कमी है। इसका प्रतिरोध करना।

 5. गरीबी हटाने के लिए कोई प्रभावी कार्यक्रम नहीं।


6. समृद्ध तेजी से अमीर हो रहे हैं और गरीब  और गरीब की ओर बढ़ रहे है।

महंगाई बढ़ने के
Poor Rich Gap
Gap between poor Rich
Image from :pexels.com


कारण: -
  1. मुद्रास्फीति के लिए कॉरपोरेट घरानों पर निर्भरता, जैसे रिलायंस मॉल , बिग बाजार या ऐसे मॉल।
               
  2. जमाखोरी, अत्यधिक धन शक्ति वाले समृद्ध कॉर्पोरेट घरानों द्वारा ज्यादा खरीद कर जमाखोरी

  3. सरकार के गोदामों की कमी। (पिछले साल गेहूं और चावल खुली जगह में स्टोर होने के कारण खराब हो गए)

  4. उच्च प्रोफ़ाइल राजनीतिज्ञ द्वारा गैर जिम्मेदाराना बयान।

  5. प्रभावी कृषि नीति का अभाव। 



_इति..

_जे पी एस बी
jpsb.blogspot.com

Monday, July 26, 2010

मेरे बारे में(About Me)





About me
Becouse it is in my Nature

मैं पूरी दुनिया को अपनाना चाहता हूं

मैं सबको अपना बनाना चाहता हू...

एक मुस्कान इशारा ही काफ़ी है...

तुम्हारा हो जाऊंगा सदा के लिए...

क्यों कि यह मेरे स्वभाव में है...


कोई काम बताकर तो देखो..

कोई इच्छा जताकर तो देखो...

पूरा करने के लिए जान लगा दूंगा...

क्यों कि यह मेरे स्वभाव में है...


एक बार किसी का हो गया अगर..

सारी उमर रिश्ता निभाउंगा...

चाहे कितनी भी रूकावटे आएं...

क्यों कि यह मेरे स्वभाव में है...

 

तुम मुझे भूल जाओ कभी..
मैं बार बार याद दिलाने आऊंगा...

मैं कभी न भूल पाऊंगा...

क्यो कि यह मेरे स्वभाव में है...!!


Main puri duniya ko apana chahta hun.. 

Main sabko apna banana chahta hun..

Ek muskan ishara hi kafi hai..

Tumhara ho jaunga sada ke liye..

Kyu ki yah mere swabhav main hai..


Koi kaam bata kar tou dekho..

Koi  ichha jatakar tou dekho..

Pura karne ke liye Jaan laga dunga..

Kyu ki yah mere swabhav main hai..


Ek bar kisi ka ho gaya agar..

Sari umar rista nibhaunga ..

Chahe kitni bhi rukawate aayen..

Kyu ki yah mere swabhav main hai..


Tum mujhe bhul jao kabhi..

Main bar bar yaad dilaunga..

Main kabhi na bhool paunga..

Kyu ki yah mere swabhav mai hai..!!


_जे पी एस बी 

कविता की विवेचना: 

मेरे बारे में/ About Me कविता में लेखक ने अपने बारे में कुछ भावनाएं व्यक्त की हैं।

लेखक पूरी दुनिया के कल्चर को जानना और अपना बनाना चाहता है।अर्थात लेखक चाहता की धर्म ,भाषा ,जात, पात,और देशों की सीमायो के नाम पर लड़ाई झगड़े बंद हो और पूरे विश्व के लोग चाहे किसी भी भाषा धर्म के हों ,किसी भी जात के हों सब मिल जुल कर रहें ।

नफरत, लड़ाई झगड़े ,युद्ध, आतंकवाद छोड़ कर आपस में प्यार बांटे यह प्यार वीजा, देश की सीमाओं का मोहताज ना हो ,और प्यार शांति चारो ओर बिखरे हर ओर खुशहाली हो, सब चैन से रहें,प्यार विश्व के सब देशों को वीजा पासपोर्ट बंद कर देने चाहिए , हर कोई पूरे विश्व का नागरिक हो पूरी धरती पर बिना रोक टोक आ जा सके।

लेखक यह विश्व प्रेम का सिलसिला खुद से सुरु करना चाहता है, लेखक चाहता है वह हर किसी के काम आए , कर किसी के कल्चर भाषा धर्म को समझे और आदर करें।

लेखक यह सब बहुत तेजी से करना चाहता है क्यों कि उम्र बहुत छोटी होती है उसी उमर में पर विश्व के कल्चर दिखने समझने हैं। सबको अपना बनाना है , विश्व शांति लाना है।

लेखक के स्वभाव में अपना पन, प्यार ,हमदर्दी ,परोपकार ,दया, करुणा आदि कूट कूट कर भरा है, यह भावनाएं सब में होती है बस उन्हें याद दिलाना है और जागृत करना है।

 यह काम बड़े बड़े विश्व नेता बहुत आसानी से कर सकते हैं। लेखक सोचता है वो बहुत छोटा है मगर सोचता है ,क्यों की भगवान चाहें तो कुछ भी अनहोनी पल में हो सकती है, हो सकता है यह भावनाएं हमारे विश्व नेताओ के मन में भगवान लाए या और कोई चमत्कार जो हम कल्पना भी नहीं कर सकते , भगवान कर सकते हैं।

विश्व शांति के काम में लेखक सबसे सहयोग करना चाहता और बढ़ चढ़ कर इस काम में हिस्सा लेना चाहता है, लेखक चाहता है जैसे श्री कृष्ण भगवान एक ही समय में करोड़ो गोपियों के साथ होते थे और हर के मन की मुराद पूरी करते थे, ऐसा ही कुछ विश्व शांति और प्यार के आदान प्रदान  में हो।

सारे विश्व के लोग एक पल में ही एक दूसरे के दिल में बस जाए कि कभी कोई लड़ाई झगड़े की कल्पना भी न करे और पूरे विश्व के सब हथियार नष्ट कर दिए जाएं , सेनाओं की कोई जरूरत ना हों।

पूरे विश्व में सब मिल बांट कर खाए पिए खुशियां मनाएं , कोई गरीब ना हो,तो यह पृथ्वी ही स्वर्ग है।

" मेरे बारे में" कविता में लेखक के विश्व शांति भाईचारे के विचार हैं, भगवान जरूर इसे पूरा करेगा।

कृपया कविता को पढ़े और शेयर करें।

... इति...

_जे पी एस बी

jpsb.blogspot.com


 

Wednesday, July 7, 2010

जिंदगी और मौत ( Jindgi Aur Mout)



Life N death
Life N Death
Image from :pexels.com

 जिंदगी और मौत दो सगी बहनें है...

जिनका एक दूजे बिन इनका गुजारा नहीं...

जितनी सच जिंदगी है....

 मौत भी उतनी ही हकीकत है...

           जिंदगी है तब ही मौत है ...

         मौत है इसलिए जिंदगी है... 

 

जिंदगी एक सुंदर आगाज़ है...

तो मौत उसका खूबसूरत अंत है...

मौत के बिना जिंदगी अधूरी है...

जिंदगी एक सुहाना सफ़र है...

तो मौत एक सफल मंजिल है...

 

इसी मंजिल की  ..

तलाश में तो जिंदगी निकली है...

और मौत पूरी वफा से ...

जिंदगी को मिलती है...

जहा जहा जिंदगी है...

मौत भी वहा पास खड़ी है...

 

जिंदगी छोटी और मौत बड़ी है...

जिंदगी और मौत एक दूजे का पर्याय है ..

चलो जी ले जिंदगी ...

मौत को गले लगाने के लिए...!! 


Jindgi aur mout do sagi bahane hai..

Jinka ek duje ke bina gujara nahi hai..

Jitani sach jindagi hai ..

Mout bhi utni hi  hakikat hai..

Jindgi hai tab hi mout hai..

Mout  hai isaliye jindgi hai..


Jindgi ek sunder aagaj hai..

Tou mout uska khubsurat ant..

Mout ke bina jindgi adhuri hai..

Jindgi ek suhana safar hai..

Tou mout ek safal manjil hai..


Isi manjil ki ..

Talash me tou jindgi nikali hai ..

Aur mout puri vafa se..

 Jindgi ko milti hai..

Jahan Jahan jingi hai..

Mout bhi wahi pas khadi hai..


Jindgi chhoti hai aur mout badi hai..

Jindgi aur mout ek duje ke pray hai..

Chalo ji le jindgi bharpur ..

Mout ko gale lagane ke liye ..!!


_जे पी एस बी 

कविता की विवेचना: 

जिंदगी और मौत/Life N Death कविता जिंदगी और मौत के आपसी रिलेशन के बारे में है, जिंदगी ना होती तो मौत बिना होती, जिंदगी है इसलिए तो मौत है।

जिंदगी और मौत एक दूसरे की परसायियो की तरह है जो कभी भी दूजे का साथ नही छोड़ती। 

दोनो सगी बहिने हैं, जहा जिंदगी सुरु होती है मौत जिंदगी के पीछे पीछे परसाई की तरह चलती है, और जहा जिन्दगी थमी,और मौत उसका बैटन पकड़ आगे के सफर के लिए चल देती है मंजिल की ओर ,जबकि यह किसी को पता नही मौत के सिवा की मंजिल कहां है।

मौत हमेशा जिंदगी का साथ देती है , जैसे ही जिंदगी अंतिम सांस लेती है , मौत तुरंत ही हांथ थाम लेती है।

ज़िंदगी अधर में साथ छोड़ देती ,मौत अपना लेती है और कभी छोड़ कर नही जाती बल्कि साथ ले जाती है सदा के लिए।

इसलिए तो जिंदगी बेवफा है बीच रास्ते छोड़ जायेगी , मौत महबूबा है साथ लेकर जायेगी और अनंत तक साथ निभायेगी।

फिर भी जिंदगी से प्यार और मौत से इंसान डरता क्यों है जब की यह पूर्ण सत्य है जिंदगी जायेगी ही उतना ही उतना ही सत्य यह भी है कि मौत आएगी ही I

मौत से भी डर के बजाय प्यार करना चाहिए क्यों कि अंत में उसके साथ ही जाना है,इसलिए मौत से भी प्यार रहना चाहिए उतना ही जितना जिंदगी से इंसान करता है।

"जिंदगी और मौत" कविता में ज़िंदगी और मौत को एक दूसरे के पूरक के रूप में देखा गया है, एक दूजे के बिना दोनो का ही अस्तित्व नही है , जिंदगी है तो मौत है, जिंदगी नही तो मौत भी नही है।

कृपया कविता को पढ़े और शेयर करें।

... इति...

_ जे पी एस बी 

jpsb.blogspot.com

 

 

Friday, March 12, 2010

अमन की आशा(Aman ki Aasha)

Aman Ki Aasha
Pease In World 
Image from: pexels.com



चारो तरफ़ बैचेनी-
लहुलुहान इन्सानियत है-
इधर भी उधर भी-
दिलो मे गुबार -
नफ़रतो की कोशिश-
फिर भी एक आशा -
अमन की-
दिलो मे अभी भी -
कुछ प्यार बचा है-
कड्वी यादो को कमजोर कर-
चलो करे अपने पन का इजहार-
नफ़रत आन्तक नही-
फ़ैलाए प्यार की आशा-
अमन और शान्ति-
आओ भाई लग जा गले-
मिटा सब शिकवे गिल्ले-
नई रोशनी नई आशा-
प्यार अमन शान्ति-
आओ सब मिल इस राह पर चले-!!


Charon tarfa baicheni ..

Lahuluhan insaniyat hai..

Idhar bhi udhar bhi. 

Dilon main gubar..

Nafraton ki koshis..

Phir bhi ek aasha ..

Aman ki..

Dilon main abhi bhi..

Kuchh pyar bacha hai..

Kadvi yadon ko kamjor kar..

Chalo karen apanepan ka izhar..

Nafrat aatank nahi..

Failaye pyar ki aasha..

Aman aur shanti..

Aao bhai lag ja gale. 

Mita sab shikve gille..

Nai roshni nai aasha..

Pyar aman shanti..

Aao mil sab is rah par chalen..!!


_जे पी एस बी 

कविता की विवेचना: 

अमन की आशा/Aman ki asha कविता हमारे पड़ोसी मुल्क के साथ हमारे देश के आपसी संबंधों को सुधारने की कोशिश जो की टाइम्स ऑफ इंडिया द्वारा चलाया गया अभियान था।कविता उसी अभियान का हिस्सा है।

जैसा कि हम सबको मालूम है आज़ादी  के पहले दोनो मुल्क एक थे ,और दोनो ने मिलकर एक साथ आज़ादी की लड़ाई अंग्रेजो से लड़ी थी।

बाद में अंग्रेजो की नीति डिवाइड & रुल की नीति के तहत अंग्रेजो ने जाते जाते हमे अलग कर दिया और हम अलग हो आपस में  ही लड़ने लग गए , जो कि अंग्रेज़ चाहते थे , अंग्रेज अपनी नीति में सफल रहे और हमने आपस में लड़कर उन्हें सहयोग दिया।

दोनो मुल्कों ने अपना जान मॉल का बहुत ज्यादा नुकसान किया, यही शक्ति देश को मजबूत और उन्नत करने में खर्च की जा सकती थी। मगर ऐसा नहीं हुआ और दोनो मुल्क अभी तक दुश्मनी निभा रहे हैं।

 अभी भी समझ नही आई , क्यों नही आई किसीको नही पता, दोनो तरफ नफरत और लड़ाई का जुनून है जो कि उतरते नही उतरता , जब कि दोनो को पता है इसमें फायदा किसी का भी नही सिर्फ नुकसान है।

दोनो मुल्कों में गरीबी बेजगारी बहुत ज्यादा है फिर भी हथियारों में लड़ाई में इतना ज्यादा खर्चा, यही पैसा देश की आर्थिक उनती में खर्च किया जा सकता था , इससे दोनो देशों मे गरीबी कम होती रोजगार के अवसर बढ़ते, बेरोगरी कम होती। मगर यह किसने सोचा है।

" अमन की आशा" कविता में दिल से चाहा गया है कि दोनो देशों के बीच अमन और शांति हो दोनो देशों के नागरिक खूब फले फूले तरक्की करे और दोनो देश तरक्की करें, आशा है ऐसा जरूर होगा।

कृपया कविता को पढ़े और शेयर करें।

... इति...
_जे पी एस बी
jpsb.blogspot.com





                         
 





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