Saturday, June 3, 2023

स्वर्ग सिधार (Swarg sidhar )

             
Swarg sidhar
Swarg sidhar
Image from:pexels.com 

              

चलो जाये स्वर्ग सिधार ..
इस निर्मोही दुनिया में..
भटकने से अच्छा..
ईश्वर का पाये प्यार ..
यहाँ रहकर भी क्या है करना..
जब पक्का है जरूर है मरना ..

फिर धन के पीछे क्यों..
मारा मारी..
दुनियादारी निभाते निभाते..
जिंदगी बीत गई सारी..
की मंदिर मस्जिद की लड़ाई..
मगर कभी भगवान से..
लगन लग ना पायी..

धनवान और बलवान..
बनने की होड़ में ..
हुयी इंसानियत कमजोर..
एक दूजे को कुचल कर..
इंसान आगे भागा है..
अंत समय आने पर भी..
कभी ना नींद से जागा है..
बुरी गत देखी..
इंसान ने इंसान की..
तब भी याद ना आई..
भगवान की..

पाप को इंसान ने अपनाया है..
अपना उद्देश्य बनाया है..
इंसान ने इंसान के आगे..
लगाया है रोड़ा ..
जब भी मौका मिला..
इंसान ने किये दंगे फसाद..
एक दूजे का सिर है फोड़ा..
यह सिलसिला..
आदि काल से जारी है..
इंसानियत पर हैवानियत भारी है ..

ईशा को सूली पर टांगा..
सिख गुरुओ को..
मारा सताया..
इंसानियत ने क्या पाया..
फिर भी आज तक..
खत्म ना हुयी लड़ाई..
कभी कोई हिटलर आया..
कभी हिरोशिमा- नागासाकी ..
पर परमाणू बंब बरसाया..

होते ही रहे हैं..
इंसान से इंसान के पंगे..
कभी भारत पाक के नाम..
1947 बटवारे के दंगे..
कभी बहाने से 1984 का..
नर संहार ..
किसी ना किसी बहाने से..
इंसान रहा इंसान को मार..
ईश्वर के अवतार भी..
शांति और मिल कर रहना..
ना सीखा सके..
अवतार आ आ थके..

इंसान लगातार पैदा होते रहे..
और निरंतर लड मरे..
ईश्वर भी सोच में पडा ..
जब इंसान के पाप का..
भर गया घडा..
कि इस इंसान का क्या करें..
या तो अपनी बनाई..
यह दुनिया समाप्त कर दे..
या सैतानों और हैवानों को..
पैदा होते ही..
मरने का वर दे..


या इंसान नामी जीव से..
बल बुद्धी विधा सब हर ले..
इंसान को भी..
जानवर कर दे..
जो होगा बलवान..
एक दूजे को मार खाएगा..
कोई भेड़िया या शेर बन जायेगा..
भेड़ बकरिया और गीदड़ भी..
रहेंगे बाकी ..
दुनिया बन जाएगी स्वर्ग सी..
तो इंतजार किस बात का..
हो जाओ तैयार..
चलो जाये स्वर्ग सिधार..!!

Jpsb blog 

कविता की विवेचना: 

स्वर्ग सिधार /Swarg sidhar कविता पृथ्वी पर इंसान की फितरत को इंगित करती है. 

जब से पृथ्वी पर इंसान नाम का जीव भगवान ने बनाया है, इंसान ने दुनिया में उत्पात मचाया है. मार काट हिंसा यही रहा इंसान के कामों का हिस्सा. 

इंसान ने इंसान को समय समय पर मारा है, यहां तक कि ईश्वर के अवतार को भी नहीं बक्सा, ईशा को सूली पर चढाया, सिख गुरुओ को मारा अत्याचार किये. 

कभी हिरोशिमा नागासाकी पर परमाणु बम बरसा तबाही की, कभी कही हिटलर पैदा हो गया, कभी अँग्रेजों ने अपना साम्राज्य बढ़ाने के लिये सारी दुनिया को सताया और अपना गुलाम बनाया.

कभी अपना अधिकार बढ़ाने के लिये विश्व युद्ध किये 
कमजोर को मारा कुचला, कभी भारत पाक के नाम 1947 के दंगे और कभी 1984 का नर संहार, हर हालत में इंसान रहा इंसान को मार और सुपर पावर बनने की दहाड़.यूक्रेन की तबाही ताजातरीन उदाहरण है. 

"स्वर्ग सिधार " कविता में पृथ्वी पर इंसान के रहने का कोई ओचित नहीं बनता, भगवान भी इंसान को बना पस्ता रहा है, शायद इंसान से बल बुद्धी विधा वापस ले ले और इंसान भी जानवर बिरादरी का हिस्सा हो जाये, जंगल राज स्थापित हो जाये. 
इसलिए अभी वक़्त है चलो स्वर्ग सिधार जाये, भगवान की नजदीकियां और प्यार पाये. 

..इति..
Jpsb blog 
jpsb.blogspot.com 
Author is a member of SWA Mumbai 
©️ Copyright of poem is reserved 





प्यार एक धोखा (Pyar ek dhikha)

                   
Pyar ek dhokha
Pyar ek dhokha
Image from:pexels.com 


प्यार व्यापार बन गया..
दिल जलों का..
त्यौहार बन गया..
दिल की लगने लगी बोलियां..
जिसने ज्यादा पैसा फैका ..
दिल उसी का हो लिया..

फिर किसी ने टोका है..
प्यार एक धोखा है..
नोक झोक तकरार..
ऐसा ही है अब प्यार..
सपनों से खिलवाड़..
प्यार अब है व्यापार..

सुख है तो प्रीत है..
तब ही प्रेम का गीत है..
दुख में सन्नाटा है..
प्यार में देखा जाता..
नफा है या घाटा है..
घाटे का सोदा नहीं होना..
फिर क्यों है रोना धोना..

प्यार का एकलौता फूल..
नहीं लगता है प्यारा..
अलग अलग फ़ूलों की..
खुशबू ले भंवरा आवारा..
तेरा फूल अब हुआ मेरा..
जो कल तक था तेरा..
मोल भाव कर लिया ..
वो अब है मेरा पिया ..

कली जब फूल बनी..
तितली बन उड़ चली..
भंवरे आये करते गुंजन..
फूल पर हुये मगन..
फूल ने पंखुड़िया फैलाई..
खूशबू भंवरे को भाई..
आजकल जिंदा लासै..
घूम रही हैं..
दिल बस खाली खोखा है..
प्यार आजकल धोखा है..

एक ही सूरत से प्यार..
जंचता नहीं..
प्यार में धोखा ना हो..
खाना पचता नहीं..
सूरत बदलती रहनी चाहिये..
कुछ दिनों में..
एक नयी सूरत चाहिये..
कर लो फिर इकरार..
नयी सूरत से झूठा प्यार..
मिला जब तुम्हें मौका है..
प्यार आजकल धोखा है..

नया मीत ना मिला..
तो लड़ाई का बहाना है..
दीवारों से सर टकराना है..
आसमान सर पे उठाना है..
क्यों प्यार का पागलपन है..
हक नहीं अगर धन कम है..
करो पहले धन का जुगाड़..
तब ही है प्यार का अधिकार..

प्यार अब बाजार में बिकेगा..
महंगा प्यार ही टिकेगा..
फिर भी कोई गारंटी नहीं..
नये की तलाश रहेगी कहीं..
गर मिल गया कोई अच्छा..
तो पुराने को फिर..
मिलेगा गच्चा..
आजकल यही है चर्चा..
नये मीत पर करो खर्चा..
फिर नज़र रखो पैनी..
बनेगी एक और प्रेम कहानी..

यह दौर है धोखे का..
प्यार अब खेल है मौके का..
गर्दन इस खेल में..
मासूम की ही कटनी है..
जहां प्यार का  नाम आया..
दुर्घटना जरुर घटनी है..
मासूमों का..
यहा कोई काम नहीं..
मासूमों को.. 
प्यार के नाम से नोचा है..
सावधान प्यार अब धोखा है..!!

Jpsb blog 

कविता की विवेचना: 
प्यार एक धोखा/Pyar ek dhokha कविता आज के परिप्रेक्ष्य में प्यार एक धोखे का मौका बन रह गया है. 

प्यार की पवित्रता, त्याग, पारदर्शिता, कुर्बानी कब के लोप हो चुके हैं, प्यार एक धोखे बाजी का खेल और माखौल बन रह गया है, प्यार की अच्छाई जा चुकी है. 

प्यार के नाम से अब  सिर्फ खेल है, किसी भी ढंग से प्यार के नाम हथियाना है, तोल मोल के घाटे नफे का अंदाज लगाना है, अगर नफा दिखा नोच खाना है, आखिरी बूंद निचोड़ फिर ठुकराना है. 

फिर नये मुर्गे की तलाश, जब तक नहीं बुझती प्यास, 
लगे कई कयास अगर मिल गया कोई अच्छा तो पुराने को अचानक गच्चा.

पुराना सिर पिट लेगा या हो जायेगा पागल, मगर इस भी किसी को कोई फर्क़ नहीं पडता, ना हमदर्दी ना था प्यार, ये तो एक सौदा था मन बहलाने का.

अब ऊब गया दिल तो क्या करें, नया आजमाने की आदत है पुराना चाहे अपनी मौत मरे, किसने रोका है, प्यार बस छलने का मौका है. 

"प्यार एक धोखा "कविता पश्चिम से आयातित कल्चर 
रेखांकित करती है, लिव इन और प्यार के नाम नये आयाम जिसमें एक दूसरे के सोसण के मौके तलाश किये जाते हैं.

 जो चालाक होता है बाजी मार जाता है, सीधा दिल की मार खाता है, तड़फॅ के रह जाता है. 

यहां- कोई सिद्धांत लागू नहीं होते, कोई दोस्त यार या भाई की चादर ओड  ठगता है. और इस धोखे मक्कारी को अपनी जीत मानता है. अगर दुनिया इस ओर जा रही तो नरक यही है, इंसान अब जानवर पशु हो गया है, कुत्ते बिल्ली का खेल हो गया आज का प्यार, बचे इससे संसार. 

..इति..

कृपया कविता को पढे और शेयर करें. 

Jpsb blog
 jpsb.blogspot.com
 Author is a member of SWA Mumbai 
©️ Copyright of poem is reserved 




 



Recent Post

हमारा प्यारा सितारा (Hamara Pyara Sitara)

                        Hamara pyara sitara Image from:pexels.com  शुभ-भव्य ने.. आकाश को गौर से निहारा.. सबसे चमकते सितारे को.. प्यार से पुक...

Popular Posts