Friday, March 12, 2010

अमन की आशा(Aman ki Aasha)

Aman Ki Aasha
Pease In World 
Image from: pexels.com



चारो तरफ़ बैचेनी-
लहुलुहान इन्सानियत है-
इधर भी उधर भी-
दिलो मे गुबार -
नफ़रतो की कोशिश-
फिर भी एक आशा -
अमन की-
दिलो मे अभी भी -
कुछ प्यार बचा है-
कड्वी यादो को कमजोर कर-
चलो करे अपने पन का इजहार-
नफ़रत आन्तक नही-
फ़ैलाए प्यार की आशा-
अमन और शान्ति-
आओ भाई लग जा गले-
मिटा सब शिकवे गिल्ले-
नई रोशनी नई आशा-
प्यार अमन शान्ति-
आओ सब मिल इस राह पर चले-!!


Charon tarfa baicheni ..

Lahuluhan insaniyat hai..

Idhar bhi udhar bhi. 

Dilon main gubar..

Nafraton ki koshis..

Phir bhi ek aasha ..

Aman ki..

Dilon main abhi bhi..

Kuchh pyar bacha hai..

Kadvi yadon ko kamjor kar..

Chalo karen apanepan ka izhar..

Nafrat aatank nahi..

Failaye pyar ki aasha..

Aman aur shanti..

Aao bhai lag ja gale. 

Mita sab shikve gille..

Nai roshni nai aasha..

Pyar aman shanti..

Aao mil sab is rah par chalen..!!


_जे पी एस बी 

कविता की विवेचना: 

अमन की आशा/Aman ki asha कविता हमारे पड़ोसी मुल्क के साथ हमारे देश के आपसी संबंधों को सुधारने की कोशिश जो की टाइम्स ऑफ इंडिया द्वारा चलाया गया अभियान था।कविता उसी अभियान का हिस्सा है।

जैसा कि हम सबको मालूम है आज़ादी  के पहले दोनो मुल्क एक थे ,और दोनो ने मिलकर एक साथ आज़ादी की लड़ाई अंग्रेजो से लड़ी थी।

बाद में अंग्रेजो की नीति डिवाइड & रुल की नीति के तहत अंग्रेजो ने जाते जाते हमे अलग कर दिया और हम अलग हो आपस में  ही लड़ने लग गए , जो कि अंग्रेज़ चाहते थे , अंग्रेज अपनी नीति में सफल रहे और हमने आपस में लड़कर उन्हें सहयोग दिया।

दोनो मुल्कों ने अपना जान मॉल का बहुत ज्यादा नुकसान किया, यही शक्ति देश को मजबूत और उन्नत करने में खर्च की जा सकती थी। मगर ऐसा नहीं हुआ और दोनो मुल्क अभी तक दुश्मनी निभा रहे हैं।

 अभी भी समझ नही आई , क्यों नही आई किसीको नही पता, दोनो तरफ नफरत और लड़ाई का जुनून है जो कि उतरते नही उतरता , जब कि दोनो को पता है इसमें फायदा किसी का भी नही सिर्फ नुकसान है।

दोनो मुल्कों में गरीबी बेजगारी बहुत ज्यादा है फिर भी हथियारों में लड़ाई में इतना ज्यादा खर्चा, यही पैसा देश की आर्थिक उनती में खर्च किया जा सकता था , इससे दोनो देशों मे गरीबी कम होती रोजगार के अवसर बढ़ते, बेरोगरी कम होती। मगर यह किसने सोचा है।

" अमन की आशा" कविता में दिल से चाहा गया है कि दोनो देशों के बीच अमन और शांति हो दोनो देशों के नागरिक खूब फले फूले तरक्की करे और दोनो देश तरक्की करें, आशा है ऐसा जरूर होगा।

कृपया कविता को पढ़े और शेयर करें।

... इति...
_जे पी एस बी
jpsb.blogspot.com





                         
 





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